
- अब भी बना हुआ है 1245 कालोनियों को वैध होने का इंतजार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अब तक तीन बार अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा की जा चुकी है। इस बीच कितनी कालोनियां वैध हो पाती हैं उनसे कई गुना तब नई अवैध कालोनियां बन जाती हैं। की शिव सरकार ने चुनाव से पहले 31 दिसम्बर 2022 तक की सभी कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी। इसके पहले वर्ष 2018 और 31 दिसम्बर 2016 तक की भी कालोनियों को वैध करने के ऐलान हो चुके हैं, बावजूद प्रदेश में मौजूद आठ हजार में से सिर्फ 600 अवैध कॉलोनियां ही वैध हो सकी हैं। साल 2016 में जब अवैध कॉलोनियों को वैध करने का नियम आया तो उस समय 6077 अवैध कॉलोनियां चिन्हित की गईं थी। इसके बाद 2023 में इनकी संख्या 7981 पर पहुंच गई पर इन सात सालों में सिर्फ 659 कॉलोनियां ही वैध हो पाईं। दरअसल अवैध कॉलोनियों को वैध करने में नगरीय निकायों और रहवासियों के बीच समझौता का रास्ता चुना गया है। लेकिन इस ओर न निकाय ध्यान दे रहे और न ही रहवासी सक्रिय हैं। सरकार अब अवैध कॉलोनी पर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर रही है। अब अगर अवैध कॉलोनी कटी तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी पर होगी। इसके लिए निकायों में अलग से अमला होगा।
विधानसभा चुनाव 2023 के पहले चला था अभियान
प्रदेश के 300 निकायों में 31 दिसम्बर 2016 तक 6,077 अवैध कॉलोनियां चिन्हित की गई थीं। इन कॉलोनियों को वैध करने की अधिसूचना जारी की गई थी। शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनाव 2023 से पहले अभियान चलाया था जिसमें 659 कॉलोनियां वैध हुई थीं।
यह था सरकार का प्रस्ताव
ड्डचिन्हित अवैध कॉलोनी का ले आउट और एस्टीमेट बनेगा।
ड्डले आउट जारी करने के बाद आपत्ति दर्ज कराने जनसुनवाई होगी। इसके बाद फाइनल ले आउट के आधार पर नियमितिकरण की प्रक्रिया शुरू होगी।
ड्डकॉलोनी के इन्फास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए कॉलोनाइजर और रहवासियों से एक मुश्त राशि ली जाएगी।
वैध होने पर क्या मिला
जिन कॉलोनियों में भवन अनुज्ञा देने की अनुमति जारी की जा सकी है। वहां अमृत योजना, अधो-संरचना मद तथा सांसद एवं विधायक निधि आदि से विकास कार्य हो सकेंगे। बैंकों से लोन मिल सकेगा।
बिहारी लाल बता रहे कि क्यों नहीं है उनकी रुचि
भोपाल के बागसेवनिया निवासी बिहारी लाल तिवारी कहते हैं कि उनकी कॉलोनी को वैध कराने में उनकी कोई रुचि नहीं है। क्योंकि सरकार ने सडक़, पानी, बिजली जैसी अन्य मूलभूत सुविधाएं दे दी है तो फिर हम अवैध को वैध कराने के लिए क्यों परेशान हों। बैंक लोन और भवन अनुज्ञा लेने की बात आई तो कहते हैं कि बिना भवन अनुज्ञा के ही निर्माण कार्य कर चुके हैं। वहीं निकाय का अमला अगर इन पर कार्रवाई करने जाता है तो जनप्रतिनिधि आड़े आ जाते हैं, जिससे यह भी कार्रवाई रोक दी जाती है। वे कहते हैं कि हमें सुविधाएं मिल रही हैं।
निकायों को करना है काम
सरकार ने अनाधिकृत कालोनियों को नियमित करने और वहां रहवासियों को मूलभूत सुविधाएं देने के संबंध में गाइडलाइन जारी कर दी है। कालोनियों के नियमितीकरण करने का काम जिला प्रशासन, निकायों और वहां के रहवासियों को अपने स्तर पर करना है।
-भरत यादव, सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग