पड़ोसियों की नीति से मप्र में रोका जाएगा अवैध खनन

अवैध उत्खनन

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में खनिज संपदा का अवैध खनन ऐसा नासूर बन गया है जो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अभी तक प्रदेश सरकार ने अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं, नीतियों में बदलाव किया है उसके बाद भी माफिया को अवैध खनन से रोका नहीं जा सका है। ऐसे में खनिज साधन विभाग ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित दो अन्य राज्यों से खनिज नीति की मांग की है। इसमें देखा जाएगा कि संबंधित राज्यों ने किस प्रकार अवैध उत्खनन पर रोक लगाई है और इन राज्यों ने क्या परिणाम मूलक प्रयास किए हैं। राज्यों की खनिज नीति का अध्ययन करने के बाद विभाग के अधिकारियों का दल संबंधित राज्यों का दौरा भी करेगा।
प्रदेश में पिछले साल खनिज, पुलिस और वन विभाग ने मिलकर अवैध रेत उत्खनन व परिवहन के 1800 प्रकरण दर्ज किए हैं। इनमें 24 हजार 932 घन मीटर रेत जब्त की गई है। एक हजार 792 चार पहिया वाहन जब्त हुए हैं और 23 वाहन राजसात किए गए हैं। इस स्थिति ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। प्रमुख सचिव खनिज साधन विभाग सुखबीर सिंह कहते हैं कि पांच राज्यों से खनिज नीति मंगाई गई है। उसका अध्ययन करने के बाद अधिकारियों के दल संबंधित राज्यों में भेजेंगे। मई-जून तक प्रक्रिया पूरी कर नियमों का मसौदा तैयार करेंगे।

प्रभावी कदम उठाने के निर्देश
गौरतलब है कि विभाग की समीक्षा के समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विभाग के अधिकारियों को अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद खनिज विभाग ने इन राज्यों के खनिज विभाग को पत्र लिखकर खनिज नीति की मांग की है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि संबंधित राज्य अवैध उत्खनन पर रोक लगाने में कामयाब रहे हैं। अन्य राज्यों से मांगी गई खनिज नीति में यह भी देखा जाएगा कि मध्य प्रदेश में ट्रांजिट परमिट (टीपी),उत्खनन और परिवहन को व्यवस्थित करने के लिए क्या किया जा सकता है।
छतरपुर में सबसे अधिक प्रकरण दर्ज
खनिज विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के लगभग सभी जिलों में अवैध खनन हो रहा है। प्रदेश में अवैध खनन के सबसे अधिक प्रकरण छतरपुर में दर्ज किए गए हैं। वहां 90 प्रकरण दर्ज हैं। वहीं ग्वालियर में 66, सीहोर में 64, राजगढ़ में 59 और खरगोन में 58 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। जबकि खरगोन में सबसे अधिक 3571 घन मीटर में रेत जब्त की गई है। इसी तरह रतलाम 3151 घन मीटर, टीकमगढ़ 3135 घन मीटर, जबलपुर 2119 घन मीटर और छतरपुर 1805 घन मीटर रेत जब्त की गई है। रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन के लिए प्रदेश के आठ जिले कुख्यात हैं। पिछले साल छतरपुर, ग्वालियर, सीहोर, राजगढ़ और खरगोन में अवैध रेत परिवहन के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
खदानों की उपग्रह से की जाएगी मेपिंग
रेत का अवैध उत्खनन रोकने के लिए देशभर में उपग्रह मेपिंग का सहारा लिया जाएगा। भारतीय खान ब्यूरो ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत हर साल मई-जून में ठेकेदारों को ड्रोन से खदान की इमेज तैयार कराकर खान ब्यूरो को भेजना पड़ेगी। ब्यूरो के पास पहले से खदान का उपग्रह मेप, डाटा, क्षेत्र, राजस्व मेप अपलोड होगा। इसके आधार पर ठेकेदार द्वारा भेजी गई इमेज का मिलान किया जाएगा। यह व्यवस्था फिलहाल 50 हेक्टेयर और 10 लाख टन उत्खनन वाली खदानों के लिए की गई है। खान ब्यूरो के निर्देशों के तहत ठेकेदारों को खदान की सीमा की सौ मीटर की परिधि में ड्रोन से इमेज लेनी होगी।

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