बगैर संगठन मैदानी स्तर पर कैसे होगा मंथन, तीन दिन बाद भी नहीं हो सका शुरु

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वाकई कांग्रेस संगठन की कार्यप्रणाली आश्चर्यचकित करने वाली है। यही वजह है कि वह चुनाव कोई भी हो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। अगर लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो कभी ऐसा लगा ही नहीं कि कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए मैदान में है। इसकी वजह है उसका बगैर किसी तैयारी के चुनाव में उतर जाना। चुनावी प्रक्रिया शुरु होने के बाद से जिस तरह से कांग्रेस के कार्यकर्ता से लेकर नामचीन नेता तक जिस तरह से पार्टी को लगातार अलविदा कह रहे थे , तब भी संगठन की नींद नही खुली बल्कि, ऐसा लगा की उससे पार्टी नेताओं को कोई अंतर ही नहीं पड़ रहा है। अन्यथा नेताओं के दलबदल के सिलसिले को समाप्त करने के लिए कुछ तो कदम उठाए जाते। अब ताजा मामला पार्टी में मंथन का है। संगठन ने तय किया है कि वह प्रदेश के सभी ब्लाकों में जाकर वहां पदाधिकारियों के साथ बैठक कर पार्टी की कमजोरियों का पता लगाकर संगठन को मजबूत करने पर विचार विर्मश किया जाना है। इसके लिए बैठकों का दौर  इसी हफ्ते से शुरु करने की योजना तैयार की गई थी, लेकिन  ऐसे में सवाल खड़ा हुआ है कि जब संगठन का गठन ही नहीं हुआ है तो मंथन आखिर किसके साथ और कैसे होगा।  दरअसल प्रदेश की सभी 29 सीटों पर मतदान होने के बाद कांग्रेस ने 20 मई को सभी लोकसभा उम्मीदवारों के साथ बैठक कर अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 में होने वाले चुनाव की तैयारियों पर चिंतन किया था। बैठक में संगठन को मजबूत बनाने के लिए ब्लॉक स्तर पर 15 जून से मंथन कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। तय हुआ था कि पार्टी के बड़े नेता ब्लॉक स्तर पर मंथन कार्यक्रम में शामिल होकर कार्यकर्ताओं की समस्याएं सुनेंगे और 10 साल का रोडमैप तैयार करेंगे। यह कार्यक्रम 15 अगस्त तक चलाया जाएगा। ब्लॉक स्तर के बाद जिला स्तर पर इसे चलाया जाना प्रस्तावित है। लेकिन अब तक मंथन को लेकर पार्टी की कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। कार्यक्रम की रूपरेखा क्या होगी, कौन सा नेता किस ब्लॉक में जाएगा, किस स्थान पर कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, इसका अब तक कोई अता-पता नहीं है। ऐसे में कांग्रेस के पूर्व के कार्यक्रमों की तरह मंथन कार्यक्रम भी महज रस्म अदायगी बनकर रहने की उम्मीद की जाने लगी है। । कांग्रेस नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह पार्टी में भगदड़ मची और मप्र में जो चुनाव परिणाम आया, उससे कार्यकर्ताओं में भारी निराशा है। जीतू पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस की कार्यकारिणी भंग कर दी गई थी।
अब तक नहीं बनी प्रदेश कार्यकारिणी
प्रदेश स्तर पर जब अभी नई प्रदेश कार्यकारिणी नहीं बन सकी है , तो समझा जा सकता है कि ब्लॉक स्तर पर कब बनेगी। यह बात जरूर कही जा रही है कि नई कार्यकारिणी के लिए नामों की सूची पार्टी हाईकमान को भेजी जा चुकी लेकिन अब तक हाईकमान द्वारा उस पर निर्णय नहीं लिए जाने की वजह से मंथन कार्यक्रम का काम भी अटक गया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अभी यह तय नहीं है कि नई कार्यकारिणी कब तक घोषित होगी। ऐसे में फिलहाल नहीं लगता है कि पार्टी का मंथन कार्यक्रम इस माह में शुरु हो पाएगा।

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