- शासन डीपीसी के लिए केन्द्र सरकार को पत्र भेजना ही भूला
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश को ऐसा राज्य माना जाता रहा है कि जहां पर आईएएस अफसरों की पदोन्नति को सर्वाधिक प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन इस बार यह सोच बदलती दिख रही है। इसकी वजह है शायद यह पहला मौका है जब पद रिक्त पड़े हुए हैं , लेकिन आईएएस अफसरों को पदोन्नति के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। इसकी वजह है , शासन द्वारा इस बार समय पर पदोन्नति के लिए केन्द्र सरकार को पत्र नहीं भेजना। पत्र नहीं भेजने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा डीपीसी के लिए समय ही तय नहीं किया गया है। हालांकि इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नति के लिए पच्चीस वर्ष की सेवा पूरी होना आवश्यक है। दरअसल प्रदेश में भले ही प्रमुख सचिव के दस पद रिक्त चल रहे हैं, लेकिन इस पद पर पदोन्नति के लिए जिस बैच के अधिकारियों को पदोन्नत किया जाना है, उस बैच के अफसरों की सेवा अवधि महज 24 साल की हुई है। अगर इस तरह की स्थिति होती है तो , प्रदेश सरकार को पदोन्नति के लिए केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से अनुमति लेनी होती है। इसके लिए केन्द्र सरकार से लिखित में आग्रह किया जाता है। इस तरह के नियम होने के बाद भी शासन ने पदोन्नति के लिए अब तक केन्द्र सरकार को पत्र ही नहीं लिखा है। इसकी वजह से पदोन्नति के लिए डीपीसी की तारीख भी तय नहीं सकती है। यही वजह है कि प्रमुख सचिव पद के कम अफसर होने की वजह से कई अफसरों को दो से लेकर तीन तीन विभागों का काम देखना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि प्रदेश में पूर्व में भी कई बार तेईस व चौबीस साल की सेवा के बाद ही अधिकारियों को सचिव से प्रमुख सचिव के वेतनमान में पदोन्नति दी जा चुकी है।
प्रदेश में पीएस के 32 पद
प्रदेश में अभी प्रमुख सचिव वेतनमान के बत्तीस पद स्वीकृत हैं, जबकि अभी प्रदेश में प्रमुख सचिव स्तर के महज बाईस अधिकारी ही पदस्थ हैं। तीन महिला अधिकारी डेढ़ माह पहले केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर जा चुकी हैं। प्रमुख सचिव वेतनमान में दो और अधिकारी कभी भी प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में प्रमुख सचिव वेतनमान के अफसरों की संख्या में और कमी आ जाएगी। प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों की कमी पूर्ण करने के लिए अभी तक सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कोई शुरुआत नहीं की गई है।