कर्ज के बोझ से दबी सरकार… 3.50 लाख पदों पर भर्ती का कैसे सहेगी भार?

  • गौरव चौहान
कर्ज

विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और उसकी सरकार ने घोषणाओं की भरमार कर दी है। अब प्रदेश की सत्ता में वापसी के बाद सरकार की पहली प्राथमिकता घोषणाओं और संकल्प पत्र के वादों को पूरा करना है। लेकिन कर्ज के बोझ से दबी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, घोषणाओं को अमलीजामा पहनाना। इन्हीं घोषणाओं में से एक है प्रदेश के विभागों में खाली पड़े पदों पर भर्ती करना। घोषणाओं के अनुसार सरकार को 5 साल में कम से कम 3.50 लाख पदों पर भर्ती करना है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि सरकार इस भर्ती के बाद पड़ने वाले आर्थिक बोझ का भार कैसे सहेगी?
गौरतलब है कि भाजपा सरकार ने पिछले डेढ़ साल में चार लाख रिक्त पदों पर भर्ती की घोषणा की है। लेकिन रिक्त पदों पर भर्ती सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग को लंबी भर्ती प्रक्रिया से गुजरने के साथ ही सरकार की वित्तीय स्थिति का ख्याल रखना है। अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग विनोद कुमार का कहना है कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। विभिन्न विभागों में। रिक्त पदों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। एक लाख पदों में से कितने पदो पर भर्ती की गई, इसकी जानकारी भी संकलित की जा रही है। यदि सरकार हर साल 50 हजार रिक्त पदो पर भर्ती करती है, तो उसे कर्मचारियों को वेतन, भतों के भुगतान के लिए बड़ी राशि की व्यवस्था करना होगी। 50 हजार कर्मचारियों के वेतन, भत्तों पर सालाना करीब 1500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। कर्मचारियों की वरिष्ठता बढऩे के साथ ही उनके वेतन, भत्तों पर होने वाला खर्च भी बढ़ता जाएगा। वर्तमान में सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्तों पर हर महीने 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होते हैं।
भर्ती की लंबी प्रक्रिया भी बड़ी बाधा
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती मप्र राज्य लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से की जाती है। अधिकारियों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया लंबी होती है। सबसे पहले जीएडी की ओर से विभिन्न विभागों से रिक्त पदों की जानकारी मंगाई जाती है। विभागवार रिक्त पदों पर संकलन करने के बाद कानूनी पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। इसके बाद एमपीपीएससी और कर्मचारी चयन मंडल को भर्ती का विज्ञापन निकालने के लिए प्रस्ताव भेजे जाते हैं। भर्ती परीक्षा के बाद परिणाम जारी किया जाता है। फिर अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए जाते हैं। जीएडी के अधिकारियों का कहना है कि तत्कालीन सीएम शिवराज की घोषणा के बाद विभिन्न विभागों से रिक्त पदों की जानकारी मंगाई गई थी। विभिन्न विभागों ने करीब एक लाख पांच हजार रिक्त पदों की जानकारी जीएडी को भेजी थी। इनमें से 50 हजार पदों पर भर्ती की जा चुकी है। स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग में सबसे ज्यादा रिक्त पदों पर भर्ती की गई।
कई भर्ती परीक्षाएं और परिणाम लटके
प्रदेश में स्थिति यह है कि कई भर्ती परीक्षाएं और परिणाम अधर में लटके हुए हैं। कर्मचारी चयन मंडल ने गत जुलाई में पटवारी के करीब नौ हजार रिक्त पदों पर भर्ती परीक्षा के परिणाम जारी किए थे। परीक्षा में घोटाले का आरोप लगाते हुए अभ्यर्थियों ने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया था। इन आरोपों को देखते हुए तत्कालीन सीएम शिवराज ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए सेवानिवृत न्यायाधीश से जांच करवाने के आदेश दिए थे। इस कारण भर्ती अटक गई।
50 हजार पदों पर ही हो पाई भर्ती…
उल्लेखनीय है कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 15 अगस्त, 2022 को एक साल के अंदर एक लाख रिक्त पदों पर भर्ती की घोषणा की थी। सामान्य प्रशासन विभाग पूरी कोशिश के बाद भी 50 हजार पदों पर ही भर्ती कर पाया। अभी भर्ती प्रक्रिया पूरी ही नहीं हो पाई थी, कि विधानसभा चुनाव की आपाधापी के बीच जुलाई, 2023 में पूर्व सीएम शिवराज ने फिर 50 हजार रिक्त पदों पर और भर्ती की घोषणा कर दी। इसके तीन महीने बाद भाजपा का संकल्प पत्र जारी हुआ, जिसमें पांच साल में ढाई लाख पदों पर भर्ती की घोषणा की गई। इस तरह पिछले डेढ़ साल में मप्र में चार लाख पदों पर भर्ती की घोषणा की गई, जिनमें से 50 हजार पदों पर भर्ती की जा चुकी है। साढ़े तीन लाख पदों पर भर्ती होना बाकी है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने हाल में संकल्प पत्र की समीक्षा बैठक में रिक्त पदों पर भर्ती शुरू करने के निर्देश दिए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

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