प्रदेश में अनुदान हजम करने वाले सैकड़ों मदरसे लापता

मदरसे

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। परीक्षा के लिए यूनिक कोड जनरेट होते ही राजधानी सहित प्रदेश में चलने वाले सैकड़ों मदरसे अचानक गायब हो गए। यह वे मदरसे हैं, जो कागजों में तो रजिस्टर्ड हैं, लेकिन वास्तविकता में कहीं हैं ही नहीं। इन मदरसों के नाम पर कई सालों से लगातार अनुदान भी लिया जा रहा था। यह खुलासा तब हुआ , जब विद्यार्थियों की एसएसएसएम आईडी व यूनिक कोड बनाया गया। दरअसल पहली बार राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा पांचवीं-आठवीं की बोर्ड पैटर्न परीक्षा में मदरसों के विद्यार्थियों को भी शामिल किया गया है। इस मामले का खुलासा होने के बाद संबंधित अफसरों को कार्रवाई करने के लिए पत्र भी लिखा गया , लेकिन कई माह निकल जाने के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यवाही करने के लिए तैयार नहीं हैं। प्रदेश में 2689 मदरसे रजिस्टर्ड हैं। इनमें से करीब एक चौथाई फर्जी तरीके से अनुदान लेकर सरकार को चूना लगा रहे हैं। अब यूनिक कोड बनने से मदरसों की संख्या सिर्फ 1623 में से एक हजार के आसपास ही रह गई है। इस तरह से करीब साढ़े पांच सौ मदरसों के विद्यार्थी पांचवीं आठवीं की परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए हैं। अब इस मामले में जिला शिक्षा कार्यालय का कहना है कि मदरसों की जांच के लिए प्राचार्यों की एक कमेटी बनाई जा रही है। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर फर्जी मदरसों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उधर, इस मामले में मंत्री स्कूल शिक्षा इंदर सिंह परमार का कहना है कि प्रदेश में अनुदान प्राप्त मदरसों में पढ़ रहे बच्चों की संख्या की जांच कराई जा रही है। जिन मदरसों का सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है, वहां कितने बच्चे पढ़ रहे हैं? उन्हें तालीम देने वालों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया जा रहा है । जो- मदरसे नियम विरुद्ध संचालित होते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इस तरह की गड़बडिय़ां भी
मदरसों को लेकर लगातार शिकायतें आती रहती हैं। ऐसी ही एक शिकायत के आधार पर बीते साल अक्टूबर में मप्र बाल आयोग ने विदिशा में मदरसा मरियम का निरीक्षण किया था। वहां 37 बच्चों में से 21 हिंदू और 5 आदिवासी थे। 5 शिक्षकों में से किसी के पास यूजी ,पीजी या बीएड की डिग्री तक नहीं थी। इसके अलावा पिछले साल जून में भोपाल के दो मदरसों में बिहार से लाए गए बच्चे भी पाए गए थे।  
मान्यता नियम भी अलग
मप्र में मदरसों की मान्यता के नियम भी अलग बना रखे हैं। मप्र में तीन प्रकार से मदरसों को मान्यता दी जाती है। मदरसा खोलने के लिए रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं में पंजीकरण, ट्रस्ट एक्ट व मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड होना चाहिए, जबकि अन्य स्कूल संचालित करने के लिए सिर्फ रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं में पंजीकरण व ट्रस्ट एक्ट में रजिस्टर्ड को मान्यता दी जाती है।
सर्वाधिक मदरसे भोपाल में
प्रदेश में सर्वाधिक मदरसे भोपाल में है। भोपाल में रजिस्टर्ड मदरसों की संख्या करीब 188 है। इसी तरह से दूसरे नंबर पर मंदसौर में 123, इंदौर में 51 और ग्वालियर में 45 मदरसे बताए जा रहे हैं। इसमें कई मदरसों के संचालकों द्वारा बच्चों के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुदान लेकर हजम किया जा रहा है। इसी तरह के मामलों में भोपाल के शासकीय कन्या स्टेशन एरिया की प्राचार्य ने चार मदरसों के विद्यार्थियों द्वारा फर्जी अनुदान लिए जाने की शिकायत करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी से कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया  है। इनमें मदरसा गुलिस्तान-ए-उर्दू मदरसा अल एहली, मदरसा हजरत जैद, मदरसा गुलिस्तान-ए-हिन्द शामिल है, लेकिन अब तक कोई भी कार्यवाही होती नजर नहीं आ रही है।

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