डॉ. दीपक मरावी के खिलाफ जांच के नाम पर खानापूर्ति

डॉ. दीपक मरावी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर दीपक मरावी पर 50 से अधिक नर्सों ने दुष्कर्म की कोशिश और छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। लिखित में दी गई शिकायत पर एक्शन लेते हुए मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कमिश्नर गुलशन बामरा को जांच के निर्देश दिए हैं। इसके लिए कमेटी  बना दी गई है। कमेटी को 17 जून को रिपोर्ट देनी थी, लेकिन आज तक जांच अधूरी है। ऐसे में आरोप लग रहा है कि डॉ. दीपक मरावी के खिलाफ जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। यही वजह है कि आरोपी डॉ. मरावी को पद से नहीं हटाया गया है। बार-बार जांच प्रभावित करने की बातें सामने आ रही हैं। मामले की जांच के लिए बनाई गई आंतरिक परिवार कमेटी में पांच के बाद छठवां सदस्य शामिल कर दिया गया। बावजूद इसके अब तक जांच पूरी नहीं हुई है। गौरतलब है कि मंत्री के निर्देश के बाद संभागायुक्त गुलशन बामरा ने जीएमसी डीन डॉ. अरविंद राय को जांच के निर्देश दिए थे। ऐसे में जांच के लिए पांच सदस्यीय आंतरिक परिवाद कमेटी बनाई थी। इस जीएमसी के एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. शिखा मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली कमेटी में जीएमसी के फोरेंसिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. आशीष जैन, सामाजिक कार्यकर्ता प्रार्थना मिश्रा, संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग से नकीजहां कुरैशी और डिप्टी कलेक्टर कलेक्ट्रेट अंकिता त्रिपाठी को सदस्य बनाया गया था। लेकिन, 17 जून को बयान दर्ज करने बैठी जांच कमेटी के साथ जीएमसी की डिप्टी रजिस्ट्रार अमृता बाजपेयी भी शामिल थीं।
अमृता बाजपेयी पर विवाद
17 जून को सुबह बयान दर्ज कराने के लिए। जारी हुए पत्र में अमृता ने छठवें सदस्य के तौर पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सवाल उठ रहा है कि अमृता का नाम कमेटी में कैसे जुड़ा? नर्सों ने अमृता के जांच कमेटी में शामिल होने पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि पिछले कार्यकाल में जब डॉ. मरावी ने नर्सों के साथ छेड़छाड़ की थी तब शिकायत के बाद हुई जांच में अमृता ने मरावी का खुलकर समर्थन किया था। अभी भी जांच के दौरान अमृता नर्सों पर दबाव बना रही हैं। डीन जीएमसी डॉ. राय की ओर से गठित कमेटी को 17 जून तक जांच पूरी करने के निर्देश दिए थे। कमेटी को जांच कर अनुशंसा सहित जांच प्रतिवेदन डीन डॉ. राय को देना था, लेकिन 18 जून को भी कमेटी की ओर से बयान दर्ज करने की कार्रवाई ही की गई है। जांच पूरी कब तक होगी, यह अभी तय नहीं है।
पीड़िताओं की गुहार नहीं मानी
मंत्री सारंग से की गई लिखित शिकायत में यह मांग की गई थी कि पीड़िताओं के बयान जीएमसी परिसर से बाहर कराए जाएं, लेकिन जिम्मेदारों ने उनके बयान जीएमसी में दर्ज किए। 17 जून को जब कई नसें बयान दर्ज कराने के लिए नहीं पहुंची तो उनको आश्वासन दिया था कि 18 जून को दोपहर तीन बजे संभागायुक्त कार्यालय में उनके बयान होंगे। यही नहीं, सिर्फ वहीं सदस्य वहां मौजूद रहेंगे, जो जीएमसी से संबंद्ध नहीं है, लेकिन शनिवार की एक और पत्र जारी कर पीड़िताओं को जीएमसी की पुरानी बिल्डिंग में ही बयान दर्ज कराने बुलाया गया था।

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