- शिक्षकों के सामने बनी असमंजस की स्थिति …
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भाजपा आज से विकास यात्रा निकाल रही है। इस यात्रा के दौरान जनप्रतिनिधि जनता के बीच जाकर सरकार के विकास कामों को बताएंगे। यात्रा को सफल बनाने की जिम्मेदारी प्रशासन के ऊपर है। इसलिए प्रशासन ने यात्रा के रूट के साथ ही स्कूलों के रंग रोगन और सजावट पर विशेष फोकस किया है। लेकिन विडंबना यह है की स्कूलों का खजाना खाली है। ऐसे में शिक्षकों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है की वे स्कूलों की सजावट कैसे करें।
सूत्रों का कहना है कि प्रशासन ने वस्तु स्थिति जाने बिना ही फरमान सुना दिया है कि स्कूलों को चकाचक किया जाए। गौरतलब है की सरकार की योजनाओं एवं विकास कार्यों के गुणगान के लिए आज से विकास यात्रा निकाली जा रही है। इसके साथ ही पिछले 19 सालों में भाजपा सरकार ने इस राज्य को कहां से कहां पहुंचाया, इसको लेकर भी प्रदर्शनी और जागरूकता रथ के माध्यम से लोगों को जानकारी दी जाएगी। इसको लेकर मंत्री, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि स्कूलों, आंगनबाडिय़ों में जाकर लोगों को सरकार की उपलब्धियां बताएंगे।
स्कूलों के विकास का पूरा पैसा निकाल लिया
विकास यात्रा के मद्देनजर स्कूलों की सजावट का फरमान तो जारी कर दिया गया है। लेकिन स्कूलों के पास विकास का फंड ही नहीं बचा है। जानकारी के अनुसार 2021 में ही सरकार शाला प्रबंध समिति के खाते से सारा पैसा निकाल चुकी है। राज्य शिक्षा केंद्र ने जून 2021 में प्रदेश के एक लाख से अधिक स्कूलों के खाते शून्य कर दिए थे। इंदौर के 1700 से अधिक स्कूलों के 35 करोड़ रुपए डूब गए। तब विभाग ने वादा किया था कि समग्र शिक्षा के नाम से नए खाते खोलेंगे। खाते तो खुल रहे हैं, लेकिन राशि अब तक नहीं आई।
सजावट का बोझ शिक्षकों पर
स्कूलों की आर्थिक स्थिति का आंकलन किए बिना ही शिक्षकों को स्कूलों की रंगाई-पुताई और सजावट का फरमान सुना दिया गया है। मुश्किल यह है कि 2021 में ही सरकार शाला प्रबंध समिति के खाते से सारा पैसा निकाल चुकी है। चाक, डस्टर आदि का इंतजाम तो वे किसी तरह जेब से कर रहे हैं। छोटे स्कूलों की रंगाई-पुताई के लिए भी ठेकेदार 50 हजार से 1 लाख रुपए मांग रहे हैं। शिक्षकों को समझ नहीं आ रहा कि वे इतने पैसे कहां से लाएं। पीपल्दा स्कूल के प्रधान पाठक योगीराज पटेल कहते हैं कि क्षेत्र के पटवारी पुताई नहीं करने पर कार्रवाई की धमकी दे रहे हैं। यही नहीं राज्य शिक्षा केंद्र ने विकास यात्रा के दौरान स्कूलों में वार्षिकोत्सव आयोजित करने तथा प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के सम्मान का भी आदेश दिया है। सोनवाय स्कूल के प्रधान पाठक धीरेंद्र मालवीय कहते हैं कि पहले ही ढेर सारे खर्च जेब से करना पड़ रहे हैं। सारे आयोजन के लिए राशि हम कहां से लाएंगे।
कहां से लाएं पैसा
विकास यात्रा के फेर में प्रशासन ने स्कूलों के शिक्षकों का बीपी बढ़ा दिया है। उनके सामने समस्या यह है कि स्कूलों के रंग रोगन और सजावट के लिए पैसा कहां से लाएं। शामावि छोटी खजरानी के प्रधान पाठक भगवती प्रसाद पंडित का कहना है कि स्कूल में 5 कमरे हैं, पुताई के लिए ठेकेदार ने 50 हजार का खर्च बताया है। सांस्कृतिक कार्यक्रम, पुरस्कार वितरण एवं अन्य खर्च के लिए के लिए हाथ फैलाना पड़ रहा है। वहीं डीपीसी आरएसके अक्षय सिंह राठौर का कहना है कि शासन की नीति के हिसाब से स्कूलों को यह काम करना होंगे। इसके हिसाब से 10 हजार से 1 लाख दिए जाएंगे। बिल लगाएं, पैसा मिल जाएगा।
विकास यात्रा का ऐसी होगी
प्रदेश सरकार और भाजपा के प्रदेश संगठन की ओर से भी निर्देश दिए गए हैं कि उस क्षेत्र में होने वाले विकास कार्य के लोकार्पण और भूमिपूजन की सूची तैयार की जाए और उनमें लोगों को शामिल कर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि तथा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को शामिल कर कार्यक्रम किए जाए। निर्देशों के अनुसार विधानसभा में विधायक तो अपने क्षेत्र में करवाए गए कामों की जानकारी देंगे ही वहीं वर्तमान परिषद द्वारा पिछले 6 माह में किए गए कामों की जानकारी भी लोगों को दी जाए। भले ही उस क्षेत्र में छोटे से छोटा या बड़े से बड़ा काम हुआ हो। साथ ही लोगों की प्राथमिकता वाले कामों को लेकर भी बात की जाए। इसमें निगम और प्रशासन के अधिकारी भी सहयोग करेंगे तथा सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने की पहल करेंगे। विधानसभा में निकाली जाने वाली विकास यात्रा के सबसे आगे विकास पताका रहेगी। पताका फहराने के पीछे उद्देश्य यह है कि सरकार चारों दिशा में विकास कर रही है और हर वर्ग के साथ-साथ हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। इसके साथ ही उस क्षेत्र में कराए गए महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी देने वाले फ्लेक्स भी यात्रा में रहेंगे। विकास रथ बनाया जाएगा और उसमें मुख्यमंत्री के संदेश का प्रसारण किया जाएगा। इस दौरान जनसभा और नुक्कड़ सभा को वरिष्ठ नेता संबोधित करेंगे।