- राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस पर विशेष…
प्रवीण कक्कड़
दिल्ली में सांस लेना मुश्किल हो गया है, यह बात हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश भी धीरे-धीरे दिल्ली की राह पर चल पड़ा है। मध्य प्रदेश के कई शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ गया है। विशेषकर सर्दियों के मौसम में पराली जलाने और पटाखों के कारण वायु प्रदूषण अधिक बढ़ जाता है। हाल ही में जारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों से यह बात साफ हो गई है कि मध्य प्रदेश के कई शहरों में वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 54 जिलों में से 13 जिलों को मॉडरेट, 37 जिलों को सेटिस्फेक्ट्री और महज 4 जिलों को अच्छी कंडीशन में रखा गया है। ये आंकड़े हमें आगाह करते हैं कि अगर हमने समय रहते कदम नहीं उठाए तो मध्य प्रदेश भी जल्द ही दिल्ली जैसी स्थिति का सामना कर सकता है। हमारी पृथ्वी प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है, खासकर वायु प्रदूषण। यह समस्या न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा खतरा है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साल 2023-24 को लेकर औसत आंकड़े जारी किए हैं। यह रिपोर्ट पीएम-10 पर केंद्रित है। पीएम-10 की मात्रा 100 से अधिक होने पर इसे खतरनाक माना जाता है। हालही में जारी रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर में इसकी स्थिति 133.29, सिंगरौली में 129.9, धार में 113.45, भोपाल में 110.2 और इंदौर में 103.87 स्तर पर दर्ज किया गया है। राजधानी भोपाल में भी वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है, खासकर औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास। ग्वालियर में भी वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है। देश के सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार इंदौर में भी कई बार वायु गुणवत्ता सूचकांक मॉडरेट स्तर पर पहुंच गया है। जबलपुर में भी वाहनों के धुएं और औद्योगिक गतिविधियों के कारण वायु प्रदूषण बढ़ा है।
क्या होता है पीएम-10
पीएम-10 हवा की क्वालिटी को मापने का पैमाना है। इसके जरिए हवा में मौजूद कणों के आकार को मापा जाता है। पीएम-10 यानी पार्टिकुलेट मैटर-10, यह ऐसे कण होते हैं जिनका व्यास यानी डायमीटर 10 माइक्रोमीटर का होता है। यह इंसानी आंखों से दिखाई नहीं देते लेकिन सांस से शरीर के अंदर प्रवेश करने के बाद खतरनाक होते हैं। इससे अस्थमा, लंग्स इन्फेक्शन जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस
2 दिसंबर को भारत राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस मनाता है। यह दिन, 1984 की भोपाल गैस त्रासदी में हजारों बेगुनाहों की जान जाने की याद दिलाता है। जब जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (रूढ्ढष्ट) गैस का रिसाव हुआ था, तो एक पूरा शहर त्रासदी के साये में डूब गया था। भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदाओं में से एक है। यह हमें याद दिलाती है कि प्रदूषण कितना खतरनाक हो सकता है। आज भी, वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। हमें सभी को मिलकर प्रदूषण रोकने के प्रयास करने चाहिए। केवल तभी हम स्वच्छ हवा में सांस ले पाएंगे और आने वाली पीढिय़ों को एक स्वस्थ पर्यावरण दे पाएंगे।
ऐसा क्यों हो सकता है
औद्योगीकरण और शहरीकरण:मप्र में औद्योगीकरण और शहरीकरण तेजी से हो रहा है। इससे उद्योगों और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।
पराली जलाना: कृषि क्षेत्र में पराली जलाना मध्य प्रदेश में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।
कचरा प्रबंधन में कमजोरी: कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान न होने के कारण भी प्रदूषण बढ़ रहा है।
वाहनों की संख्या में वृद्धि: वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि हो रही है, जिससे प्रदूषणकारी घटनाएं बढ़ सकती है।
क्या उपाय किए जा सकते हैं
पराली प्रबंधन: पराली को जलाने के बजाय खाद या बिजली बनाने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।
औद्योगिक नियंत्रण: उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को अपनाना होगा।
वाहनों का नियमन: पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाकर और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देकर।
हरित क्षेत्रों का विकास: पेड़ लगाकर और हरित क्षेत्रों को बढ़ाकर।
जागरूकता अभियान: लोगों को प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करना।
सरकारी नीतियां: सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए और उनका पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
मध्य प्रदेश में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर हमने अब से ही इस दिशा में प्रयास नहीं किए तो दिल्ली जैसी स्थिति मध्य प्रदेश में भी देखने को मिल सकती है। हमें सभी को मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए प्रयास करने होंगे।
(लेखक पूर्व पुलिस अधिकारी हैं)