सरकार बनी तो बनाएंगे ‘मंत्री’

मंत्री
  • डैमेज कंट्रोल करने कांग्रेस की नई रणनीति

    विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव के नामांकन फॉर्म जमा होने के साथ ही भाजपा और कांग्रेस में डैमेज कंट्रोल शुरू हो गया है। दिल्ली से मिले मंत्र के बाद कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल की नई रणनीति बनाई है। इसके तहत असंतुष्ट नेताओं को आश्वासन दिया जाएगा कि अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी, तो उन्हें निगम-मंडलों आदि में एडजस्ट कर मंत्री पद का दर्जा दिया जाएगा। बागियों को मनाने का काम पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और मप्र कांग्रेस के इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी रणदीप सिंह सुरजेवाला को सौंपा गया है। अब यह तिकड़ी सभी को मनाने के काम में जुटेगी। गौरतलब है कि इस बार कांग्रेस में चार हजार से अधिक नेताओं ने टिकट की दावेदारी की थी। ऐसे में पार्टी के सामने समस्या खड़ी हो गई थी। पार्टी ने जैसे ही पहली सूची जारी की बगावत ने जोर पकड़ लिया। कांग्रेस में 230 सीटों पर टिकटों के बंटवारे के बाद टिकट की दावेदारी में शामिल असंतुष्टों को मनाने के लिए पार्टी में डैमेज कंट्रोल शुरू हो गया है। अब तक योगेंद्र सिंह बंटी जादौन जिला कांग्रेस अध्यक्ष शुजालपुर, निवाड़ी से रोशनी यादव, सोहागपुर से सतपाल पलिया और ग्वालियर ग्रामीण के केदार कंसाना को मना लिया गया है। धार से पूर्व सांसद रहे गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी भी कमलनाथ से चर्चा के बाद मान गए हैं, वे मनावर से टिकट मांग रहे थे। यहां से कांग्रेस ने डॉ. हीरालाल अलावा को टिकट दिया है।
    नाराजगी पड़ सकती है भारी
    कांग्रेस के नेता असंतुष्टों को मनाने में जुट गए हैं। फिर भी कुछ नेता ऐसे हैं, जिन्होंने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इनकी नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। इनमें से  सुरपाल सिंह ने जोबट से निर्दलीय फॉर्म भरा है। बडऩगर से मोहन सिंह पलदूना ने निर्दलीय नामांकन जमा किया। पलदूना फॉर्म जमा करने गए उस दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे। सुमावली से कुलदीप सिंह सिकरवार कांग्रेस के बागी हो गए हैं, सिकरवार बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी नाराजगी कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। उत्तर भोपाल से नासिर इस्लाम ने निर्दलीय पर्चा दाखिल किया है। नासिर ने 2008 से भोपाल मध्य से चुनाव लड़ा था, उस दौरान वे महज 2500 वोटों से हारे थे। बैरसिया से जिला पंचायत सदस्य विनय मैहर की नाराजगी पार्टी के प्रत्याशी को भारी पड़ सकती है। हालांकि वे खुलकर मैदान में नहीं आए हैं।
    इन्होंने मानी पार्टी की बात
    टिकट नहीं मिलने से नाराज कई नेताओं को साधने में कांग्रेस सफल हुई है। धार के बड़े आदिवासी नेता व पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी ने टिकट वितरण के बाद नाराज होकर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। राजूखेड़ी ने धार की धरमपुरी और मनावर से टिकट मांगा था, लेकिन दोनों जगह से उन्हें टिकट नहीं दिया गया, जिसके चलते वह बेहद नाराज थे और करीब दो हफ्ते पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, कमलनाथ की डैमेज कंट्रोल टीम ने राजू खेड़ी से मुलाकात की। इसके बाद राजाखेड़ी ने सोमवार को कमलनाथ से मुलाकात की और इस्तीफा वापस ले लिया। कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री सैयद जाफर ने सोशल साइट एक्स पर राजू खेड़ी और कमलनाथ का फोटो शेयर कर यह जानकारी दी। राजूखेड़ी अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रचार अभियान में तेजी से जुटेंगे और मप्र में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए काम करेंगे। सोहागपुर से चुनाव लड़ चुके सतपाल पलिया भी 2023 में टिकट की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था। इससे पलिया नाराज थे। कांग्रेस ने उनको प्रदेश संगठन में उपाध्यक्ष का पद दिया, उसके बाद वह मान गए। रोशनी यादव निवाड़ी से भाजपा छोडक़र कांग्रेस में आई। मप्र के पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव की पौत्रवधू रोशनी यादव टिकट कटने से नाराज थीं। उन्होंने भोपाल से लेकर दिल्ली तक विरोध दर्ज कराया। दिग्विजय सिंह और सुरजेवाला ने उनसे मुलाकात की। इसके बाद उन्हें संगठन में महामंत्री का पद दिया गया। साथ ही बुंदेलखंड का प्रभारी बनाया, जिसके बाद वह मान गई। मुरैना से विधायक राकेश मावई टिकट कटने के बाद वह काफी आहत और नाराज थे। हालांकि, अब उनको मुरैना संसदीय क्षेत्र का पर्यवेक्षक क्षेत्र बना दिया गया है। इसके बाद से वह मान गए हैं और कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं।
    बागियों को मंडलों में एडजस्ट करेंगे
    कांग्रेस के करीब 1000 असंतुष्टों को मनाने की कवायद जारी है। इस में सरकार बनने पर निगम-मंडल और बोर्ड में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के करीब 90 पदों पर कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री का दर्जा देकर एडजस्ट किया जाएगा। इसके अलावा आयोग, विकास प्राधिकरणों, सहकारी संस्थाओं आदि में कांग्रेस ने अब तक 1000 ऐसी जगह खंगाली हैं, जहां पार्टी के असंतुष्टों को महत्वपूर्ण पद दिए जाएंगे। दरअसल, कांग्रेस में 5 सर्वे और 11 बिंदू, नारी सम्मान योजना और जनाक्रोश यात्रा में सक्रियता, दो बार हारने वालों को टिकट नहीं, का क्राइटेरिया तय किया गया था। पर करीब 100 सीटें ऐसी रही जहां ये फार्मूला फेल हो गया। सर्वे में 4 प्रत्याशियों में से एक का चयन होना था, लेकिन कई सीटें ऐसी रही जहां पांचवां नाम आने से वहां के उम्मीदवारों में नाराजगी है। वहीं, उत्तर भोपाल, दक्षिण पश्चिम, हुजूर, गोविंदपुरा, बैरसिया, बडऩगर, सुमावली, सुरखी, सागर और नरयावली सीटें ऐसी रहीं, जहां बागियों से चर्चा चल जा रही है। बागियों को संगठन में पद देने का रास्ता खुला हुआ है। इनमें प्रदेश स्तर पर महामंत्री, कार्यकारी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद के ऑफर भी दिए जा रहे हैं। पिछले दो दिनों में 20 से ज्यादा असंतुष्टों को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं। कांग्रेस के ये असंतुष्ट अब पीसीसी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हुए कांग्रेस संगठन में काम देखेंगे।

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