पहला चरण…तीन पर टक्कर तो तीन पर भाजपा मजबूत

  • गौरव चौहान
भाजपा

प्रदेश में पहले चरण में बीते रोज चुनाव प्रचार थमने के बाद अब कल मतदान होना है। पहले चरण में प्रदेश की छह सीटों के लिए मतदान होगा। इनमें प्रदेश की सबसे चर्चित सीट छिंदवाड़ा के साथ ही बालाघाट, जबलपुर, सीधी, मंडला और शहडोल  शामिल हैं। चुनाव प्रचार थमने के पहले तक भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने मतदाताओं को साधने पूरा जोर लगा दिया। भाजपा मोदी के चेहरे के साथ ही राम मंदिर, हिंदुत्व और केंद्र की तमाम हितग्राही योजनाओं को लेकर मैदान में है, तो  वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी अपनी छवि के साथ ही आदिवासी वोटरों के भरोसे है। इसमें सबसे रोचक मुकाबला छिंदवाड़ा सीट पर हो रहा है।
मंडला में मरकाम की चुनौती
मंडला में भी ऊंट किस करवट बैठेगा कहा नहीं जा सकता है। इस सीट पर भाजपा ने केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते पर एक बार फिर से दांव लगाया है। उनका जनता में विरोध है। कुलस्ते निवास सीट से विधानसभा चुनाव भी हार चुके हैं। यह बात अलग है कि भाजपा मुफ्त राशन, पीएम आवास, लाडली बहना योजना और मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। वहीं कांग्रेस ने विधायक ओमकार सिंह मरकाम को टिकट दिया है। कांग्रेस को आदिवासी वोटों पर भरोसा है। इस सीट पर आठ में से पांच विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी यहां पर चुनाव में है। ऐसे में आदिवासी वोट बंटने से कांग्रेस को नुकसान होता दिख रहा है।
छिंदवाड़ा की आदिवासियों के हाथ चाबी
छिंदवाड़ा में मुकाबला बराबरी का है। यहां पर आदिवासी वोटर हार जीत तय करेंगे। संसदीय सीट पर 37 प्रतिशत आबादी आदिवासी वर्ग की है। यही वजह है कि भाजपा ने अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह को भाजपा में शामिल कराया। वहीं, सबसे बड़ा मुद्दा क्षेत्र की जनता का नकुलनाथ को पसंद नहीं करना है। हालांकि, लोग कमलनाथ को अभी भी मानते हैं कि उन्होंने जिले में विकास कार्य कराए हैं। यही वजह है कि अब कमलनाथ ने चुनाव में मोर्चा संभाल लिया है। वहीं, भाजपा मोदी को आगे रखने के साथ ही अपने बड़े चेहरों को लगातार इस सीट पर प्रचार में झोंके  रही है।  
मुंजारे से भाजपा फायदे में
बालाघाट संसदीय सीट पर भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है। इस सीट पर भाजपा ने  भारती पारधी को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने सामान्य वर्ग से आने वाले सम्राट सरस्वार पर दांव लगाया है। यहां पर लड़ाई पवार वर्सेस लोधी की है। बालाघाट से विधायक अनुभा मुंजारे लोधी समाज से आती हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी को लोधी वोट मिल जाने थे, लेकिन अनुभा मुंजारे के पति पूर्व सांसद कंकर मुंजारे बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसका कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। इसका फायदा भाजपा को मिलना तय माना जा रहा है।
जबलपुर में भाजपा को फिर बढ़त
भाजपा अपने गढ़ जबलपुर में एक बार फिर से मजबूत दिख रही है। इसकी वजह है महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी और एकता ठाकुर का भाजपा में शामिल होना। इससे कांग्रेस को बहुत नुकसान हुआ है। यहां पर कांग्रेस ने आखिरी बार 1991 में जीत दर्ज की थी। इसके बाद से यहां पर भाजपा ही चुनाव जीतते आ रही है। यहां पर भाजपा के आशीष दुबे और कांग्रेस के दिनेश यादव के बीच मुकाबला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जबलपुर में रोड शो किया जा चुका है। भाजपा ने यहां पर हिंदुत्व और राम मंदिर को आगे रखकर चुनाव प्रचार किया है।
शहडोल में मोदी फैक्टर का जादू  
शहडोल में भाजपा शुरू से ही बढ़त लेती दिखी है। इस सीट की आठ विधानसभा सीट में से सिर्फ एक सीट पुष्पराजगढ़ सीट कांग्रेस के पास है। इस सीट से विधायक फुंदेलाल मार्को को ही कांग्रेस ने टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने सांसद हिमाद्री सिंह को प्रत्याशी बनाया है। केंद्र सरकार की योजनाओं का फायदा आदिवासियों को मिल रहा है। वहीं, मोदी फैक्टर चल रहा है। इस क्षेत्र में भाजपा को विकास का भी फायदा मिलता दिख रहा है।
सीधी में कड़ा मुकाबला
सीधी सीट पर मुकाबला बेहद कड़ा दिख रहा है। यहां पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी भाजपा के लिए मुसीबत बने हुए हैं।  इस लोकसभा सीट की आठ में से सात भाजपा के पास और सिर्फ एक सीट चुरहट ही कांग्रेस के पास है। भाजपा ने सामान्य वर्ग के डॉ. राजेंद्र मिश्रा को, तो  कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग से आने वाले पूर्व विधायक कमलेश्वर पटेल पर दांव लगाया है। भाजपा से बागी पूर्व सांसद अजय प्रताप सिंह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं।

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