‘माननीयों’ का जैविक खेती से नहीं कोई सरोकार

जैविक खेती

– रासायनिक खेती से मप्र को कैसे मिलेगी निजात
– प्रदेश सरकार के 23 मंत्री करते हैं खेती-किसानी
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र जैविक खेती और इससे जुड़े उत्पादों के निर्यात में देश में अव्वल है। प्रदेश में लगातार जैविक खेती का क्षेत्र बढ़ रहा है। लेकिन रासायनिक खेती का उपयोग कम नहीं हो रहा है। इसकी एक वजह यह है कि प्रदेश के माननीयों (सांसदों, मंत्रियों, विधायकों)का जैविक खेती से कोई सरोकार नहीं है। प्रदेश सरकार के 23 मंत्रियों का पेशा भी खेती किसानी है, लेकिन उनमें से अधिकांश जैविक खेती से काफी दूर हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में सरकार ने जैविक व प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना तय किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों को जैविक व प्राकृतिक खेती का मॉडल पेश करने के लिए कहा है, लेकिन अधिकतर मंत्री अभी खेती के प्रयोगों से दूर हैं। मुख्यमंत्री खुद प्राकृतिक खेती करते हैं, लेकिन उनके मंत्रीगण परंपरागत खेती की राह पर नहीं है। शिवराज अनार से लेकर आम तक उगाते हैं, लेकिन उनके मंत्रीगण प्राकृतिक व जैविक खेती से दूर हैं।
जैविक खेती और उत्पादों के निर्यात में मप्र देश में अव्वल
मप्र जैविक खेती और इससे जुड़े उत्पादों के निर्यात में देश में अव्वल है। प्रदेश में लगातार जैविक खेती का क्षेत्र बढ़ रहा है। वर्ष 2017-18 में 11 लाख 56 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती हो रही थी। जबकि, वर्ष 2020-21 में यह क्षेत्र बढ़कर 16 लाख 37 हजार हेक्टेयर से अधिक हो गया है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश से पांच लाख टन जैविक उत्पाद का निर्यात हुआ, जो ढाई हजार करोड़ रुपये से अधिक का था।
सीएम के निर्देश पर जैविक खेती की तैयारी
 सीएम के निर्देश के बाद अब जैविक खेती के लिए कुछ मंत्रीगण तैयारी कर रहे हैं। पहले कुछ एकड़ में प्रयोग करेंगे, फिर उसके बाद आगे कदम उठाए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी भी मुख्यत: खेती का व्यवसाय करते हैं। अभी तक उन्होंने जैविक व प्राकृतिक खेती नहीं की है। प्रभुराम चौधरी का कहना है कि अभी तक जैविक खेती नहीं की है, लेकिन इस बार दो एकड़ में यह प्रयोग करने का विचार है। वहीं पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव, नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और अन्य कई मंत्री परंपरागत खेती ही करते हैं। लेकिन अब जैविक खेती की तैयारी कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी मंत्री हैं, जिन्होंने रिकॉर्ड पर खुद को किसान बताया है, लेकिन खेती से दूर ही रहते हैं। इनमें स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार शामिल हैं। इंदर की सीधे तौर पर कोई खेती नहीं है। इसी तरह सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया भी मुख्य रूप से खेती का रिकॉर्ड पेश करते हैं, लेकिन सीधे तौर पर खेती नहीं करते। ऐसे ही अनेक मंत्रीगण खेती से दूर रहते हैं। वही राज्य मंत्री बृजेंद्र सिंह कहते हैं कि एक बीघा मे घर के उपयोग के लिए धान की खेती जैविक की थी। बाकी नहीं। यदि मंत्रियों के अलावा विधायकों की बात की जाए, तो भी करीब 80 फीसदी विधायक खेती किसानी करना बताते हैं, लेकिन व्यवहारिक तौर पर कई इससे दूर हैं। विधायकों में कई विधायक जैविक खेती करते हंै। अभी 230 में से करीब 175 से ज्यादा विधायक खेती-किसानी से जुड़े हैं। बड़ी संख्या में विधायक ऐसे हैं, जिनके पास खेती की भूमि है, लेकिन खेती नहीं करते।
17 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में जैविक खेती
कृषि मंत्री कमल पटेल बताते हैं कि मध्यप्रदेश में 17 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में 7 लाख 73 हजार 902 किसान जैविक खेती कर रहे हैं। यह भी देश के दूसरे राज्यों से ज्यादा है। क्योंकि पूरे देश में 43 लाख किसान ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। जिसमें से पौने आठ लाख किसान अकेले मध्यप्रदेश के हैं। इसलिए हम जैविक कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट में भी नंबर वन पर हैं। साल 2020-21 में देश से कुल 7078 करोड़ रुपए के आॅर्गेनिक कृषि प्रोडक्ट दूसरे देशों को भेजे गए, जिसमें से
2683 करोड़ रुपए अकेले हमारे मध्यप्रदेश के हैं।
इन मंत्रियों का पेशा खेती-किसानी
प्रदेश सरकार के 30 मंत्रियों में से 23 मंत्री खेती करते हैं, लेकिन अधिकतर खेती-किसानी के प्रयोगों से दूर है। इसकी बड़ी वजह खेती के लिए अमले पर निर्भर रहना है। ऐसे में मंत्रीगण ने सीएम के निर्देशों के बावजूद अब तक प्राकृतिक व जैविक खेती को लेकर कोई कदम नहीं उठाया है। प्रदेश सरकार के जिन 23 मंत्रियों का पेशा खेती किसानी है उनमें अरविंद भदौरिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा, महेंद्र सिंह सिसौदिया, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, गोपाल भार्गव, बजेंद्र प्रताप सिंह, कमल पटेल, प्रभुराम चौधरी, बिसाहूलाल सिंह, इंदर सिंह परमार, विजय शाह, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, तुलसी सिलावट, मोहन यादव, हरदीप सिंह डंग, ओमप्रकाश सखलेचा, ओपीएस भदौरिया, भारत सिंह कुशवाह, सुरेश धाकड़, बजेंद्र सिंह यादव और रामखिलावन पटेल शामिल हैंं।
मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री करते हैं जैविक खेती
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कृषि मंत्री कमल पटेल कुछ हद तक जैविक खेती करते हैं। मुख्यमंत्री की विदिशा में खाम बाबा टीला बेसनगर और छीरखेड़ा के पास खेती है। वे यहां जरबेरा के फूलों सहित प्याज, सब्जियां, अनार और कई तरह के आम का उत्पादन लेते हैं। गेहूं-चने की भी यहां खेती होती है। इनकी खेती में एक बड़ा हिस्सा जैविक खेती का है। खुद शिवराज अक्सर अपनी खेती देखने के लिए पहुंचते हैं। अपने खेत के अनार और आम आदि फलों को ये कार्टून में पैक कर मार्केटिंग के लिए भेजते हैं। जरबेरा के फूलों के लिए पॉलीहाउस एवं ग्रीन हाउस बनवा रखे हैं, फूलों का यहां बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है, जिनकी मार्केटिंग प्रदेश सहित आसपास के राज्यों के बड़े नगरों में भी होती है। सीएम की खुद की बड़ी डेयरी है, जिसके गोबर का उपयोग खाद के रूप में होता है। कृषि मंत्री कमल पटेल को भी जैविक कृषि पसंद है। इस पर भरोसा करते हैं। कृषि मंत्री बताते हैं कि वग्राम बारंगा में स्थित उनके 10 एकड़ खेत में अरहर की जैविक फसल लगाई है। फसल में पूर्ण रूप से गोबर की जैविक खाद का उपयोग किया गया। जैविक खाद से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और शुद्ध फसल का उत्पादन मिलेगा।

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