आदिवासी बाहुल्य सैकड़ों स्कूलों को विज्ञान के शिक्षकों की तलाश

आदिवासी बाहुल्य
  • बच्चों को नहीं मिल पा रही बेहतर और आधुनिक शिक्षा …

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। आदिवासियों के नाम पर सरकार कितने ही दावे करे, लेंकिन हकीकत कुछ और ही है। हालात यह हैं कि प्रदेश के 20 से अधिक जिलों के 89 आदिवासी विकासखंडों में बच्चों को बेहतर और आधुनिक शिक्षा तक नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह है इन क्षेत्रों के स्कूलों में विज्ञान विषय के शिक्षकों के अलावा प्राचार्य तक के सैकड़ों पद लंबे समय से रिक्त चलना ।  इसके बाद भी विभाग इन पदों को भरने में कोई रुचि नहीं ले रहा है। इन आदिवासी विकासखंड़ों के 889 हायर सेकंडरी स्कूलों में से 692 में तो प्राचार्य ही नहीं हैं। हाईस्कूलों की स्थिति और भी विकट बनी हुई है। 1151 हाईस्कूलों में से 997 में प्राचार्य के पद रिक्त हैं। इसी तरह से आदिवासी विकासखंडों के बच्चों को भी कोई भी शिक्षक विज्ञान की पढ़ाई कराने को नही है। हायर सेकंडरी स्कूलों में जीव विज्ञान के शिक्षकों के 755 पद भी लंबे समय से रिक्त हैं। ऐसे में बच्चों को  विज्ञान विषय में कॅरियर बनाने के लिए दूसरे शहरों में पलायन करना पड़ रहा है। यह खुलासा हुआ है सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी से। आरटीआइ एक्टिविस्ट और प्रदेश कांग्रेस की आरटीआई प्रकोष्ठ के संयोजक पुनीत टंडन को यह जानकारी दी गई है। यह बात अलग है कि  विभाग द्वारा उन्हें कई अन्य बिन्दुओं की जानकारी ही नहीं दी गई है। उल्लेखनीय है कि आदिवासी विकासखंडों में जनजाति कार्य विभाग द्वारा स्कूल शिक्षा का संचालन किया जाता है। यहां शिक्षकों की तैनाती के साथ ही स्कूल बिल्डिंग का निर्माण और मेंटेनेंस का जिम्मा इन्हीं के पास है। हालांकि परीक्षा समेत अन्य एकेडमिक कार्य स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा किया जाता है।
हायर सेकंडरी स्कूलों की हालत
आदिवासी विकासखंड़ों में उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में प्राचार्यों के 889 पद स्वीकृत हैं। इनमें से महज 197 ही भरे गए हैं, जबकि 692 स्कूलों में प्राचार्य के पद रिक्त हैं। धार, झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन और खंडवा में कुल 347 स्वीकृत पदों में से सिर्फ 68 पर ही प्राचार्यों की तैनाती है, जबकि 279 पद रिक्त हैं। शहडोल उमरिया और अनपूपुर जिले में 142 स्वीकृत पदों पर 15 पर ही प्राचार्य हैं, 127 पद रिक्त हैं।
हाईस्कूलों की यह है स्थिति
हाईस्कूलों में प्राचार्यों के 1151 पद स्वीकृत किए गए हैं, इनमें से महज 154 पर ही प्राचार्य हैं, जबकि 997 रिक्त हैं। धार, झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर में 489 पदों में से महज 56 ही भरे गए हैं। 466 पद रिक्त हैं। इसी तरह शहडोल, उमरिया और अनूपपुर में 182 पदों में से 18 पर ही प्राचार्यों की नियुक्ति है, जबकि 164 पद रिक्त हैं।
755 स्कूलों में जीव विज्ञान के शिक्षकों का अभाव  
अदिवासी विकासखंड के विद्यार्थी विज्ञान खासतौर से जीव विज्ञान की पढ़ाई से दूर बने हुए हैं। इसकी वजह 755 हायर सेकंडरी स्कूलों में जीव विज्ञान विषय के शिक्षक का नहीं होना है। ये पद भी लंबे समय से रिक्त बने हुए हैं। ऐसे में विद्यार्थियों का जीव विज्ञान के जरिये हेल्थ सर्विसेज में करियर बनाने का सपना साकार नहीं हो रहा है। जानकारी के मुताबिक धार जिले में सबसे अधिक 87 पद रिक्त हैं तो मंडला में ये संख्या 80 है। अनूपपुर जिले में 79 पद रिक्त हैं। बैतूल में 59, झाबुआ में 56, छिंदवाड़ा और डिंडौरी में 5353 तो शहडोल में 50 पद रिक्त हैं।

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