
- महारानी उषा देवी की 90 साल की उम्र में याचिका …
भोपाल/द सूत्र/बिच्छू डॉट कॉम। होलकर रियासत की महारानी उषादेवी की उम्र 90 साल की हो गई है, और इस उम्र में उन्होंने इंदौर कमिश्नर को लेकर हाईकोर्ट इंदौर में याचिका दायर की है। मुद्दा खासगी ट्रस्ट (देवी अहिल्याबाई होलकर चैरिटी) इंदौर का है। इस ट्रस्ट के नए सिरे से मप्र ट्रस्ट एक्ट में रजिस्टर्ड होने के लिए इंदौर कमिश्नर के साथ ही सुपरिटेंडेंट इंजीनियर पीडब्ल्यूडी की भी साइन होना है, जो वह 20 महीने से नहीं कर रहे हैं। मप्र हाईकोर्ट ने इस मामले में 6 सप्ताह में जवाब मांगा है।
इसलिए महारानी गईं हाईकोर्ट में
दरअसल खासगी ट्रस्ट की संपत्ति किसकी है? इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2022 में फैसला जारी किया था। इसमें आदेश थे कि खासगी ट्रस्ट को मप्र ट्रस्ट एक्ट के तहत पब्लिक ट्रस्ट के रूप में नए सिरे से रजिस्टर्ड कराया जाए, इसके लिए एक महीने के भीतर रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट (एसडीएम टाउ) कार्रवाई करें। उषादेवी ने ट्रस्ट की ओर से इसके लिए आवेदन अगस्त 2022 में कर दिया। साथ ही इसमें अन्य ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा जो उषादेवी के पति है, उनके साथ ही यशवंत होलकर ने भी बतौर ट्रस्टी हस्ताक्षर कर दिए। लेकिन इसमें शासन की ओर से ट्रस्टी नियुक्त इंदौर कमिश्नर, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर पीडब्ल्यूडी ने हस्ताक्षर नहीं किए और ना ही इसमें केंद्र के प्रतिनिधि ट्रस्टी ने हस्ताक्षर किए (पूर्व संभागायुक्त बीके हीरजी केंद्र से नियुक्त ट्रस्टी थे, जिनका हाल ही में निधन हो चुका है)। महारानी ने याचिका में कहा है कि रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट को एक महीने में सुप्रीम कोर्ट के आर्डर का पालन कराना था, लेकिन यह नहीं हुआ। इसके लिए दर्जन भर बार इंदौर कमिश्नर, इंजीनियर को पत्र लिखे और हस्ताक्षर करने की मांग की। रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट ने हमे बताया कि सभी के हस्ताक्षर के बाद ही यह रजिस्टर्ड हो सकेगा, लेकिन अगस्त 2022 से ही यह आवेदन लंबित है, क्योंकि इंदौर कमिश्नर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं।
तीन कमिशनर बदल गए, एक ट्रस्टी का निधन हो गया
आवेदन लगने के बाद से ही तीन कमिश्नर बदल चुके हैं, पहले पवन शर्मा पद पर थे, फिर मालसिंह भायडिय़ा बने और अब दीपक सिंह इंदौर कमिश्नर है। वहीं पूर्व कमिश्नर और केंद्र की ओर से नियुक्ति ट्रस्टी बीके हीरजी का निधन हो चुका है। अब तकनीकी समस्या यह भी आएगी कि अब उनकी जगह कब और कौन आएगा? अभी यह पद रिक्त है।
खासगी ट्रस्ट क्या है और कब से चल रहा है विवाद
खासगी ट्रस्ट साल 1962 में गठित हुए था, उद्देश्य था मां देवी अहिल्याबाई की संपत्तियों की रक्षा करना। 6 सदस्यीय ट्रस्ट में अध्यक्ष महारानी उषादेवी थी, उन्होंने इसमें दो अन्य ट्रस्टी नियुक्त किए सतीष मल्होत्रा और यशवंतराव होलकर। वहीं शासन की ओर से तीन ट्रस्टी थे, इंदौर कमिश्नर के साथ सुपरिटेंडेंट इंजीनियर पीडब्ल्यूडी और एक केंद्र से नियुक्त प्रतिनिधि। यह ट्रस्ट 2012 में तब विवादों में आया तब तत्कालीन पीएस मनोज श्रीवास्तव ने हरिद्वार में कुशार्वत घाट बिकने के मामले की जांच की, जो ट्रस्ट के अधीन था। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने आर्डर जारी कर ट्रस्ट की सभी संपत्तियों को शासकीय घोषित कर दिया।
फिर आया हाईकोर्ट डबल बेंच का बड़ा आदेश
कलेक्टर के आदेश के बाद विवाद शुरू हुआ, बाद में हाईकोर्ट में ट्रस्ट गया और वहां आदेश निरस्त हो गया, मप्र शासन फिर डबल बेंच गया और वहां साल 2020 में विस्तृत आदेश हुआ। इसमें ट्रस्ट की संपत्ति मप्र शासन की मानी गई और उन्हें मप्र शासन के नाम पर चढ़ाने का आदेश हुआ साथ ही ट्रस्ट की संपत्ति बिकने की जांच ईओडब्ल्यू से कराने के आदेश हो गए। इसके बाद ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट गया और वहां इस आदेश पर स्टे हो गया। फिर जुलाई 2022 में अंतिम आदेश आया। इसमें संपत्ति मप्र शासन और राज परिवार की जगह ट्रस्ट की मानी गई। ट्रस्ट को नए सिरे से रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट के पास रजिस्टर्ड कराने के आदेश हुए। यानि जो भी अब संपत्ति बिकेगी वह ट्रस्ट की मंजूरी से ही। वहीं जो संपत्ति बिकी उनकी जांच के लिए भी रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट द्वारा करने के आदेश हुए और यदि गलत बिक्री हुई तो इसकी राशि वसूली के भी आदेश दिए गए। लेकिन इसके बाद से ही ट्रस्ट रजिस्टर्ड ही नहीं हुआ।