– प् रदेश में अब तक नहीं बन सकी है राज्य चुनाव समिति
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव हों या लोकसभा चुनाव हर राजनैतिक दल प्रत्याशी चयन के लिए राज्य चुनाव समिति का गठन करती है। इस समिति की बैठक में ही प्रत्याशी के नामों पर चर्चा होती है और उसके बाद ही सूची अंतिम मुहर लगने के लिए दिल्ली भेजी जाती है। इस परंपरा को इस बार भाजपा ने तोड़ दिया है। प्रदेश में चुनाव की तैयारी में जुटा संगठन अब तक प्रदेश की चुनाव समिति का गठन तक नहीं कर सका है। इसके बाद भी प्रदेश की 39 सीटों के लिए दिल्ली से सीधे प्रत्याशियों की सूची जारी की जा चुकी है। इस सूची के जारी होने के बाद सभी आश्चर्य में पड़ गए। दरअसल प्रदेश के चुनाव की पूरी बागडोर इस बार केंद्रीय गृहमंत्री और चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने अपने हाथों में ले रखी है। मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, राजनीतिक दलों के रणनीति में भी बदलाव होता जा रहा है। इस मामले में आश्चर्य की बात यह है कि जिस भाजपा को संगठन के लिए जाना जाता है, उसमें इस तरह का कदम उठाया गया है।
भाजपा में आम तौर पर उम्मीदवार तय करने के लिए पहले राज्य की चुनाव समिति में चर्चा होती है और उसके बाद केंद्रीय चुनाव समिति फैसला करती है, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के लिए 39 उम्मीदवारों की जो सूची आई है, उसके लिए राज्य चुनाव समिति की बैठक तक ही नहीं हुई। राज्य के प्रमुख नेताओं से चर्चा करने के बाद केंद्रीय चुनाव समिति ने पहली सूची जारी कर दी। इसकी वजह से अब कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद ही अब प्रदेश में राज्य चुनाव समिति का गठन होगा। माना जा रहा है की अब दूसरी सूची भी इसी तर्ज पर तैयार कर ली गई है, जिसका नेता जारी होने का इंतजार कर रहे हैं। इसके साथ ही हर रोज सामने आ रहीं नई चुनौतियों को लेकर भी नए नए कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि पार्टी के विधायक ने एक साथ अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री के साथ ही विपक्ष के नेता को भी मांग पूरी होने पर धन्यवाद दिया हो। यह मामला है गाहे बगाहे विवादों में रहने वाले नारायण त्रिपाठी का । उनके द्वारा मैहर को जिला बनाए जाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही कांग्रेस नेता कमलनाथ का एक साथ एक ही पोस्टर में आभार जताया है।
बढ़ी दिक्कतें
प्रदेश में भाजपा ने सबसे पहले उम्मीदवार घोषित कर भले ही बाजी मार ली है, लेकिन इसकी वजह से पार्टी के लिए अंदरूनी परेशानियां भी बढ़ गई हैं। हालत यह हैं कि अब पार्टी को इससे भी जूझना पड़ रहा है। उधर बाकी रह गई सीटों के प्रत्याशियों को लेकर कयासबाजी का दौर शुरू हो चुका है। इस बीच मौजूदा विधायकों में भी कयासों का दौर जारी है। दरअसल टिकटों का काम केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सीधा अपने हाथों में लेने की वजह से अब प्रदेश के बड़े नेताओं ने हाथ खड़े करना शुरू कर दिया है। कुछ सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित होने के बाद बाकी सीटों के लिए नेताओं की उम्मीदें और प्रयास भी बढ़े हैं, लेकिन मामला केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में होने से प्रदेश के प्रमुख नेता भी किसी को आश्वस्त नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में कुछ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है तो कुछ और अपने लिए दूसरे रास्ते तलाशने में जुट गए हैं।