राम वन में मिलेगी रामकालीन वनस्पतियों की जानकारी

राम वन
  • चित्रकूट में 11 करोड़ की लागत से किया जा रहा सांस्कृतिक वन का निर्माण

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मोहन यादव सरकार ने सत्ता में आते ही बड़ी आध्यात्मिक परियोजना श्री राम वन गमन पथ पर ध्यान केंद्रित किया है। सरकार का फोकस इस बात पर है कि चित्रकूट का आध्यात्मिक विकास अयोध्या की ही तरह किया जाए। गौरतलब है कि भगवान राम वनवास के दौरान सबसे अधिक समय चित्रकूट में ही रहे थे। इसलिए चित्रकूट को आध्यात्म और पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। इसी क्रम में भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में वन गमन पथ मार्ग पर राम वन वाटिका तैयार की जा रही है। अयोध्या व प्रयागराज के बाद चित्रकूट में यह वाटिका आकार ले रही है। मझगवां ब्लॉक के अनसुइया वन खंड में 8 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 11 करोड़ से इसका निर्माण किया जा रहा है। यहां वाल्मीकि रामायण में वर्णित उत्तराखंड की संजीवनी बूटी से लेकर श्रीलंका में पाई जाने वाली नागकेशर सहित 149 वनस्पतियों को संरक्षित किया जाएगा।  डीएफओ सतना विपिन पटेल का कहना है कि चित्रकूट वनपरिक्षेत्र में श्रीराम वन का निर्माण किया जा रहा है। आठ हेक्टेयर में बन रहे इस वन में श्रीराम के 11 साल के वनवास का वर्णन किया जाएगा। इसी साल दिसंबर में आम जनों के लिए खोल दिया जाएगा। सांस्कृतिक वन का निर्माण करीब 11 करोड़ की लागत से किया जा रहा है।
    वनस्पतियों के साथ ही रामायण की विस्तृत जानकारी
    दरअसल, राम वन पथ गमन मार्ग पर प्रदेश सरकार भगवान श्रीराम का रामायण कालीन राम वन वाटिका का निर्माण कर रही है। यह वाटिका तीन स्थानों अयोध्या, प्रयागराज और चित्रकूट में बनाने की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई है। यहां पर रामायण कालीन विभिन्न प्रजातियों के पौधे व औषधियां रोपित की जा रही हैं। वाटिका में इस कालखंड की वनस्पतियों के साथ ही रामायण की विस्तृत जानकारी मिलेगी। इसके लिए पूरी वाटिका में बोर्ड लगाए जाएंगे। जिनमें चित्र के साथ वनस्पतियों और श्रीराम की यात्रा का वर्णन किया जाएगा। किस वन में श्री राम किस समय रहे और कौन सी वनस्पति उक्त वनों में पाई जाती है। यह भी बताया जाएगा। आदि मानव में शरीर के हिस्सों को ठीक करने वाले पौधे लगाए हैं। इस सांस्कृतिक वन में राम के वनवास से जुड़ी सभी स्मृतियों को पर्यावरण के जरिए वन विभाग सहेजना का प्रयास कर रहा है। राम वन में औषधि पौधों से आदि मानव बनाया गया है। भारी भरकम बनाए गए आदि मानव के माध्यम से शरीर के प्रत्येक हिस्से में होने वाले रोगों के इलाज के लिए काम आने वाली औषधि लगाई गई है। जैसे कान, गला, नाक, हृदय, पेट सहित अन्य बीमारियों में काम आने वाली औषधि लगाई गई है। यह रहेगा खास आरोग्य वाटिका, नवग्रह वन, नक्षत्र वाटिका और अशोक वाटिका, सीता रसोई, फायकस वन जहां बाहर से लाए हुए पौधे लगाए जाएंगे। सरयू नदी, कामदगिरी का पहाड़ का निर्माण अंतिम चरण में है। श्रीलंका और भारत का नक्शा का निर्माण भी किया जा रहा है। इन्हें पौधों के माध्यम से दिखाया जाएगा। वर्तमान में पौधे छोटे हैं। वन विभाग के अफसरों का कहना है कि आठ-दस महीने में पौधे बड़े हो जाएंगे। इनकी कटाई के बाद यह भारत का नक्शा साफ नजर आएंगा।
    400 करोड़ से निखारा जाएगा चित्रकूट का वैभव
    भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट का 400 करोड़ रुपए से वैभव लौटेगा। इसके लिए सरकार एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेगी। विगत दिनों श्रीरामचंद्र न्यास की पहली बैठक में चित्रकूट में विकास कार्यों के लिए बजट की उपलब्धता सुनिश्चित करने पुराने प्रस्ताव को रिवाइज कर एशियन डेवलपमेंट बैंक को प्रस्तुत कर फॉलो अप लेने के निर्देश सीएम ने दिए हैं। तय किया गया कि हर तीन माह में न्यास की बैठक की जाएगी। मुख्यमंत्री द्वारा चित्रकूट के समग्र विकास को प्राथमिकता में लेने के निर्देश के बाद निधि की व्यवस्था को लेकर आयुक्त नगरीय प्रशासन ने बताया कि इंटीग्रेटेड अर्बन डेवलपमेंट प्लान (आइयूडीपी) के तहत पूर्व में चार नगरों को नामांकित किया गया था। इसमें से चित्रकूट भी था। योजना के तहत 500 करोड़ रुपए खर्च कर नगरों का समग्र विकास किया जाना था, लेकिन पहले फेज में दो नगरों बुधनी और खुरई का चयन किया गया। इसमें चित्रकूट नहीं था। इसके लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक से राशि भी मिल गई थी। उसमें से अभी 100 करोड़ रुपए के लगभग राशि शेष बची है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि चित्रकूट प्रमुख धार्मिक महत्व का स्थल है। ऐसे में पुराने प्रपोजल को रिवाइज किया जाए। चित्रकूट का प्रस्ताव तैयार कर एशियन बैंक से राशि मांगी जाए और इसके लिए फॉलो अप करें। पुरानी शेष राशि और नई राशि को मिलाकर जो लगभग 400 करोड़ रुपए होगी, उससे चित्रकूट का समग्र विकास किया जाए। विकास किस प्रकार से करना है उसके लिए सभी संबंधित विभाग अपने-अपने प्रस्ताव तैयार करें। चित्रकूट को इस तरह से तैयार किया जाना है, जिससे यह भगवान राम के जीवन से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन सके और धार्मिक चेतना, आध्यात्मिक विकास और राम कथा से जुड़े आयामों के केन्द्र के रूप में पहचाना जाए।
    वाटिका में मिलेगी कई जानकारियां
    वन विभाग पिछले 9 महीने से राम वन वाटिका में बनाने की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई है। यहां पर रामायण कालीन विभिन्न प्रजातियों के पौधे व औषधियां रोपित की जा रही हैं। वाटिका में इस कालखंड की वनस्पतियों के साथ ही रामायण की विस्तृत जानकारी मिलेगी। इसके लिए पूरी वाटिका में बोर्ड लगाए जाएंगे। जिनमें चित्र के साथ वनस्पतियों और श्रीराम की यात्रा का वर्णन किया जाएगा। किस वन में श्री राम किस समय रहे और कौन सी वनस्पति उक्त वनों में पाई जाती है। यह भी बताया जाएगा। राम बन में सरयू नदी, सीता रसोई, आदि मानव, भारत का नक्शा, कामदगिरि की पहाड़ी और श्रीलंका का निर्माण किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट को चार साल में पूरा करना है, लेकिन विभाग प्रयास कर रहा है कि इसे आगामी दिसंबर में जनता के लिए खोल दिया जाए। इसे लेकर तेजी से काम किया जा रहा है।

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