बीते चुनाव में कई दल सैकड़ों वोटों तक ही रह गए सीमित

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2019 के लोकसभा चुनाव में 80 दल थे मैदान में

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। करीब 24 साल पहले वर्ष 2000 में मप्र का विभाजन कर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया था, जिसकी वजह से प्रदेश में उस समय मौजूद लोकसभा की 11 सीटें कम होकर 29 सीटें रह गईं थीं। परिसीमन होने के बाद कुछ क्षेत्रों का नाम बदला और कुछ को अन्य क्षेत्रों में सम्मिलित किया गया। प्रदेश में आजादी के बाद 1951-52 के चुनाव में कांग्रेस, भारतीय जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी, रामराज्य पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और हिंदू महासभा ही प्रदेश में मुख्य दल थे, लेकिन समय के साथ चुनावों में उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि होती गई। इसी के साथ देश में राजनीतिक दलों की संख्या में भी बढ़ोतरी हर चुनाव में होती रही। 1957 में मध्य प्रदेश में आठ राजनीतिक दलों के 121 उम्मीदवारों ने चुनाव में अपना भाग्य आजमाया था। अब यह संख्या कई गुना बढ़ गई है। इसी के साथ राजनीतिक दलों के रोचक नाम और उन्हें प्राप्त मत यह दर्शाते हैं कि मतदाता मुख्य राजनीतिक दलों को ही महत्व देता है। इसकी वजह से अन्य दलों की किस्मत में नाममात्र के ही वोट आ पाते हैं। 2004 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में मुख्य दल कांग्रेस व भाजपा के अलावा अन्य राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त दलों के 157 उम्मीदवार मैदान में थे। ये दल प्रदेश के कुल वैध मतों में से सिर्फ 6.29 प्रतिशत मत ही हासिल कर सके थे।
पिछले चुनाव में 80 दल थे मैदान में
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 80 राजनीतिक दलों के कुल 438 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से 29 विजयी रहे थे। प्रदेश में चार या पांच से अधिक राजनीतिक दलों के नाम मतदाता जानते भी नहीं हैं, पर चुनाव में 80 राजनीतिक दलों को मान्यता प्राप्त हुई थी। देश के संसदीय चुनाव में वर्ष 1996 एक ऐसा चुनावी साल रहा, जिसमें देश भर में 13,952 उम्मीदवार 543 सीटों के लिए चुनाव मैदान में उतरे थे। इनमें से प्रदेश में 1259 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। 2019 के चुनाव में देश में राज्य स्तरीय दल 673 थे। इस चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा के अलावा अन्य जो दल चुनाव में उतरे थे, उनमें सर्व प्रधान पार्टी, राइट टू रिकॉल, स्वर्णिम इंकलाब पार्टी, अहिंसा समाज पार्टी, आजाद भारत पार्टी, सनातन संस्कृति दल के उम्मीदवार प्रदेश में चुनाव लड़ रहे थे। उन्हें मत भले ही कम मिले हों पर वे चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज जरूर करवाते हैं। पूरे देश में आरक्षण का विरोध होता है। 2019 में आरक्षण विरोधी पार्टी ने भी प्रदेश में उम्मीदवार खड़े किए थे, उन्हें प्रदेश में 6335 मत हासिल हुए थे। कई राजनीतिक दल तो ऐसे हैं कि उन्हें एक हजार से भी कम मत प्राप्त हुए हैं।
2024 के चुनाव में भी प्रदेश में राष्ट्रीय जनसंचार दल, राष्ट्रीय समाज पक्ष, आपका गणतंत्र पार्टी, आदिम समाज पार्टी, राष्ट्र, निर्माण पार्टी, स्मार्ट इंडियन पार्टी, अहिंसा समाज पार्टी, आदर्श न्याय रक्षक पार्टी, नवधर्म सभा, स्वीप पार्टी, सजग समाज पार्टी, लोक समाज पार्टी, पिछड़ा समाज पार्टी, स्वतंत्र किसान पार्टी, मानवीय भारत पार्टी जैसे नामों की राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमाया था। इन दलों के नाम संभवत पहली बार मतदाता को सुनने को मिले होंगे। ये दल मत भले ही कम प्राप्त करें पर चुनाव में इनकी उपस्थिति बनी रहती है।
किस दल को कितने मिले थे मत
सर्व प्रधान पार्टी (मध्य प्रदेश) 418, राइट टू रिकॉल 484, स्वर्णिंम भारत इंकलाब 527, सनातन संस्कृति दल 572, रिपब्लिक पार्टी ऑफ  इंडिया 825, राष्ट्र निर्माण पार्टी 930, अखंड राष्ट्रवादी पार्टी 933, स्वतंत्र जनतंत्र राज पार्टी 968, अहिंसा विकास पार्टी 1325, अहिंसा समाज पार्टी 1424 आदर्श न्याय रक्षा पार्टी 2360, आल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक 3236, आजाद भारत पार्टी 3472 और आरक्षण विरोध पार्टी को 6335 मत मिल सके थे। 

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