हर सवाल का सवाल ही जवाब हो, ना हो तो पलटवार

शिवराज सिंह चौहान
  • अरुण पटेल

एक फिल्म का यह लोकप्रिय गाना रहा है कि एक सवाल मैं करुं एक सवाल तुम करो हर सवाल का सवाल ही जवाब हो। यह तो गाना है लेकिन यदि राजनीति के मैदान में सवाल का जब जवाब देते न बने तो पलटवार कर दो। इन दिनों मध्यप्रदेश की राजनीति में ऐसी ही जुगलबंदी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के बीच चल रही है, जिसका केंद्रीय स्वर यही निकलता है कि वार और पलटवार की सियासत दिनों दिन परवान चढ़ती जायेगी। विधानसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे खिसकता हुआ नजदीक आयेगा वैसे-वैसे आरोप-प्रत्यारोपों का घटाटोप सघन होता जायेगा।  
      मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार के दिन एक बार फिर कमलनाथ पर राजनीतिक बढ़त लेने के  उद्देश्य से हमला करते हुए पूछ डाला कि 15 माह सरकार में रहने के बाद भी कमलनाथ ने एक भी वचन पूरा क्यों नहीं किया और अब फिर जनता को भ्रमित कर रहे हैं और जनता सवाल चाहती है इसलिए हम प्रश्न पूछेंगे। शिवराज ने पूछ डाला कि दुग्ध उत्पादक किसानों को पांच रुपये प्रति लीटर बोनस देने का वचन दिया था वह पूरा क्यों नहीं किया। अब बारी थी कमलनाथ की, उन्होंने भी पलटवार करते हुए कहा कि शिवराज जी आपने कृषि उपज और दूध के प्राथमिक प्रसंस्करण के लिए स्वसहायता समूह व कृषक उत्पादक समूहों को 20 लाख रुपये ऋण देने का वायदा किया था उस वायदे का क्या हुआ।
      सवाल में ही यह उत्तर निहित है कि किसी ने कुछ नहीं किया और यदि किया ही होता तो सवाल ही क्यों पूछा जाता। शिवराज ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि हमने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से सवाल पूछा तो वे तिलमिला गए और कह रहे हैं कि क्या कोई मुख्यमंत्री सवाल पूछता है। बड़ी मासूमियत से शिवराज कहते हैं कि आप जनता को भ्रमित करो, झूठ बोलते रहो और मैं पूछूं भी नहीं यह नहीं होगा। हमने पूछा था कि गेहूं, चना, सरसों से लेकर अन्य फसलों पर बोनस क्यों नहीं दिया। दूसरा सवाल यह है कि दुग्ध उत्पादक कृषकों को दुग्ध संघ के माध्यम से पांच रुपये प्रति लीटर बोनस देने का वचन दिया था वह क्यों नहीं दिया।
अब बारी थी कमलनाथ की तो  इसके उत्तर में कमलनाथ ने ट्वीट किया कि प्रदेश में कोई भी विकास कार्य न करने की शपथ ले चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मैं पूछना चाहता हूं कि आपने भाजपा के नारी शक्ति संकल्प में जो वायदा किया था वह पूरा क्यों नहीं किया, इसमें कृषि उपज और दूध के प्राथमिक प्रसंस्करण के लिए महिला स्वसहायता समूह और कृषक उत्पादक समूहों को 20 लाख रुपये का दीर्घकालीन ऋण दिया जाना था उसकी जनता को वास्तविकता बताई जाए। इन दिनों शिवराज और कमलनाथ दोनों ही फुल फार्म में हैं और हों भी क्यों न क्योंकि दोनों को ही 2023 के विधानसभा चुनाव में अपनी-अपनी पार्टी की चुनावी नौका को पार लगाना है। इस समय अचानक ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर फुल एक्शन मोड में आ गई है और उसके प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने बीते 6 महीने में अपना समूचा ध्यान संगठनात्मक कार्यों पर फोकस करने के बाद अब उन इलाकों की ओर अपना मुंह मोड़ दिया है जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन  कमजोर रहा। जनवरी माह के पहले पखवाड़े में कमलनाथ ने हारी हुई सीटों पर जाकर सभायें कीं तो दूसरे पखवाड़े में नई कार्यकारिणी गठित होने पर जिम्मेदार लोगों को दो-टूक शब्दों में जता दिया कि अब मैदान में ही रहना है। हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत हर विधानसभा क्षेत्र में बूथवार कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के अलावा प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह भ्रमण कर रहे हैं। डॉ. सिंह का फोकस ग्वालियर, चम्बल और बुंदेलखंड क्षेत्र पर है। इसी प्रकार संगठन में नये चेहरों को भी सामने लाने का कार्य किया जा रहा है। यदि सब कुछ इसी प्रकार चलता रहा तो फरवरी के पहले सप्ताह में सभी पदाधिकारियों को अलग-अलग क्षेत्रों में सुनिश्चित जिम्मेदारी के साथ तैनात कर दिया जायेगा। कमलनाथ 12 प्रकोष्ठों की अलग-अलग बैठकें कर चुके हैं और सभी 44 प्रकोष्ठों व विभागों की एक संयुक्त बैठक भी आयोजित की जा चुकी है।

(लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं)

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