दोनों ही दलों में सीट शेयरिंग के बाद बसपा 178 और गोंगपा 52 सीटों पर चुनाव लड़ेगी
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में पहला चुनावी गठबंधन बसपा और गोंगापा के बीच सामने आया है। यह ऐसा गठबंधन है, जो अप्रभावी माना जा रहा है। इसकी वजह है, इन दोनों ही दलों का प्रभाव क्षेत्र अलग-अलग होना। गोंगापा का प्रभाव जहां महाकौशल अंचल में है तो, बसपा का प्रभाव उप्र से लगे विंध्य, ग्वालियर- चंबल और कुछ हद तक बुंदेलखंड अंचल में है। अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभाव होने की वजह से ही दोनों दलों में सीटों को लेकर भी खींचतान की स्थिति नहीं रही। यही वजह है कि सीटों के बंटवारे में भी दोनों दलों के प्रभाव वाली सीटों का ध्यान रखा गया है। समझौते में तय किया गया है कि बसपा 178 और गोंगपा 52 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। बसपा के राज्य सभा सदस्य रामजी गौतम का कहना है कि प्रदेश में 22 प्रतिशत आदिवासी और 4 प्रतिशत दलित हैं। यह सभी पहले अलग-अलग थे, लेकिन अब यह सब एक साथ हैं।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश से पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भी बसपा और गोंगपा का गठबंधन हो चुका है। यहां 90 सीटों में से 53 सीटों पर बसपा और 37 सीटों पर गोंगपा प्रत्याशी उतारेगी। दरअसल मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाता भाजपा व कांग्रेस के निशाने पर भी हैं। यही वजह है कि प्रदेश में भाजपा सरकार लगातार उनके लिए योजनाएं ला रही है। अगर बीते चुनाव पर नजर डालें तो जहां गोंगापा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी, तो वहीं कांग्रेस को बड़ा फायदा हुआ था।
बागियों के लिए बसपा बेहद अहम
भाजपा और कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे नेताओं को अपने दल से निराशा मिलने के बाद बसपा सबसे मुफीद दल है। खासकर उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में बसपा का अच्छा खासा प्रभाव है। विंध्य, बुंदेलखंड और चंबल में बसपा के पास अच्छा जनाधार है। यही वजह है, कि जब भी किसी प्रभावशाली नेता का टिकट कटता है तो वह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ लेता है। यही वजह है कि बसपा एक बार तो तीसरा सबसे बड़ा दल तक बन चुकी है। इस बार अब तक बसपा अपने 16 प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।
ग्वालियर-चंबल की सभी सीटें बीएसपी को
गठबंधन के बाद ग्वालियर चंबल की सभी सीटें बीएसपी के खाते में दे दी गई हैं। इसके अलावा विंध्य क्षेत्र और बुंदेलखंड की अधिकांश सीटें भी बसपा को ही दे दी गई हैं। इसी तरह से महाकौशल अंचल की सभी सीटों गोंगापा के खाते में गई हैं। अगर बीते चुनाव पर नजर डालें तो गोंगापा ने ब्यौहारी और अमरबाड़ा में दूसरा स्थान पाया था। इसकें अलावा गोंगापा का प्रभाव लखनादौन, शहपुरा और विछिया में भी माना जाता है। इन सीटों पर उसके उम्मीदवारों को 40 हजार के आसपास मत मिले थे। यही नहीं बीते चुनाव में उसके प्रत्याशियों ने 12 सीट पर कांग्रेस के और आठ सीट पर भाजपा के समीकरण बिगाडक़र उन्हें हारने पर मजबूर कर दिया था। इसके अलावा 22 सीटों पर उसके प्रत्याशियों ने दस हजार से अधिक मत हासिल किए थे।
बसपा का प्रदेश में प्रभाव
अगर बीते आम चुनाव की बात करें तो, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अधिकांश सीटों पर बसपा दूसरे या तीसरे नंबर पर रही थी। इसी तरह से बसपा के लिए सतना जिले की रामपुर बघेलान, रैंगाव, मुरैना जिले की दिमनी, निवाड़ी, राजनगर, रीवा की सिमरिया, और सिरमौर सीट बहुत महत्वपूर्ण सीटें हैं। रामपुर बघेलान में साल 2008 और 1993 के चुनाव में बसपा जीत चुकी हैं। प्रदेश की 65 सीटों पर बसपा का वोट बैंक 10 प्रतिशत तक रहा है। 2018 के विस चुनाव में भाजपा को 41.6 प्रतिशत और बसपा को 5.1 प्रतिशत वोट मिले थे। 2003, 2008 और 2013 के विस चुनावों में औसतन 69 सीट पर पार्टी का वोट शेयर 10 प्रतिशत से अधिक रहा है। साल 1993 और साल 1998 में मध्य प्रदेश में बसपा के 11-11 विधायक रह चुके हैं।