हाउसिंग बोर्ड को भी मंहगे दामों पर मिलेगी जमीन

हाउसिंग बोर्ड
  • मप्र पुर्नघनत्वीकरण नीति में संशोधन का असर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही हाउसिंग बोर्ड सरकार की ही एक संस्था है, लेकिन अब उसे भी अपनी योजनाओं के लिए कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से जमीन लेने के लिए पैसा देना होगा। इससे न केवल हाउसिंग बोर्ड की योजनाओं की लागत बढ़ेगी, बल्कि आम आदमी को भी हाउसिंग बोर्ड से मकान खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकानी होगी। दरअसल प्रदेश सरकार अब मप्र पुनर्घनत्वीकरण  (रीडेंसीफिकेशन) नीति में संशोधन करने की तैयारी कर रही है।
दरअसल शहरी क्षेत्रों में हाउसिंग बोर्ड को मिलने वाली जमीन कलेक्टर गाइड लाइन के दर पर उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को सीएस की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति भी मंजूरी प्रदान कर चुकी है।  अब प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा, जहां पर मुहर लगते ही इस प्रस्ताव पर अमलीजाम पहनाया जा सकेगा। जाएगा। अभी तक सरकार बोर्ड को कलेक्टर गाइडलाइन से 40 फीसदी से कम दर पर भूखंड उपलब्ध कराती थी।  प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास विभाग  का कहना है कि प्रदेश पुर्नघनत्वीकरण नीति में संशोधन पर विचार किया जा रहा है। इसमें हाउसिंग बोर्ड को उपलब्ध कराए जाने वाले भूखंडों की दरों में कुछ संशोधन करने पर विचार किया जा रहा है। कैबिनेट के निर्णय के बाद इसे लागू किया जाएगा।
10 हजार करोड़ से अधिक के प्रस्ताव
हाउसिंग बोर्ड को सरकार सामान्य दरों पर जगह उपलब्ध कराती है और सरकार नो लॉस नो प्रॉफिट पर लोगों को आवास उपलब्ध कराती है। इसी के चलते हाउसिंग बोर्ड के आवास, दुकान और व्यावसायिक भवन बिल्डरों से कम दर पर आसान से मिल जाते हैं। प्रदेश में बीते दो दशक में रीडेंसीफिकेशन से राजधानी सहित कई शहरों में हाउसिंग और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट लांच किए गए हैं। आने वाले 10 सालों में 10 हजार करोड़ से अधिक के हाउसिंग, कमर्शियल काम्प्लेक्स बनाने का प्रस्ताव है। वर्तमान में सरकार हाउसिंग बोर्ड को सब्सिडी दर पर (कलेक्टर गाइड का 60 प्रतिशत) भूखंड उपलब्ध कराती है। भूखंड और प्रोजेक्ट कास्ट की वैल्यू के बाद बिल्डिंग की दरें तय होती हैं। अब सरकार कलेक्टर गाइड की दर से भूखंड देगी इसलिए कॉस्ट बढ़ जाएगी। इसकी वजह है, इस बदलाव की मुख्य वजह यह है कि शहरी क्षेत्रों में सामान्य तौर पर प्रॉपर्टी की खरीदी- बिक्री कलेक्टर गाइड लाइन से ज्यादा में की जाती है। कम दरों पर बोर्ड को जगह उपलब्ध कराने पर सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। हाउसिंग बोर्ड पुराने, जर्जर बहुमंजिला भवनों और व्यावसायिक परिसरों को नए सिरे से बनाएगा। जो कॉम्प्लेक्स जहां है, वहीं पर बनाया जाएगा। लेकिन इसकी ऊंचाई बढ़ा दी जाएगी।
महंगे होंगे हाउसिंग बोर्ड के मकान
वर्तमान में सरकार हाउसिंग बोर्ड को सब्सिडी दर पर भूखंड उपलब्ध कराती है। भूखंड और प्रोजेक्ट कास्ट की वैल्यू के बाद बिल्डिंग की दरें तय होती हैं। अब सरकार कलेक्टर गाइड की दर से भूखंड देगी इसलिए कॉस्ट बढ़ जाएगी। इस बदलाव की मुख्य वजह यह है कि शहरी क्षेत्रों में सामान्य तौर पर प्रापर्टी की खरीदी- बिक्री कलेक्टर गाइडलाइन से ज्यादा में की जाती है। कम दरों पर बोर्ड को जगह उपलब्ध कराने पर सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। हाउसिंग बोर्ड पुराने, जर्जर बहुमंजिला भवनों और व्यावसायिक परिसरों को नए सिरे से बनाएगा। जो काम्पलेक्स जहां है, वहीं पर बनाया जाएगा। लेकिन इसकी ऊंचाई बढ़ा दी जाएगी। जितने दिन इस प्रोजेक्ट को तैयार होने में लगेगा, उतने दिन का किराया वहां के रहवासियों कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार दिया जाएगा। इस दौरान फ्लैट में रह रहे लोगों को उनका आवास उपलब्ध करा दिया जाएगा। शेष फ्लैटों को बोर्ड निजी लोगों को बेच देगा। इसमें पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर चयन होगा। राजधानी सहित 25 शहरों में रीडेंसीफिकेशन की योजना प्रस्तावित है। इस योजना में इस संशोधन नीति को अपनाते हुए प्रोजेक्ट कॉस्ट तय की जाएगी। इसी आधार पर सरकारी और निजी लोगों को आवास और व्यावसायिक स्पेस उपलब्ध कराया जाएगा।

Related Articles