दो पहिया वाहनों से कर दिया सैकड़ों मीट्रिक टन टेक होम राशन की सप्लाई

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  • जांच में हुए कई सनसनीखेज खुलासे

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
जिस टेक होम राशन व्यवस्था को लेकर तमाम तरह के दावे किए जाते हैं, उसी में अफसरों व ठेकेदारों ने ऐसा गोलमाल किया कि जिसे पता चल रहा है, वह दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो रहा है। दरअसल सैकड़ों मीट्रिक टन राशन को दो पहिया वाहनों से गांव में सप्लाई होना बता दिया गया है। हद तो यह है कि वाहनों का वेरीफाई तक नहीं किया गया है। इससे यह तो तय हो गया है कि अधिकारियों, गुणवत्ता नियंत्रकों, उत्पादकों व ठेकेदारों ने मिलकर किस तरह से नौनिहालों, किशोरियों व गर्भवतियों के मुंह से 428 करोड़ रुपए का राशन छीनकर खुद हजम कर लिया है। अहम बात यह है कि इस महाघोटाले का खुलासा होने के बाद भी जिम्मेदारों पर कोई सख्त कार्रवाई होती अभी तक नहीं दिखी है। इसका खुलासा बुधवार को विधानसभा में पेश की गई कैग की रिपोर्ट में हुआ। इस तरह की गड़बड़ी किसी एक साल में न हीं बल्कि लगातार चार सालों तक की गई है। इसकी शुरुआत 2018 से की गई थी जो 2021 तक जारी रही। कैग ने इसका खुलासा करने के बाद राशन तैयार करने वाले, परिवहनकर्ता , वितरणकर्ता, गुणवत्ता नियंत्रकों पर कार्रवाई की अनुशंसा भी की हुई है। दरअसल , पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत 6 माह से लेकर 3 वर्ष की उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, 11 से 14 वर्ष उम्र की स्कूल न जाने वाली किशोरियों को इस योजना के तहत पूरक पोषण आहार दिया जाता था।
इस तरह से हुआ खुलासा
स्कूल शिक्षा विभाग ने किशोरियों की संख्या 0.43 लाख बताई, जबकि महिला एवं बाल विकास विभाग ने 5.51 लाख बताई। इस तरह राज्य शिक्षा केंद्र के डेटा के विरुद्ध 5.51 लाख की काल्पनिक संख्या को सही मानते हुए 110.78 करोड़ का अधिक खर्च कर दिए गए। इस दौरान वास्तविक संख्या का पता लगाने का प्रयास तक नहीं किया गया । इसी तरह से बाड़ी, धार, मंडला, रीवा, सागर और शिवपुरी के संयंत्रों ने राशन उपलब्ध नहीं होने के बावजूद 4.80 करोड़ की लागत का 773.21 मीट्रिक टन राशन बांटना कागजों में बता दिया गया।  इन 6 संयंत्रों ने 5.46 करोड़ की लागत का 883.55 मीट्रिक टन राशन परिवहन का दावा किया। लेकिन सत्यापन में पता चला, परिवहन का जो साधन ट्रक बताए गए उसकी जगह वाहन बाइक, कार व ऑटो निकले। आठ जिलों में 96,541.56 मीट्रिक टन राशन स्टॉक में लिया। जबकि मात्र 86,397.21 मीट्रिक टन ही आंगनबाड़ी केंद्रों को भेजा। सीडीपीओ 1.28 करोड़ का राशन प्राप्त ही नहीं किया, तब भी चालान सत्यापित कर दिए। कोलारस व खनियाधाना के सीडीपीओ ने मई से लेकर दिसंबर 2018 तक संयंत्रों से 5.10 करोड़ का 822.95, मीट्रिक टन राशन के दस्तावेज नहीं रखे। 237 करोड़ के राशन के जांच के लिए भेजे गए नमूने पोषण मानक के अनुरूप भी नहीं पाए गए हैं।

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