राजधानी में प्रधानमंत्री आवास… योजना फेल, 33 हजार में से मात्र 4 हजार मकान ही बने

रधानमंत्री आवास योजना

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। गरीबों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना राजधानी भोपाल में कागजी हाथी बनकर रह गई है। जमीन मिलने में देरी और पैसों की कमी के कारण भोपाल में योजना फेल हो गई है। योजना के तहत राजधानी में 33 हजार से अधिक मकान बनाने थे, लेकिन अभी तक केवल 4 हजार मकान ही बन पाए हैं। अफसरों की लापरवाही और भर्राशाही से गरीबों के सपनों पर पानी फिर गया है।
जानकारी के अनुसार राजधानी में प्रधानमंत्री आवास योजना फेल होने में सीधे तौर पर शासन-प्रशासन जिम्मेदार रहा है। योजना में अधिकांश प्रोजेक्ट के लिए ठेकेदार को वर्क ऑर्डर जारी करने के बाद जमीन मिल पाई। कुछ ऐसी जगह दे दी गई जहां निर्माण किया ही नहीं जा सकता। फंड मैनेजमेंट भी गड़बड़ रहा। नतीजा, ईडब्ल्यूएस के लिए केवल चार हजार मकान ही बनाए जा सके जबकि, लक्ष्य 33 हजार से अधिक का था।
शहर में बनाए जाना है 51 हजार से ज्यादा मकान
योजना के तहत शहर में 51 हजार से ज्यादा मकान बनाए जाना हैं। इसमें 33284 ईडब्ल्यूएस, 14366 एलआईजी और 4044 एमआईजी शामिल हैं केंद्र व राज्य सरकार की मदद से इस योजना को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। नगर निगम की भी इसमें हिस्सेदारी है। बीएमसी को 32,468 ईडब्ल्यूएस मकान बनाना हैं। बाकी 18 हजार से अधिक एलआईजी व एमआईजी हैं। वहीं विभिन्न प्रोजेक्ट्स में 8278 आवासों और इंफ्रास्ट्रक्चर का कार्य चल रहा है। अब तक करीब 3 हजार मकान आवंटित किए जा चुके हैं। इनके अलावा 5 हजार आवासों का निर्माण फाइनल स्टेज पर है। साथ ही 4 हजार से अधिक मकान बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इस तरह कुल 15 हजार आवास ही बन पाएंगे। बाकी मकानों की योजनाएं लंबे समय से कागजों पर ही हैं।
नगर निगम का खजाना खाली
योजना में ईडब्ल्यूएस मकान बनाने के लिए केंद्र सरकार प्रति हितग्राही डेढ़ लाख रुपए और राज्य इतनी ही राशि दे रहा है। हितग्राही से 1.94 लाख रुपए लिया जाएगा। जबकि एक ईडब्ल्यूएस के निर्माण पर करीब आठ लाख रुपए का खर्च आएगा। नगर निगम को प्रत्येक ईडब्ल्यूएस के लिए 3.16 लाख रुपए खुद जुटाना होंगे। ऐसे में निगम अगर 32 हजार ईडब्ल्यूएस बनाएगा तो उसका खर्च ही 500 करोड़ रुपए के पास पहुंच जाएगा। वैसे ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे निगम के लिए किसी भी हाल में इतनी राशि की व्यवस्था कर पाना संभव नहीं है। एलआईजी, एमआईजी की क्रॉस सब्सिडी से भी यह पैसा नहीं निकल पाएगा। यही वजह है कि निगम अब चार हजार ईडब्ल्यूएस ही बना पाया है।
खाली जमीनों के नहीं मिल रहे खरीददार
प्रदेश के अधिकांश नगरीय निकायों के पास झुग्गीवासियों का मकान देने से खाली हुई जमीन उपलब्ध है। इनको बेच कर पैसा जुटाने का प्लान है। भोपाल नगर निगम श्याम नगर, 12 नंबर स्टॉप समेत अन्य स्थानों की खाली जमीन बेचने की नाकाम कोशिश कर चुका है। केवल एक ही जगह खरीदार ने दिलचस्पी दिखाई। ऐसे में निगम प्रशासन को अन्य विकल्प तलाशना पड़े। फिर तय किया गया कि खाली भूमि पर एमआईजी मकान बना कर बेचे जाएंगे। यह प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर भी किए जा सकते हैं। इससे मिलने वाली राशि से ईडब्ल्यूएस व एलआईजी मकानों का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा कुछ जगह रिक्त जमीन पर दुकानें व कॉम्प्लेक्स बनाए जा सकते हैं। 12 नंबर स्टॉप के पास इसके लिए जमीन चिन्हांकित करने की प्रक्रिया भी चल रही है। दुकानें बेचने से होने वाले मुनाफे से हाउसिंग फॉर ऑल के मकानों का निर्माण किया जाएगा।

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