इस्लामिक वायरस नाम से लिखी आईएएस नियाज ने किताब

आईएएस नियाज
  • फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संघर्ष पर आधारित है

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। तमाम विवादों वाले विषयों पर उपन्यास लिखने की वजह से हमेशा चर्चा में रहने वाले मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अफसर नियाज खान अब फिर से चर्चा में हैं। इस बार भी चर्चा की वजह बनी है उनकी नई किताब। इस बार खान ने फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संघर्ष को लेकर एक किताब इस्लामिक वायरस-4-786 शीर्षक से लिखी है। इसमें उनके द्वारा करीब 12 साल की रिसर्च के बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष और युद्ध के कारणों का खुलासा किया गया है। खान की यह पुस्तक कई देशों में ई-बुक और हार्ड कॉपी दोनों ही रूप में उपलब्ध है। खान इसके पहले ब्राह्मण द ग्रेट पुस्तक लिखकर भी बेहद चर्चा में रह चुके हैं। खान का अपनी नई किताब के बारे में कहना है कि यह नई किताब एक एक्शन, सस्पेंस थ्रिलर से भरपूर है। इसमें 340 पेज हैं। यह उनका 9वां उपन्यास है। यह किताब हमास और इजराइल के बीच पिछले कई दशकों से चले आ रहे लंबे संघर्ष से प्रेरित है। इसमें नायक सलेम अल्बे, एक फिलिस्तीनी है। वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में परमाणु भौतिक विज्ञानी बनना चाहता था। इसी दौरान उसे पता चला कि उसके माता-पिता को गाजा में इजरायली सेना ने मार डाला है। इसके बाद उसने यहूदियों से बदला लेने के लिए ऑक्सफोर्ड की पढ़ाई छोड़ दी। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए नायक सलेम अल्बे ने इस्लामिक वायरस नामक एक भूमिगत संगठन शुरू किया। उसका मिशन हिटलर की तरह इजराइल और अन्य देशों से यहूदी समुदाय को खत्म करना और साथ ही इजराइल को उसके अध समर्थन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को भी दंडित करना था।
सलेम के बदले की कहानी
खान ने बताया कि मुख्य पात्र ने कैसे अपने मिशन का कारवां तैयार किया। पुस्तक में उन्होंने लिखा- सलेम का दोस्त डेनियल जैक है, जो यहूदी हथियार डीलर जोशुआ कोहेन का शिकार था। वह भी सलेम के मिशन में शामिल हो जाता है। सलेम को लगता है कि गाजा में योजना बनाकर इजराइल में यहूदियों के मारना संभव नहीं है। इसलिए उसने यूरोप में एक वैश्विक नेटवर्क के साथ आतंकवादी संगठन इस्लामिक वायरस शुरू किया। सलेम एक बार में ही सभी यहूदियों को खत्म करना चाहता था। इस कारण उसने पहले परमाणु हथियार, फिर रासायनिक हथियार पाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। ऐसे में उसने इस्लामिक वायरस-4-786 नामक जैव हथियार को हासिल करने का फैसला किया। सलेम वायरस-4-786 को पाने के लिए अरब सागर में अल अब्बास निर्जन द्वीप में एक गोपनीय लेबोरेटरी शुरू की। यहां रिसर्च के लिए उसने जापान और यूरोपीय देशों के कई वैज्ञानिकों का अपहरण भी किया। सलेम सकोट्रा द्वीप में मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें आतंकवादी बनाने की जिम्मेदारी संभालने वाले इस्लामिक वायरस के आध्यात्मिक प्रमुख जमील जलाल से जुड़ जाता है। जलाल की वायरस के बारे में अलग राय है। जलाल वायरस 4- 786 से न सिर्फ यूहूदियों बल्कि सभी गैर मुसलमानों को मार डालना चाहता है। इसके लिए जलाल सलेम की गुप्त प्रयोगशाला पर कब्जा कर लेता है, जहा रिसर्च चल रही है। वह अपने लोगों को सलेम को मारने के लिए आदेश देता है। लेकिन सलेम को लेकर कोई साफ जानकारी नहीं मिल पाती है कि वह मर चुका है या जीवित है।
उठा चुके हैं फिल्म द कश्मीर फाइल्स  पर सवाल
आईएएस नियाज खान फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर भी सवाल उठाकर जमकर चर्चा में रह चुके हैं। खान का विवादों से पुराना नाता है. इसकी वजह से उनका कई बार तबादला भी हुआ है। मूल रूप से नियाज खान छत्तीसगढ़ के रहने नियाज को लेखन का उनका शौक है। वह लोक निर्माण विभाग में उपसचिव के पद पर कार्यरत हैं। वे दुनिया में इस्लाम की छवि सुधारने के लिए कुरान पर शोध कर रहें हैं। वे मोहम्मद साहब के जीवन पर लिखी किताबों का अध्ययन कर अपनी रिसर्च बुक यूरोप से प्रकाशित करवाना चाहते हैं। इसके पहले  उनके द्वारा इराक में यजीदियों पर नई किताब लिखी है- बी रेडी टू डाई। इसमें उन्होंने बताया है कि नॉर्थ इराक के यजीदी हिंदुओं का ही रूप हैं। वे भी हिंदुओं की तरह सूर्य और अग्नि के उपासक हैं। इस्लामिक चरमपंथियों ने उनका जमकर कत्लेआम किया। इसी तरह से उनका उपन्यास ब्राह्मण द ग्रेट उपन्यास काफी चर्चित रह चुका है। इसमें उनके द्वारा लिखा गया है कि  ब्राह्मण का सुपर ब्रेन होता है। उन्हें हर फील्ड में बौद्धिक नेतृत्व दे दिया जाए, सलाहकार बनाया जाए तो देश के भीतर चीजें बेहतर हो सकती हैं।

Related Articles