मंत्री के निर्देशों पर वन अफसर नहीं कर रहे अमल
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का वन विभाग पूरी तरह से मनमर्जी से चल रहा है। यह ऐसा विभाग है जिसमें न तो विभाग के मंत्री के निर्देशों का पालन किया जाता है और न ही नियम कायदों का ख्याल रखा जाता है। हालात यह हैं कि आला अफसर अपने हिसाब से कामकाज करने के आदी हो चुके हैं, फिर मामला गंभीर ही क्यों न हो। इसकी वजह से इस विभाग के बारे में तो अब कहा जाने लगा है कि यहां पर सुशासन शब्द परिभाषित ही नहीं होता है। हालात इससे ही समझे जा सकते हैं कि मंत्री विजय शाह द्वारा बीते कुछ माह में जितने भी निर्देश दिए गए उनमें से किसी पर भी अब तक अमल करना तो दूर उसकी योजना तक तैयार नहीं की गई है। इसके कई उदाहरण हैं। तीन महिने पहले मंत्री ने प्रत्येक वन मंडल में 10 हेक्टेयर में आदर्श जंगल तैयार करने के निर्देश दिए थे, 3 महीने निकले के बाद भी विभाग इसके लिए ब्लू प्रिंट तक तैयार नहीं कर सका है। यही नहीं मंत्री के निर्देश के बाद भी निहत्थे मैदानी अमले की करंट वाले डंडे और अत्याधुनिक कैप तक की खरीदी नहीं की गई है।
इस कैप में टॉर्च और वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा रहती है। यहां तक कि वीडियो कांफ्रेंसिंग में जो भी मौखिक निर्देश दिए, उन सभी भी अफसरों ने अमल करना मुनासिब नहीं समझा है। इसी तरह से शाह के द्वारा निर्देश दिए थे कि निर्माण कार्य और चैनलिंक फेसिंग कार्य वगैरह की खरीदी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी नहीं करेंगे। निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी से कराने के मौखिक निर्देश देते हुए एक माह में तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक विकास चितरंजन त्यागी को नियम बनाने के लिए कहा गया था, लेकिन त्यागी ने अपने छह माह के कार्यकाल में इसके नियम ही नहीं बनाए। इसी तरह से उनके द्वारा डीएफओ, एसडीओ और रेंजर को जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करने को भी कहा गया था, लेकिन इसका भी अब तक पालन नहीं किया गया है।
वन कटाई में जबलपुर पहले स्थान पर
10 महीने के लेखा- जोखा के अनुसार अवैध कटाई के मामले में जबलपुर सर्किल नंबर वन है, जबकि शहडोल सर्किल में वन्य प्राणियों के सबसे अधिक शिकार के मामले सामने आए हैं। दरअसल लटेरी गोली कांड के बाद से ही वन विभाग का भय विभाग जदा मैदानी अमला बिना हथियार के जैसे तैसे गश्त कर रहा है। जबलपुर सर्किल में अवैध कटाई के बीते दस माह में 3636 अवैध कटाई के मामले वन अधिकारियों ने दर्ज किए हैं। जानकारी के मुताबिक शासकीय दस्तावेज में दर्ज अपराधिक प्रकरण से कई गुना अधिक अवैध कटाई हो रही है। मैदानी अमले के अनुसार सबसे अवैध कटाई मंडला और डिंडोरी के जंगलों में की जा रही है। वन विभाग का मैदानी अमला नक्सली और सशस्त्र टिंबर माफिया के डर से रात में तों गश्त करना बंद ही कर चुका है, जिसका फायदा वन माफिया जमकर उठा रहा है। अवैध कटाई के मामले में दूसरे क्रम पर बैतूल सर्किल है। दरअसल बैतूल के जंगलों में सागौन की सबसे अच्छी गुणवत्त पायी जाती है, जिसकी वजह से इस सर्किल में अंतर्राज्यीय टिंबर माफिया सक्रिय है।
बताया जाता है कि इस सर्किल में विभाग का अमला भी वन माफिया से मिला रहता है। यही नहीं वन संरक्षक और डीएफओ रोस्टर के अनुसार भ्रमण तक नहीं करते हैं। जनवरी से अक्टूबर के अंत तक बैतूल सर्किल में 2815 अवैध कटाई के मामले दर्ज हो चुके हैं। सूत्रों की माने तो इन 10 महीनों में कई दर्जन ट्रक सागौन की इमारती लकड़ी नागपुर और उसके आसपास के बाजारों में तस्करों द्वारा बेंची जा चुकी है। हद तो यह है कि इसकी भनक तक फॉरेस्ट अफसरों को नहीं लगी। इसी तरह से शहडोल सर्किल अवैध शिकार के मामले में शीर्ष पर है। पिछले 10 महीने 1 से अधिक वन्य प्राणियों शिकार के मामले पंजीबद्ध किए गए। यानी हर महीने 7 से 8 वन्य प्राणियों के शिकार हो रहे हैं। शहडोल में 2739 प्रकरण पंजीबद्ध हुए है।
तीन दिन तक होगी विभाग की समीक्षा
वन मंत्री विजय शाह सोमवार से 3 दिन तक विभाग की समीक्षा करेंगे। यह बात अलग है कि अब तक उनके द्वारा दिए गए निर्देशों पर अमल नहीं हुआ जिसकी वजह से विभाग की समीक्षा का कितना फायदा होगा समझा जा सकता है। यही वजह है कि शाह अपने विभाग में चाह कर भी नवाचार नहीं कर पा रहे हैं।