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भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। केन्द्र सरकार द्वारा संचालित तमाम योजनाओं और प्रयासों के बाद भी बीते तीन सालों में देश में प्रति व्यक्ति आय में महज तीन हजार रुपए की ही वृद्धि हो सकी है। यानि की हर साल औसत रुप से महज एक हजार रुपए की ही वृद्धि हो सकी है। इस मामले में खास बात यह है कि मप्र ने इस मामले में सभी प्रदेशों को पीछा छोड़ते हुए पहला स्थान पाया है। यह जानकारी संसद में सरकार द्वारा दी गई है। दरअसल सांख्यिकी- कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार ने बीते 3 साल में राज्यवार प्रति व्यक्ति आय का हिसाब-किताब रखा है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति आय में कितना अंतर है। इसे पाटने के लिए सरकार ने कौन से कदम उठाए हैं। इसके उत्तर में सरकार ने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 से लेकर 2020-21 के बीच प्रति व्यक्ति आय में करीब 3000 रुपए का इजाफा हुआ। 2018-19 में प्रति व्यक्ति आय 1,25,883 रु. थी। वर्ष 2019-20 में करीब 9000 रु. बढ़कर आय 1,34,186 रु. हो गई थी। इसके बाद कोरोना के आने से वित्त वर्ष 2020-21 में आय करीब 6000 रुपए गिरकर 1,28,829 रुपए सालाना रह गई थी। इस मामले में जब जीएसटी योगदान और प्रति व्यक्ति आय की तुलना की गई तो पता चला कि जीएसटी में 14 प्रतिशत का अंश देने वाले महाराष्ट्र की 5 साल में आय 37 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि 2 प्रतिशत का योगदान देने वाले मप्र में आय 66 प्रतिशत बढ़ी है। इसी तरह से बीते पांच सालों में गुजरात की आय 53 बढ़ी जबकि उसका जीएसटी में हिस्सा 7.3 फीसदी है।