60 फीसदी जिलों में आधा भी नहीं हुआ काम

 जल संसाधन विभाग
  • ग्रामीण इलाकों में नल से जल पहुंचाने का मामला

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जल संसाधन विभाग के अफसर न केवल प्रदेश सरकार, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फ्लेगशिप योजना जीवन मिशन को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। शायद यही वजह है कि यह योजना प्रदेश में गति नहीं पकड़ पा रही है। योजना को प्रदेश में लागू हुए तीन साल का समय हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी अब तक इसमें प्रदेश के 60 फीसदी से अधिक जिलों में आधा यानि की 50 फीसदी भी काम नहीं हो सका है। यही नहीं कई जिलों के ग्रामीण इलाकों में तो हालात यह हैं कि योजना कागजों में पूरी हो चुकी है, लेकिन घरों में पानी अब तक नहीं आ पाया है। इसकी वजह से घरों में लगे नल लोगोंं को चिढ़ाने का काम कर रहे हैं। योजना के तहत भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के हर घर 2024 तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन करीब तीन साल पहले प्रदेश सरकार द्वारा इस योजना को एक साल पहले ही यानि की इसी साल के अंत तक पूरा करने का दावा केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री के सामने किया गया था। अगर इस माह तक के हाल देखें तो प्रदेश में कुल मिलाकर 48.59 फीसदी यानी 58,23,626 घरों में ही नल कनेक्शन हुए हैं, जबकि अधिकांश घरों में टेस्टिंग के बाद से पानी ही नहीं आ रहा है। यही नहीं प्रदेश के 29 जिलों में तो 50 फीसदी काम भी पूरा नहीं हुआ है। हद तो यह है कि इस मामले में विभाग के अफसरों को अपने मंत्री के इलाके तक की ङ्क्षचता नहीं है। यही वजह है कि जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट के विधानसभा क्षेत्र सांवेर में योजना की हालत बेहद खराब बनी हुई है। इसके बाद भी मंत्री बेहद बेफिक्र नजर आते हैं। उनके इलाके के गांवो में पानी के लिए टंकियां बनीं हैं, लेकिन उनमें लीकेज होता है, जहां पर टंकियां ठीक हैं तो बोरिंग सूख चुकी हैं। पानी के इंतजार में घरों के बाहर लगी टोटियां तक टूट चुकी हैं। विभाग कह रहा है कि अब नलों में बारिश के समय ही पानी आ पाएगा। यह बात अलग है कि इन हालातों से मंत्री इंकार करते हुए कहते  हैं उनके यहां इस तरह की स्थिति नहीं है।
छतरपुर व सतना जिला सर्वाधिक फिसड्डी
प्रदेश के छतरपुर और सतना जिले ऐसे हैं जहां पर 256 फीसदी भी काम नहीं हुआ है। छतरपुर में बड़ामलहरा और बकस्वाहा जनपद पंचायतों में पाइप लाइनें डल गई हैं, लेकिन सप्लाई शुरू नहीं हो सकी। छतरपुर के नौगांव, राजनगर जनपद और पन्ना जिले में पवई, व्यारमा और सिंगौरा प्रोजेक्ट के लिए अभी तक सिर्फ टेंडर ही मंजूर हुए हैं। इस वजह से यह दो जिले इस योजना के क्रियान्वयन में फिसड्डी बने हुए हैं।
सांवेर में यह हैं हाल
सांवेर के 800 की आबादी वाले शाहदा गांव में समस्या और गंभीर है। योजना में ओवरहेड टैंक के बजाय संपवेल बना दिया, जिसमें पूरे गांव का गंदा पानी मिल रहा है। यहां के प्रकाश डाभी, भैरूसिंह डाभी, कमलाबाई ने बताया टेस्टिंग के वक्त 15 दिन नलों में पानी आया था, वह भी इतना गंदा कि किसी काम का नहीं था। बड़ोदिया खान गांव के किसान नरेंद्रसिंह सोलंकी कहते हैं कि दिसंबर 22 में नलों में पानी आया , लेकिन गंदा और बदबूदार। जिसका उपयोग ही संभाव नही था।  ? वह तो शुक्र है कि गांव में निजी बोरिंग है, जिससे पूर्ति हो रही है।
केन्द्र दे रहा है आधी राशि
इस योजना के लिए केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश सरकार को 1280 करोड़ रुपया दिया गया है , जबकि इतनी ही राशि राज्य सरकार को इस योजना में देनी है। यही नहीं राशि की कमी न रहे और समय पर काम पूरा हो सके इसके लिए इस योजना को मनरेगा में भी शामिल किया गया है। इसके बाद से मनरेगा में 65 प्रतिशत राशि जल संबंधी कार्यों के लिए खर्च की जा सकती है। इसमें से भी कुछ राशि का प्रयोग जल जीवन मिशन के लिए किया जा सकता है। उधर, सरकार का कहना था कि  जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रदेश में घर पर नल के माध्यम से जल प्रदाय से शेष लगभग 85 प्रतिशत (103.67 लाख) परिवारों को फंक्शनल हाऊसहोल्ड टैप कनेक्शन (एफएचटीसी) के माध्यम से वर्ष 2023-24 तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है।

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