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- तीन सौ करोड़ से अधिक राजस्व मिलने की उम्मीद
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में नए वित्त वर्ष में लागू होने वाली नई नई आबकारी नीति में पवित्र शहरों में शराबबंदी के निर्णय से सरकार को करीब पांच सौ करोड़ का घाटा होना तय है। ऐसे में अकेले इंदौर शहर ही तीन सौ करोड़ की भरपाई कर देगा। इसकी वजह है इस बार सरकार द्वारा तय की गई लाइसेंस फीस में बीस फीसदी की वृद्वि। दरअसल, सरकार द्वारा 17 शहरों में की गई शराबबंदी की घोषणा से प्रदेश के खजाने की आय में पांच अरब रुपए की कमी आने का अनुमान लगाया गया है। उल्लेखनीय है कि जिन शहरों में इस बार शराब की दुकानें नहीं खुलेंगी उनमें उज्जैन, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मैहर, चित्रकूट, मण्डलेश्वर, ओरछा, मंडला, मुलताई, मंदसौर, अमरकंटक, सलकनपुर, दतिया, पन्ना, बरमान कला, लिंगा, बरमान खुर्द, कुंडलपुर और बांदकपुर शामिल हैं। नई आबकारी नीति 2025 के तहत 1 अप्रैल 2025 से इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार से शराब की बिक्री नहीं की जाएगी। यह पहला मौका है जब किसी नीति को कैबिनेट में दूसरी बार मंजूरी के लिए प्रस्तुत करना पड़ा। पिछली कैबिनेट बैठक में आबकारी नीति को स्वीकृति दी गई थी, लेकिन कई प्रावधान छूट गए थे, जिन्हें अब संशोधित करके शामिल कर लिया गया है। शासन ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह किया गया है कि पवित्र शहरों में शराबबंदी लागू होगी। इस फैसले के कारण अनुमानित 500 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे की भरपाई के लिए इंदौर जैसे बड़े शहरों में शराब की दुकानों की लाइसेंस फीस 20 प्रतिशत बढ़ा दी जाएगी। इस वृद्धि के कारण इंदौर जिले में स्थित 174 शराब दुकानों का आरक्षित मूल्य बढक़र लगभग 1800 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है। यानी 300 करोड़ रुपए से अधिक की आमदनी का अनुमान है।
20 प्रतिशत अधिक शुल्क देने पर नवीनीकरण
नई नीति के तहत, यदि मौजूदा ठेकेदार 20 प्रतिशत अधिक शुल्क चुकाने को तैयार होते हैं, तो उनकी दुकान का नवीनीकरण किया जा सकता है। साथ ही जिले के लिए तय कुल आरक्षित मूल्य का 80 प्रतिशत तक नवीनीकरण होना अनिवार्य होगा। यदि यह लक्ष्य पूरा नहीं हुआ तो ई-टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि सरकार को अधिकतम राजस्व प्राप्त हो सके।
एक अप्रैल से मिनी बार की भी अनुमति
मोहन सरकार की नई आबकारी नीति 1 अप्रैल से प्रभावी होगी, जिसमें शराब के मिनी बार को भी अनुमति दी जाएगी, जहां रेडी टू ड्रिंक उत्पाद उपलब्ध होंगे। इंदौर जैसे जिले में बीते वर्षों में शराब की दुकानों की नीलामी अत्यधिक महंगी हो गई है, और कई मामलों में यह प्रक्रिया आखिरी तक जारी रहती है। पिछले वर्ष भी इस क्षेत्र में 13.7 प्रतिशत राजस्व वृद्धि दर्ज की गई थी, जबकि सरकार का लक्ष्य 20 प्रतिशत रखा गया था। आबकारी विभाग को शराब की दुकानों से मिलने वाला राजस्व बीते वर्ष 1485 करोड़ रुपए रहा, जो कि उसके पूर्व वर्ष के 1312 करोड़ रुपए से अधिक था। इस बार यह 1800 करोड़ यानी 300 करोड़ रुपए से अधिक और जाने का अनुमान है।
इंदौर जिले में कुल 174 देसी और विदेशी शराब की दुकानें हैं
गत वर्ष आबकारी विभाग ने 64 समूह बनाकर शराब दुकानों की टेंडर प्रक्रिया संपन्न कराई थी। इस बार भी सरकार ने 20 प्रतिशत राजस्व वृद्धि का लक्ष्य तय किया है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इंदौर जिले में शराब ठेकों का कुल मूल्य 1800 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। हालांकि, इस लक्ष्य को पूरा करना आसान नहीं होगा। इंदौर जिले में कुल 174 देसी विदेशी शराब की दुकानें हैं, जिनमें से कुछ अत्यधिक महंगी है। योजना क्रमांक 54, भमोरी सहित कई शराब की दुकानें ऐसी हैं जिनकी नीलामी सबसे ऊंची दरों पर होती है और इनकी लाइसेंस फीस 55 से 60 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है।