- सरकार चलाने का पूरा कंट्रोल डॉ. मोहन के हाथ…
- गौरव चौहान
मप्र में नई सरकार के मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा हो गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सरकार चलाने वाले बड़े विभाग अपने पास ही रखे हैं। दरअसल सीएम के पास गृह, सामान्य प्रशासन, खनिज साधन, जनसंपर्क और लोकसेवा प्रबंधन जैसे सबसे बड़े विभाग रहेंगे। इससे पहले अमूमन इतने भारी भरकम विभाग सीएम के पास नहीं रहे हैं। सीएम डॉ. यादव के पास दस से ज्यादा ऐसे विभाग हैं, जो प्रशासनिक कसावट से लेकर कानून व्यवस्था, लोक प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं, जो सीधे जनता से जुड़े हुए हैं। प्रवासी मंत्रालय भी सीएम ने अपने पास रखा है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रवासी भारतीयों का निवेश के लिहाज से मध्यप्रदेश के प्रति आकर्षण बढ़ा है। हालांकि, दिग्गज नेताओं को उनके अनुभव के आधार पर विभाग बांटे गए हैं। वहीं नए मंत्रियों को भी बड़ी जिम्मेदारी देकर उन्हें काम करने का मौका दिया गया है। यानी मुख्यमंत्री ने उम्मीद के अनुरूप ही मंत्रिमंडल के साथियों को विभाग के बंटवारे में संतुलन साधने का काम किया है। अनुभव को जहां महत्व दिया गया है, वहीं नए मंत्रियों को काम करने का मौका दिया है।
नई सरकार के मंत्रियों को विभागों के बंटवारे ने स्पष्ट तौर पर संकेत दिया है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ही सबसे पावरफुल रहेंगे। राजनीति के जानकारों का कहना है कि विभाग बंटवारे के जरिए शीर्ष नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि मप्र में सत्ता की कमान पूरी तरह से सीएम के पास ही रहेगी। जब दिग्गज विधायकों को मंत्री बनाया गया था, तब उन्हें बड़े विभाग देने की बात कही जा रही थी, तब ये भी कहा जा रहा था कि मप्र में सत्ता के पावर का विकेद्रीकरण हो सकता है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व इसे सिरे से नकारते हुए साफ कर दिया कि उसने जिस तरह से डॉ. यादव को सीएम बनाया है, वे उसी तरह सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होंगे। उन्हें इसके लिए किसी भी मंत्री से सलाह मशविरा नहीं करना पड़ेगा।
शहरों के विकास का जिम्मा अनुभवी कैलाश को
डॉ. मोहन कैबिनेट के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय को उनकी चॉइस के अनुसार नगरीय विकास एवं प्रशासन विभाग का मंत्री बनाया गया है। पिछली सरकार में यह विभाग सीएम के करीबी पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के पास था। शहरी विकास का जिम्मा इसी विभाग पर हैं। भोपाल और इंदौर में मेट्रो का काम चल रहा है। वहीं, आने वाले समय में जबलपुर और ग्वालियर में भी मेट्रो का संचालन होना है। इसकी घोषणा भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में भी की है। इसके अलावा नगरीय विकास विभाग में कई केंद्र समर्थित योजनाएं चल रही है। अब सीएम ने उनका सफल क्रियान्वयन की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय को दी है। इस विभाग का बजट भी सबसे ज्यादा रहता है। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को डॉ. मोहन कैबिनेट में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया है। यह बड़ा विभाग हैं। ग्रामीण क्षेत्रों का विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में हैं। राज्य के साथ ही केंद्र सरकार से भी ग्रामीण विकास के लिए बड़ा बजट आता है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्र तक ले जाना बड़ी जिम्मेदारी होगी। हालांकि विभाग में मंत्री को कोई ज्यादा पावर ज्यादा नहीं हैं। इससे पहले प्रहलाद पटेल को गृह विभाग देने के कयास लगाए जा रहे थे। पूर्व सांसद राकेश सिंह को लोक निर्माण विभाग और पूर्व सांसद राव उदय प्रताप को परिवहन और स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी है। जानकारों का कहना है कि वरिष्ठ नेताओं को उनके अनुभव के आधार पर विभाग का बंटवारा किया गया है। वहीं, वित्तीय प्रबंधन का दारोमदार फिर जगदीश देवड़ा के ऊपर रहेगा। शिवराज सरकार में भी देवड़ा ने किसी विभाग को राशि का संकट नहीं आने दिया। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने जनजातीय कार्य विभाग का काम देख चुके विजय शाह को फिर एक बार आदिवासियों के हित में सरकार द्वारा किए जा रहे कामों को आगे बढ़ाने की जवाबदारी दी है। शिवराज सरकार में उनके पास वन विभाग था पर पिछले दिनों वे एक विवाद में घिर गए थे। विश्वास सारंग को सहकारिता और खेल एवं युवा कल्याण विभाग दिया गया। सारंग शिवराज कैबिनेट में सहकारिता विभाग की जिम्मेदारी पहले भी निभा चुके है। तब उन्होंने इस विभाग में कई नवाचार किए थे, जिसकी वजह से सहकारिता विभाग का जहां महत्व बढ़ा था, वहीं इससे किसानों व सहकारी संस्थाओं को लाभ मिला था। तब उनके इस कार्य की सराहना दिल्ली स्तर से भी हुई थी। संभवत: इसी के चलते सीएम डॉ. यादव व शीर्ष नेतृत्व ने सहकारिता विभाग को और बेहतर बनाने पर सारंग पर विश्वास जताया और उन्हें सहकारिता विभाग दिला दिया। इसी तरह खेल और युवा कल्याण विभाग भी उनकी सक्रियता के चलते मिला है।
सिंधिया समर्थकों का कद हुआ कम…
नई सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों का महत्व पिछली बार से कम हुआ है। हालांकि तुलसी सिलावट को जल संसाधन विभाग पुन: दिया गया है, लेकिन मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग वापस ले लिया गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत को पिछली बार के मुकाबले कमजोर विभाग दिया गया है। राजपूत के पास पिछली बार राजस्व व परिवहन जैसा महत्वपूर्ण विभाग था। सिंधिया समर्थक प्रद्युम्न सिंह तोमर को फिर ऊर्जा विभाग ही दिया गया है। 5 साल बाद फिर राजस्व विभाग करण सिंह वर्मा को दिया गया है।
नए नवेलों को भी बड़ी जिम्मेदारी…
पहली बार चुनाव जीतकर मंत्री बने विधायकों को भी डॉ. यादव ने बड़े विभागों की जिम्मेदारी दी है। इनमें दिलीप जायसवाल, कुटीर एवं ग्रामोद्योग को स्वतंत्र प्रभार दिया गया है, तो राज्य मंत्री बने पहली बार के विधायक दिलीप अहिरवार को वन पर्यावरण, नरेंद्र शिवाजी पटेल को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, प्रतिमा बागरी को नगरीय विकास एवं आवास का राज्य मंत्री बनाकर इन महत्वपूर्ण विभागों के जरिए कैसे विकास का काम किए जाते है, इसे सीखने का मौका मिलेगा। स्वतंत्र प्रभार की मंत्री बनी कृष्णा गौर भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से एक लाख से भी ज्यादा मतों के अंतर से जीती है। वे पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सदस्य के तौर पर पिछली सरकार के दौरान सक्रिय रही है और उन्होंने इस वर्ग के लिए काफी काम किया है। वे पिछड़ा वर्ग मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। इसके लिए उन्होंने देश भर में दौरे किए हैं और इस वर्ग के कल्याण के लिए प्रदेश व केन्द्र सरकार को अपने सुझाव दिए। उनके अनुभव के चलते उन्हें पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण जैसे विभाग में स्वतंत्र मंत्री के रूप में काम करने को कहा गया है। मेहनती और जनता के बीच खास पैठ बनाने वाली गौर पर शीर्ष नेतृत्व ने मध्यप्रदेश में इस वर्ग के उत्थान की सोच समझ कर जिम्मेदारी सौंपी है।