आईएएस व आईपीएस अफसर पदोन्नति में दो साल पिछड़े

आईएएस व आईपीएस अफसर
  • करना पड़ रहा है इंतजार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कैडर मैनेजमेंट बिगड़ जाने की वजह से राज्य सेवा के अफसर तो पहले से ही हैरान परेशान हैं, ऐसे में अब अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें प्रदेश कैडर के आईएएस और आईपीएस अफसर पदोन्नति के मामले में अब दूसरे राज्यों व केन्द्र सरकार के अफसरों से दो साल पीछे हो गए हैं। हालत यह है कि प्रदेश में अखिल भारतीय सेवा के कई बैच ऐसे हैं, जिनमें अफसरों की संख्या बहुत अधिक हो गई है। इसकी वजह से उन्हें समय पर पदोन्नति नहीं मिल पा रही है। प्राय: देखा जाता है कि अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को समय पर ही पदोन्नति मिल जाती है, लेकिन मप्र इस मामले में अब अपवाद बनता जा रहा है। इसकी वजह है, कि प्रदेश में कई अफसर ऐसे हैं जिन्हें सर्वोच्च पद तक पहुंचने का मौका ही नहीं मिल पा रह है और वे सेवानिवृत्त होने को मजबूर हो गए हैं। इसकी वजह से उन्हें मुख्य सचिव और डीजी का वेतनमान ही नहीं मिल पाया है।
अगर केन्द्र सरकार की बात करें तो भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1993 बैच के अधिकारी सचिव वेतनमान में इम्पैनलमेंट हो चुके हैं। जबकि मध्यप्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1993 बैच के अधिकारी अभी भी प्रमुख सचिव पद पर ही काम कर रहे हैं। प्रदेश में इस मामले में स्थिति इससे ही समझी जा सकती है कि इस बैच के सबसे वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख सचिव गृह संजय दुबे आगामी एक जून को तक भी पदोन्नत नहीं हो पाएंगे, जबकि 31 मई को अपर मुख्य सचिव तथा अध्यक्ष राजस्व मंडल ग्वालियर अश्विनी कुमार राय सेवानिवृत्त हो रहे हैं। राय की सेवानिवृत्ति के बाद मुख्य सचिव वेतनमान पर स्वीकृत पद के बराबर 14 (सात कैडर तथा सात एक्स कैडर) अधिकारी बचेंगे। संजय बंदोपाध्याय की प्रदेश वापसी तथा श्रीमती वीरा राणा को छह माह की सेवा वृद्धि के कारण अधिकारियों को पदोन्नति के लिए प्रतीक्षा और बढ़ गई है। ऐसे में अगर राज्य सरकार ने मुख्य सचिव वेतनमान के लिए नए पद स्वीकृत नहीं किए तो संजय दुबे को पदोन्नति के लिए एक सितम्बर तक इंतजार करना पड़ेगा। उन्हें तब पदोन्नति मिलेगी जब 31 अगस्त को अध्यक्ष कर्मचारी चयन मंडल संजय बंदोपाध्याय सेवानिवृत्त होंगे।
शुरू हुई नई परंपरा
बीते कुछ सालों से प्रदेश में नई परंपरा शुरू हो गई है, जिससे यदि मुख्य सचिव वेतनमान के अधिकारी को सेवावृद्धि मिलती है तो, उस पद को अब रिक्त नहीं माना जाता है, जिसकी वजह से उस पद पर पदोन्नति नहीं मिल पाती है। अगर पूर्व की बात करें तो बसंत प्रताप सिंह तथा आर परशुराम को मुख्यसचिव वेतनमान में छह माह की सेवावृद्धि दी गई थी। उस समय उनके पदों पर नए अधिकारी पदोन्नति किए गए थे। बाद में यह परम्परा इकबाल सिंह बैंस को सेवावृद्धि दिए जाने के समय से बंद कर दी गई। इसी कारण इकबाल सिंह बैंस को एक साल तथा श्रीमती वीरा राणा को मिली छह माह की सेवा वृद्धि के कारण कई अधिकारियों को समय पर अपर मुख्य सचिव का वेतनमान नहीं मिला। इससे सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1993 बैच के अधिकारियों को हो रहा है। भारतीय पुलिस सेवा के 1993 बैच के अधिकारी केन्द्र सरकार के डीजी वेतनमान में इम्पैनलमेंट हो चुके हैं। जबकि मध्यप्रदेश में वर्तमान में भारतीय पुलिस सेवा के 1990 बैच के अधिकारी ही डीजी वेतनमान में पदोन्नत हो पाए हैं। 1990 बैच की श्रीमती अनुराधाशंकर आगामी 31 मई को सेवानिवृत्त हो रही हैं। जिससे एक जून से भारतीय पुलिस सेवा के 1991 बैच के अधिकारी वरुण कपूर एडीजी एपीटीसी इंदौर को स्पेशल डीजी वेतनमान में पदोन्नति का अवसर मिलेगा। प्रदेश के आईएएस व आईपीएस अधिकारी पदोन्नति के मामले में केन्द्र सरकार व अन्य राज्यों के मुकाबले दो साल पीछे चल रहे हैं। देखना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अधिकारियों की पदोन्नति के लिए दो साल के लिए पद बढ़ाने की स्वीकृति देते हैं या नहीं।

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