विवाह योजना और सिंचाई परियोजना के घोटाले की कुंडली तैयार

विवाह योजना और सिंचाई परियोजना
  • सिरोंज में विवाह योजना में 30 करोड़ तो सात सिंचाई परियोजनाओं में हुए हैं 877 करोड़ के घोटाले

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो यानी ईओडब्ल्यू जल्द ही प्रदेश के दो बहुचर्चित घोटालों की चार्जशीट पेश करेगा। सूत्रों का कहना है कि ईओडब्ल्यू ने दोनों घोटालों में जांच के बाद पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है।  जल्द ही इनकी  चार्जशीट पेश की जाएगी। जिससे घोटालों की सारी हकीकत सामने आ जाएगी। गौरतलब है कि दोनों घोटाले सामने आने के बाद प्रदेश में हंगामा सा मच गया था। क्योंकि इन घोटालों ने सरकार की जीरो टालरेंस नीति को कटघरे में खड़ा कर दिया था।  उल्लेखनीय है कि  साल 2022 के शुरूआती तीन महीने में ईओडब्ल्यू की ओर से दो बड़े मामलों में प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की गर्ई थी। इनमें से विदिशा जिले की सिरोंज जनपद पंचायत में मुख्यमंत्री विवाह योजना के नाम पर किए गए 30 करोड़ से अधिक के फर्जीवाड़े में तत्कालीन सीईओ शोभित त्रिपाठी और उनके द्वारा कार्यालय में रखे गए निजी कम्प्यूटर आॅपरेटर हेमंत शर्मा और योगेंद्र साहू के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर 3 फरवरी को इनकी गिरफ्तारी की गई थी। तब से तीनों आरोपी जेल में हैं। ईओडब्ल्यू इनके खिलाफ जल्द ही चार्जशीट पेश करने जा रही है, जिसमें आरोपियों द्वारा किए गए घोटाले की सिलसिलेवार जानकारी होगी। बता दें, घोटाले का मुख्य आरोपी शोभित त्रिपाठी मप्र के कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव का नजदीकी रिश्तेदार है। इधर, 31 मार्च को ईओडब्ल्यू ने सात सिंचाई परियोजनाओं में नहर बनाने के नाम पर हुए 877 करोड़ रुपए के घोटाले में पूर्व प्रमुख अभियंता राजीव कुमार सुकलीगर समेत अधीक्षण यंत्री शरद श्रीवास्तव और मुख्य अभियंता शिरीष मिश्रा के खिलाफ केस दर्ज किया था। बता दें, ये पूरा मामला वर्ष 2018-19 का था और शिकायत मिलने पर दस्तावेजों की जांच में ही तकरीबन छह महीने का समय लगा था।
प्रतिबंधित अवधि में शादी के नाम पर फर्जीवाड़ा
मुख्यमंत्री विवाह योजना के तहत सिरोंज जनपद पंचायत में तत्कालीन सीईओ शोभित त्रिपाठी ने कार्यालय में अवैध रूप से रखे गए दो कम्प्यूटर आॅपरेटरों से मिलीभगत कर वर्ष 2019 से 2021 तक 30 करोड़ रुपए से अधिक की राशि निकाली। इनमें कोरोनाकाल में जब विवाह पर प्रतिबंध था, उस समय भी 3500 से अधिक प्रकरण स्वीकृत कर 18 करोड़ रुपए की बंदरबांट हुई। जांच में पता चला है कि ऐसे लोगों के नाम पर रुपए निकाले गए, जिन्होंने आवेदन तक नहीं किया था, वहीं 27 साल के युवाओं की बेटियों की शादी के नाम पर तक रुपए निकाले गए। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस घोटाले को सिरोंज से भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा ने भी उठाया था।
बिना काम कंपनियों को कर दिया भुगतान
जल संसाधन विभाग की सात बांध एवं नहर निर्माण परियोजना में वर्ष 2018-19 में निजी निर्माण कंपनियों को नियम विरुद्ध भुगतान के मामले में ईओडब्ल्यू ने 31 मार्च को प्रकरण दर्ज किया था। कई कंपनियों ने भुगतान लेने के बाद काम छोड़ दिया, वहीं तीन परियोजनाओं में तो काम ही शुरू नहीं हुआ और 489 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया। इसके अलावा सातों परियोजनाओं में काम अधूरा है। बांध का निर्माण होने से पहले ही नहरों के लिए पाइप की खरीदी कर ली गई। बता दें, सागर में दो, सिंगरौली में एक, बैतूल जिले में तीन तो दमोह में एक परियोजना निमार्णाधीन हैं। बहरहाल इस फर्जीवाड़े की जांच के लिए बनाई गई टीम उन शहरों के कार्यालयों की छानबीन करेगी, जहां ये सिंचाई परियोजना क्रियान्वित की जा रही थीं। ईओडब्ल्यू एसपी राजेश कुमार मिश्रा के मुताबिक इस मामले के तकनीकी पहलुओं की जांच की जा रही है।

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