कमलनाथ के मास्टर स्ट्रोक से रोचक हुआ मुकाबला

कमलनाथ
  • अब तक महज दो बार ही मिल सकी है भाजपा को जीत

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट ऐसी सीट है, जिसके 1951 में अस्तित्व में आने के बाद भाजपा को महज दो बार ही जीत मिल सकी है। इसमें भी एक बार की जीत पूर्व कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रेमनारायण ठाकुर के नाम पर है। तब उनके द्वारा कांग्रेस छोडक़र भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा गया था। भाजपा के टिकट पर अब पूर्व कांग्रेस विधायक के चुनाव में उतरने और कमलनाथ द्वारा उसे अपनी प्रतिष्ठा से जोडऩे की वजह से यह सीट हॉट सीट बनती जा रही है। यहां पर उपचुनाव के लिए 10 जुलाई को मतदान होना है। इससे पहले 21 जून तक नामांकन प्रक्रिया जारी रहेगी। छिंदवाड़ा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ है, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के विवेक बंटी साहू ने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से नकुल नाथ को हरा दिया था। इस सीट पर भाजपा 45 साल बाद चुनाव जीती थी। अब एक फिर कमलनाथ के गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा में सियासी संग्राम की तैयारी है। भाजपा ने इस सीट से कांग्रेस से आए कमलेश प्रताप शाह को प्रत्याशी बनाया है, जबकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की ओर से देव रावेन भलावी को उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस ने धीरन शाह इनावती को प्रत्याशी बनाया है। उनके नाम की घोषणा पूर्व सीएम कमलनाथ ने एक्स पर औपचारिक रुप से की। आंचलकुंड दरबार के सेवक सुखराम दादा के पुत्र इनावती का आदिवासी समाज पर काफी प्रभाव माना जाता है। उन्हें प्रत्याशी बनाना कमलनाथ का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। इससे अब मुकाबला रोचक हो गया है।
जगतगुरु शंकराचार्य ने किया था मंदिर का उद्घाटन
मंदिर का निर्माण पूर्ण होने पर रतनदास जी महाराज की इच्छा थी कि मंदिर का उद्घाटन जगतगुरु शंकराचार्य के द्वारा ही हो। इसका संयोग रतनदास जी महाराज के द्वारा समाधि स्थल होने पर बना और इस विशाल एवं भव्य मंदिर का उद्घाटन साप्ताहिक महायज्ञ के दौरान 2001 को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद महाराज के कर कमलों द्वारा ही संपन्न हुआ।
अमरवाड़ा सीट का इतिहास
अमरवाड़ा सीट के इतिहास की बात करें तो 1951 से लेकर अब तक भाजपा यहां सिर्फ दो बार चुनाव जीती है। 1990 में भाजपा के मेहमान शाह उईके इस सीट से चुनाव जीते थे, जबकि 2008 में प्रेम नारायण ठाकुर चुनाव जीते थे। इससे पहले एक बार 1967 में भारतीय जनसंघ के एसजे ठाकुर ने चुनाव जीता था। 1951 से 2023 तक यहा 14 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें 11 बार कांग्रेस सने जीत दर्ज की है। इस लिहाज से देखा जाए तो कांग्रेस यहां मजबूत है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के बीच बड़ी संख्या में कांग्रेस पदाधिकारियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी को यहां बड़ा झटका लगा है। इस सीट पर उपचुनाव भी इसलिए हो रहा है, क्योंकि कांग्रेस से लगातार तीसरी बार विधायक बने कमलेश शाह लोकसभा चुनाव के दौरान इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। ऐसे में इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए आसान रहने वाला नहीं है। उसके सामने अपना किला बचाने की सबसे बड़ी चुनौती है।
आंचल कुंड धाम
करीब 200 वर्ष पूर्व आंचलकुंड धाम की स्थापना कंगाल दास बाबा ने की थी। उनकी चौथी पीढ़ी के सेवादार गणेश बाबा के मुतबिक उनके पिताजी के परदादा कंगाल दास जी बाबा थे, जो आदिवासी परिवार सिंगरामी इनवाती के परिवार में जन्मे थे। परिवार मजदूरी करने नरसिंहपुर जाया करता था, जहां साईं खेड़ा में दादाजी धूनीवाले का दरबार था। वहां जाकर कंगाल दास बाबा रहने लगे और पूजा-पाठ करने लगे। इसके बाद उन्होंने दादाजी धूनीवाले को गुरु बनाया और उनकी पूजा-अर्चना आंचल कुंड में करने लगे। तभी कुछ लोगों ने इसका विरोध किया तो वह दोबारा साईंखेड़ा दरबार में जाकर दादाजी धूनीवाले के समक्ष जाकर रोने लगे और दादाजी को अपने साथ आंचल बुलाने की जिद करने लगे, जिसके बाद दादाजी ने कहा कि तुम चलो मैं भी वहीं आता हूं, जब वह करीब डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी तय कर 15 दिन में आंचलकुंड पहुंचे तो जाकर देखा कि दादाजी और हरिहर बाबा मडिय़ा में बैठे हुए थे। वहीं दादाजी धूनीवाले ने धूनी जलाते हुए कंगाली बाबा को वरदान दिया कि हम यहीं पर निवास करेंगे और इसी धूनी से सभी के संकट दूर होंगे, तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है तब से लेकर आज तक आंचल कुंड धाम में अखंड धूनी जल रही है।
भाजपा को शाह से कमल खिलाने की उम्मीद
भाजपा उम्मीदवार कमलेश शाह इस सीट से लगातार तीन बार विधायक बने हैं। लोकसभा चुनाव के बीच शाह के पार्टी में शामिल होने के समय भाजपा ने उन्हें उपचुनाव में उम्मीदवार बनाने का वादा किया था। पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया भी है। शाह का अमरवाड़ा सीट पर अच्छा प्रभाव है। वहीं, दूसरी तरफ नकुलनाथ के छिंदवाड़ा से लोस चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ता मायूस हैं, इसका फायदा भी पार्टी को मिल सकता है। भाजपा के कई नेता अमरवाड़ा जीतने की रणनीति बना रहे हैं। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि शाह चुनाव जीतकर इस सीट पर कमल खिलाएंगे।

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