भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। ग्वालियर की स्थानीय राजनीति में अब भाजपा के दो दिग्गज नेताओं के बीच आपसी वर्चस्व की जंग छिड़ गई है। इनमें से एक नेता हैं केन्द्र में मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर उर्फ मुन्ना भैया तो दूसरे नेता है दो साल पहले भाजपा में आने वाले श्रीमंत। इन दोनों नेताओं का इस इलाके में अपना-अपना प्रभाव है। दरअसल स्थानीय राजनीति में यह दोनों ही नेता एक दूसरे को पचा नहीं पा रहे हैं। यह सब सार्वजनिक कार्यक्रम के साथ ही सोशल मीडिया पर साफ-साफ नजर आने लगा है। वर्तमान में ग्वालियर सीट पर श्रीमंत की नजर बनी हुई है। श्रीमंत अपनी परंपरागत सीट पर बीता लोकसभा चुनाव अपने ही चेले से हार चुके हैं। कहा जा रहा है कि इस बार तोमर भी ग्वालियर सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं। दरअसल ग्वालियर-चंबल इलाका श्रीमंत की कर्मभूमि के साथ ही प्रभाव वाला इलाका माना जाता है। पूर्व में अलग-अलग दलों में रहने के दौरान ही स्थानीय भाजपा के दिग्गज नेता नरेन्द्र सिंह तोमर ही उनके इलाके में चुनौती देते रहे हैं। इसकी वजह से उनके बीच पुरानी राजनैतिक अदावत है।
अब दोनों ही नेता एक ही दल में हैं। इसकी वजह से उनके बीच अब यह घमासान की स्थिति बनती दिख रही है। दोनों नेताओं के बीच छिड़ी वर्चस्व की जंग को लेकर अनेक खबरें इन दिनों सोशल मीडिया पर धूम मचा रही हैं। इसका उदाहरण है दो दिन पहले मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हुई क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक के बाद श्रीमंत और तोमर द्वारा सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट। इस बैठक में शिवराज सिंह चौहान के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे। बैठक के बाद दोनों नेताओं द्वारा सोशल मीडिया पर अफसरों को लेकर अलग- अलग बयान दिए गए। सोशल मीडिया पर पहला बयान श्रीमंत का आया। जिसमें उनके द्वारा लिखा गया कि कोरोना संक्रमण की समीक्षा बैठक में ग्वालियर संभाग में ऑक्सीजन, दवा व बेड की कमी को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टैग किया, लेकिन इससे तोमर का नाम नदारद था। इसके कुछ देर बाद तोमर ने बैठक की फोटो सोशल मीडिया पर डाली। जिसके साथ उनके द्वारा लिखा गया कि अफसरों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसकी खास बात यह थी कि इसमें मुख्यमंत्री को टैग किया गया, लेकिन इसमें श्रीमंत का नाम नहीं था। यह बात अलग है कि मुख्यमंत्री को सोशल मीडिया पर दोनों ने टैग किया। असल में माना जा रहा है कि इन दोनों ही इलाके के दिग्गज नेताओं के बीच उपचुनाव के समय से ही दूरियां बढ़ने लगी थीं। इसके बाद आए नतीजों ने दोनों नेताओं के बीच दूरियों की खाई को और बढ़ा दिया है। इसकी बानगी इलाके के मुरैना जिले में हुए शराब कांड के बाद ही सामने आने लगी थी। इससे यह तो तय हो गया कि इन दोनों ही नेताओं के रिश्ते अब पहले जैसे नहीं रह गए हैं।
श्रीमंत की सक्रियता नहीं रास आ रही तोमर को
बताया जाता है कि दरअसल तोमर को श्रीमंत की उनके इलाके में सक्रियता रास नहीं आ रही है। उपचुनाव के बाद इसी साल जनवरी में श्रीमंत ग्वालियर-चंबल के तहत आने वाले मुरैना के उन दो गांव में जाकर मृतकों के परिजनों से मिले थे , जिनकी जहरीली शराब पीने से मौत हुई थी। इन गांवों में जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। यह दोनों गांव केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र के तहत आते हैं। खास बात यह है कि श्रीमंत ने इन मृतकों के परिजनों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देकर उन्हें भरोसा दिलाया था कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इतने समय बाद भी श्रीमंत को भाजपा के पुराने नेताओं का साथ नहीं मिल पा रहा है। श्रीमंत द्वारा मुरैना का जब दौरा किया गया था , तब भी उनके साथ भाजपा का कोई बड़ा नेता उनके साथ नहीं गया था। उनके साथ उनके समर्थक राज्य सरकार के मंत्री प्रद्युन सिंह तोमर और ओपीएस भदौरिया आदि नेता ही साथ खड़े दिखे थे। श्रीमंत के आने की खबर मिलते ही पहुंचे थे तोमर: श्रीमंत के द्वारा दौरा किए जाने की जानकारी मिलने के बाद अगले ही दिन तोमर भी पीड़ितों से मिलने उनके गांव पहुंच गए थे। इसमें भी खास बात यह रही कि उनके साथ श्रीमंत समर्र्थक कोई भी मंत्री नहीं गया।
श्रीमंत को मिला चौहान व शर्मा का साथ
खास बात यह है कि श्रीमंत और तोमर के बीच लगातार बढ़ रही खाई के बीच भोपाल में प्रदेश कार्यसमिति के पदाधिकारियों के आयोजित पदभार ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सिंधिया की खुलकर सराहना की थी। इस दौरान इन दोनों ही प्रमुख नेताओं ने प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने का श्रेय भी श्रीमंत को ही दिया था।
18/05/2021
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