मोहन के बजट में 51042 करोड़ का इजाफा

मोहन के बजट
  • 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ की जगह हुआ 3 लाख 65 हजार 67 करोड़ रुपए का

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार के बजट में लगातार वृद्धि हो रही है। इसका फायदा प्रदेश को भी मिल रहा है। अगर बीते रोज पेश किए गए बजट की बात की जाए तो इस बार इसमें 51042 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि प्रदेश के बजट में एक बार में इतनी अधिक राशि की बढ़ोतरी हुई है। बीते वित्त वर्ष में प्रदेश का बजट 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपए का था, जो इस बार बढक़र 3 लाख 65 हजार 67 करोड़ रुपए हो गया है। इससे बजट में करीब 16 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बजट में 2 लाख 63 हजार 344 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्ति का अनुमान है। प्रदेश को स्वयं के करों से एक लाख 2 हजार 97 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है। यह भी पहली बार है कि मप्र का स्वयं से करों से मिलने वाली राशि एक लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर रही है। केंद्रीय करों से मप्र को 95 हजार 753 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है, वहीं करेत्तर राजस्व के रूप में मप्र को 20603 करोड़ और सहायता अनुदान के रूप में केंद्र से 44 हजार 891 करोड़ रुपए की राशि मिलेगी। पूंजीगत व्यय में लगभग 15 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है और ये 64738 करोड़ रुपए के आंकड़े तक पहुंचेगा। अजजा सब स्कीम पर 40804 करोड़ रुपए खर्च होंगे ,जो कि पिछले वर्ष से 23.4 फीसदी अधिक है। अजा सब स्कीम पर 27900 करोड़ रुपए खर्च होंगे जो कि 16 फीसदी अधिक है।
    कर्ज राशि ने बजट की राशि को पीछे छोड़ा
    प्रदेश पर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। यही वजह है कि अब कर्ज की राशि नए बजट से भी अधिक हो गया है। वित्त विभाग ने जो अनुमान लगाया है, उसके मुताबिक नए कर्ज को मिलाकर मप्र पर कर्ज का आंकड़ा 3 लाख 75 हजार 589 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा, वहीं मप्र का बजट ही अभी 3 लाख 65 हजार करोड़ तक ही पहुंच सका है। इसकी वजह से कर्ज के ब्याज की अदायगी पर सरकार राजस्व प्राप्ति का लगभग 10.40 फीसदी राशि खर्च करेगी, जो कि 21 हजार 69 करोड़ रुपए से अधिक है।
    पुरानी योजनाओं को तबज्जो नहीं
    मोहन सरकार ने शिवराज की कई योजनाओं को इस बजट में तबज्जो नही दी है। इसी तरह से बीते बजट में जो घोषणाएं की गई थीं, उनका इस बजट में कोई उल्लेख तक नहीं किया गया है। इनमें से शिवराज सरकार द्वारा अपने आखिरी बजट में एक लाख सरकारी नौकरी, 12वीं क्लास फस्र्ट डिवीजन से पास करने वाली छात्राओं को ई-स्कूटी देने जैसी कई योजनाओं की घोषणाएं शामिल हैं। इससे उलट इस सरकार का फोकस मोदी की चार जातियां महिला, किसान, युवा व गरीब पर रहा है। यही वजह है कि कुल बजट का 33 फीसदी पैसा महिलाओं पर खर्च किया जाएगा। शिवराज सरकार ने प्रदेश की आधी आबादी के लिए 1.02 लाख करोड़ रुपए बजट में रखे थे। इसकी तुलना में डॉ. मोहन सरकार ने 19 हजार करोड़ से अधिक राशि का प्रावधान किया है।
    फ्री बीज पर लगाम…
    बजट में सरकार ने लाड़ली बहना योजना का पैसा न बढ़ाकर फ्री बीज योजना की राशि बढ़ाने पर फिलहाल ब्रेक लगाया है। दरअसल, शिवराज सरकार का आखिरी बजट चुनावी साल में आया था, इसलिए बड़े वोट बैंक को साधने के लिए कई तरह की लोक-लुभावन घोषणाएं की गई थी। मोहन सरकार ने इनकी जगह धर्म और संस्कृति पर अधिक फोकस किया है। धर्म-संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में शिव सरकार की तुलना में मोहन सरकार का फोकस अधिक है। बीते बजट में सलकनपुर में श्री देवी महालोक, सागर में संत रविदास स्मारक, ओरछा में रामराजा लोक और चित्रकूट में दिव्य वनवासी राम लोक को डेवलप करने के लिए 358 करोड़ रुपए रखे थे, लेकिन मोहन सरकार ने इस मद में राशि बढ़ाकर 700 करोड़ कर दी है। संस्कृति का कुल बजट भी पिछली सरकार से 385 करोड़ ज्यादा है। इसी तरह से इस बजट में  शिवराज की सीखो-कमाओ योजना का उल्लेख तक नहीं किया गया है। योजना में 12वीं, डिप्लोमा और ग्रेजुएट युवाओं को इंटर्नशीप का प्रावधान किया गया था। सरकार ने युवाओं को योग्यता के आधार पर स्टाइपेंड देने का भी ऐलान किया था।

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