![बांधों](https://www.bichhu.com/wp-content/uploads/2021/09/1-4.jpg)
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल में भारी बारिस की वजह से कई पुल और पुलियां टूट चुकी हैं अगर यही हालात एक बार फिर बने तो रखरखाव के अभाव में सैकड़ों छोटे बांधों के टूटने की संभावना बनी हुई है। यह बांध प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर हैं। इस मामले में प्रदेश का वित्त विभाग बेहद लापरवाह बना हुआ है। वित्त विभाग से प्रदेश के करीब 274 लघु और मध्यम बांधों के रखरखाव के लिए 187 करोड़ रुपए मांगे गए थे लेकिन, इसके एवज में अब तक दिए हैं महज 17.79 करोड़ रुपए। यानी की करीब 215 बांधों के रखरखाव के लिए कोई राशि ही जारी नहीं की गई है। गौरतलब है कि लघु और मध्यम बांधों की उम्र वृद्धि के लिए उनका हर तीन साल में मेंटेनेंस कराना अनिवार्य होता है। खास बात यह है कि इनमें से आधा दर्जन बांध तो ऐसे हैं, जो 100 साल के लगभग पुराने हो चुके हैं। इसके पूर्व बीते साल में 156.27 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। उधर, प्रदेश के 10 बड़े बांधों में लगेगा अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लागने का फैसला किया गया है।
इन बांधों के लिए है फंड का इंतजार
मदनपुरा तालाब, लिबंदा जलाशय, भगोरी तालाब, सांदलपुर जलाशय, झांझरपुर बैराज, बडोखरा तालाब, दिनारा तालाब, बर्धा बुजुर्ग, गढ़ी सेमरा, पिपरिया जलाशय, डोलानाला, इकलेरा बैराज, जनोली जलाशय, बिशनखेड़ी, बागोदा बैराज, फतेहपुर, लांघी जलाशय, जाखावाड़ी जलाशय, पिठेर, रोहनाखुर्द, मदनी,पडरिया कलां बांध।
अभी इन बांधों के लिए मिला बजट
पिपलिया कुमार, चकल्दी बैराज, नगपुरा नगझिरी, बजगंवा सिरसोदिया, हिरावाड़ी, घुघरनाला, जमुनिया गोंड, चुरारी, निवारा कलां, चिचण्डा स्टोरेज, भसुडा नाला, दुधरिया, पारना जलाशय, देवरी, श्यामरडाडा, नचनौरा, सतधारा, टाकली बैराज, गौर जलाशय आदि बांध शामिल हैं।
इन 10 बड़े बांधों में लगेगा अर्ली वॉर्निंग सिस्टम
बांधों में कितने घंटे में कितना जल स्तर बढ़ेगा इसका पता लगाने के लिए फिलहाल 10 बड़े बांधों में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लागने का फैसला किया गया है। इसका पता लगने से समय रहते पानी को बाधों से छोड़कर उन्हें बचाया जा सकेगा। तेज और लगातार बारिश के कारण और 3 अगस्त को शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, ग्वालियर सहित ग्वालियर-चंबल संभागों के आठ जिलों में नदियां उफनने से बड़े बांधों के टूटने का खतरा पैदा हो गया था। आनन-फानन में शिवपुरी के अटल सागर बांध, श्योपुर के अपर ककैटो डैम और आबदा बांध से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ना पड़ा था। इसकी वजह से निचले क्षेत्रों में बाढ़ के हालात बनने के साथ ही और कई गांवों डूब गए थे। दरअसल, नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तिहत शिवपुरी के अटल सागर (मड़ीखेड़ा) बांध सहित प्रदेश के 10 बड़े बांधों में इस साल अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाने का फैसला किया गया है। इसके माध्यम से न सिर्फ बारिश के कारण बांध के कैचमेंट क्षेत्र यानी नदी में बढ़ा जल स्तर रियल टाइम में पता चल सकेगा , बल्कि ये आकंलन भी हो सकेगा कि बांध में कितने घंटे में कितना पानी बढ़ेगा। इसी हिसाब से बांध से पानी छोड़ने के लिए आॅटोमैटिक गेट आॅपरेशन भी शुरू हो सकेगा। जिन बांधों पर यह सिस्टम लगाया जाना है उनमें अटल सागर बांध, बाणसागर,बरगी बांध, राजीव सागर, पेंच डायवर्जन, संजय सागर, तवा, बारना , गांधी सागर और माही बांध शामिल है।