एक ही किताब में मिलेगी प्रदेश के राम मंदिरों की जानकारी

राम मंदिरों
  • संस्कृति विभाग ने तैयार कराई श्रीराम माहात्म्य एवं महिमा नामक किताब  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जनजातीय संग्रहालय की एक किताब इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। इस किताब में प्रदेश के 6821 राम मंदिरों की जानकारी का उल्लेख किया गया है। यह बात अलग है कि अभी किताब बाजार में उपलब्ध नही है। इसकी वजह है, किताब का अभी विमोचन न हो पाना। यह किताब ऐसे समय बाजार में उपलब्ध हो सकती है, जब पूरा देश अयोध्या राममंदिर की भक्ति में डूबा होगा।
प्रयास किया जा रहा है कि इस किताब को विमोचन अयोध्या मेंं 22 जनवरी को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हो जाए। दरअसल इस ग्रंथ को मप्र संस्कृति विभाग द्वारा तैयार कराया गया है। यह ग्रंथ भगवान श्रीराम के प्रमुख लोक महत्व के मंदिरों पर एकाग्र शोध ग्रंथ है। इसका नाम रखा गया है श्रीराम माहात्म्य एवं महिमा। पुस्तक में मप्र के 52 जिलों के जिन 6821 राम मंदिरों को शामिल किया गया है। वह मंदिर धार्मिक न्यास धर्मस्व विभाग, स्वतंत्र न्याय और सहकारी संस्थाओं द्वारा संचालित किए जाते हैं। इसमें भोपाल के भगवान श्रीराम के 14 मंदिरों को भी जगह दी गई है।  जनजातीय संग्रहालय के अध्यक्ष अशोक मिश्रा ने बताया कि पिछले डेढ़ वर्ष से 21 अध्येताओं ने मप्र के 52 जिलों में सर्वेक्षण किया। अध्येताओं ने अलग-अलग जिलों में जाकर श्रीराम मंदिरों की जानकारी ली। इस दौरान मंदिर की फोटो और मंदिर की संक्षिप्त जानकारी को पुस्तक के माध्यम से बताया जा रहा है। यह पुस्तक शोधकर्ताओं के साथ जनमानस के लिए भी महत्वपूर्ण होगी, जो कि भगवान श्रीराम के मंदिरों के बारे में जानना चाहते हैं। मप्र के 6821 श्रीराम मंदिरों का चयन कर उसे पुस्तक में शामिल किया गया है। इस छह सौ पेज की किताब के लिए 21 सर्वेक्षणकर्ताओं ने काम किया है।
इन लोगों ने किया सर्वेक्षण  का काम
इसके लिए जिन लोगों ने सर्वेक्षण किया है ,उनमें,धर्मेंद्र वर्मा, मनीष वैद्य, नितिन गौर, प्रदीप जिलवाने, शैलेंद्र श्रीवास्तव, छोगालाल कुमरावत, जीवन सिंह ठाकुर, अनिल सिंह, डॉ. टीकमणि पटवारी, अशोक चौबे, दीपा श्रीवास्तव, नीलिमा गुर्जर, डॉ मुनिन्द्र रघुवंशी, डॉ पूरण सहगल, डॉ. पूजा सक्सेना, डॉ. रमन सोलंकी, डॉ. संजय स्वर्णकार, डॉ. सूर्यनारायण गौतम, डॉ. अल्पना त्रिवेदी और शिवम दुबे शामिल हैं।
त्रिभुवनलाल जी का मंदिर
लखेरापुरा स्थित त्रिभुवनलाल जी का मंदिर 1860 में बनाया गया था। 1860 में भोपाल नवाब की बेगम सिंकदर जहां वापस इस रास्ते से गुजर रही थी, तब उनका घोड़ा बिदक गया और वे आगे ही नहीं बढ़ सकीं। उन्हें बीच रास्ते से ही लौटना पड़ा। यह बात उन्होंने अपने दीवान त्रिभुवन लाल को बताई। उन्होंने उस स्थान का जायजा लेकर बताया कि यह दिव्य स्थान है। त्रिभुवन लाल के द्वारा बाद में यहां पर राम दरबार की स्थापना की गई। उन्हीं के नाम पर इस मंदिर को त्रिभुवनलाल जी का मंदिर कहा जाता है। इसी तरह से लखेरापुरा स्थित श्रीराम मंदिर 250 वर्ष प्राचीन है। इस मंदिर का निर्माण चौरसिया समाज ने किया। इस मंदिर में विशेष मेला उत्सव का आयोजन रामनवमी, जन्माष्टमी, नागपंचमी पर किया जाता है।
भोपाल के इन मंदिरों को भी मिली जगह
बरखेड़ा कलां में श्रीराम जानकी मंदिर, अमरपुर में श्रीराम जानकी हनुमान मंदिर, कोलूखेड़ी जागीर में श्रीराम जानकी हनुमान एवं शिव मंदिर, गढ़ा खुर्द में श्रीराम जानकी मंदिर, बीलखोह में श्रीराम जानकी, रामदेव मंदिर, मूडलाचंद में श्रीराम जानकी मंदिर, मुगालिया छाप में रामलखन मंदिर,लांबाखेड़ा में श्रीराम जानकी मंदिर, इस्लामनगर में श्रीरामचंद्र भगवान मंदिर, बसई में श्रीराम जानकी मंदिर, बैरसिया में श्रीराम जानकी मंदिर, कीटखेड़ी में श्रीराम जानकी मंदिर हिगोनी में श्रीराम जानकी मंदिर, लखेरापुरा में त्रिभुवनलालजी मंदिर।

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