- विधानसभा सचिवालय का ई-विधान प्रोजेक्ट तैयार
- विनोद उपाध्याय
मप्र की विधानसभा सचिवालय का ई-विधान प्रोजेक्ट तैयार हो गया है। सबकुछ ठीक रहा तो बजट सत्र पूरी तरह पेपरलेस होगा। यानी इस सत्र में सदन में विधायकों की सीटों पर टैबलेट लगाए जाएंगे। इससे विधायक टैबलेट के जरिए सवाल-जवाब कर क्षेत्र के मुद्दे उठाएंगे। विधायकों की टेबल तक लेन पहले ही डाली जा चुकी है। गौरतलब है कि मप्र में विधायकों को हाईटेक बनाने के लिए शिवराज सरकार ने पिछले बजट से पहले सभी को लैपटॉप खरीदने के लिए 50 हजार रुपये का अनुदान दिया था और विधानसभा में डिजिटल बजट पेश किया गया था। गौरतलब है कि 15वीं विधानसभा में विधायकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया था, अब 16वीं में इसे पूरी तरह लागू करने की तैयारी है। मप्र विधानसभा की कार्यवाही पेपरलेस होगी। पूरा कामकाज ऑनलाइन होगा। विधायकों को दस्तावेज की सॉफ्ट कॉपी मिलेगी। विभिन्न दस्तावेज भी सॉफ्ट कॉपी में होंगे। इससे कामकाज में तेजी आने के साथ सरकार का आर्थिक बोझ भी कम होगा। केंद्रीय संसदीय कार्य विभाग के अफसरों के साथ हुई बैठक में मप्र विधानसभा कार्ययोजना पर चर्चा हो चुकी है। बैठक में विधानसभा के पीएस एपी सिंह विशेष तौर से मौजूद रहे। यह पूरा कार्य केंद्र के ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत होगा। विधानसभा सचिवालय का ई-विधान प्रोजेक्ट तैयार है। लोकसभा सचिवालय एवं संसदीय कार्य मंत्रालय को भेजा जा चुका है। इसके तहत सदन के काम- काज को ऑनलाइन किया जाना है। शिवराज सरकार के कार्यकाल में प्रोजेक्ट की नींव रखी गई थी, लेकिन बजट के अभाव में ठंडे बस्ते में रहा।
अभी ये काम ऑनलाइन
मप्र विधानसभा में अभी कुछ काम ऑनलाइन हो रहे हैं। अभी विधायकों को राज्य के बजट की सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध कराई जाती है। विधायकों को सवालों के जवाब भी ऑनलाइन ही दिए जाते हैं। विधायकों के डिजिटल सिग्नेचर तैयार, ऑनलाइन वर्किंग में यही मान्य। वहीं विधानसभा सचिवालय और मंत्रालय के बीच ऑनलाइन वर्किंग पहले से है। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है। सदन में पूछे जाने वाले सवाल विधायक ऑनलाइन सिस्टम के जरिए भेजते हैं। विधानसभा सचिवालय ये सवाल सरकार को भेजती है। सरकार की ओर से जवाब भी ऑनलाइन स्वीकारे जाते हैं। इससे पेपर की बचत होने के साथ ही समय की बचत भी होती है। अब इस प्रक्रिया को और अपग्रेड किए जाना है। देश के सभी विधान मंडलों के काम- काज को पेपरलेस करने के लिए केंद्र ने नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा) तैयार किया है। यह प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा है। इसके जरिए संसद के दोनों सदनों सहित विधानमंडलों के कामकाज का ब्योरा ऑनलाइन रखा जाएगा। योजना का मुख्य उद्देश्य सभी विधानसभाओं को एक मंच पर लाना भी है।
क्या है ई-असेंबली
पेपरलेस असेंबली या ई-असेंबली एक अवधारणा है, जिसमें असेंबली के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक साधन शामिल हैं। यह संपूर्ण कानून बनाने की प्रक्रिया के स्वचालन, निर्णयों और दस्तावेजों की ट्रैकिंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान को सक्षम बनाता है। ई-विधान सिस्टम का मकसद देश की सभी विधानसभाओं को एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर लाना है, सभी विधानसभाओं के बाद इसे संसद और सभी विधान परिषदों में भी लागू करने की योजना है। मौजूदा रिपोर्ट्स के मुताबिक ई-विधान सिस्टम का 60 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठा रही है। विधानसभा सचिवालय का ई-विधान प्रोजेक्ट 21 करोड़ रुपए का है। इसमें से 60 प्रतिशत राशि यानी 12.60 करोड़ रुपए केंद्र सरकार देगी। 40 प्रतिशत यानी 8.40 करोड़ रुपए राज्य को खर्च करने होंगे। विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने सीएम से ई-विधान के लंबित प्रोजेक्ट पर गौर करने का आग्रह किया था। इस पर सीएम ने सहमति जताई थी। मप्र विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि ई-विधान प्रोजेक्ट लागू होते ही विधानसभा का काम-काज पेपरलेस होगा। इसको लेकर केंद्र के संसदीय कार्य विभाग के साथ बैठक हो चुकी है।
ऑनलाइन सवालों में विधायकों की रुचि नहीं
विधानसभा सचिवालय ने सभी विधायकों को सवाल से लेकर ध्यानाकर्षण, शून्यकाल की सूचनाएं, याचिकाएं, स्थगन प्रस्ताव तक ऑनलाइन पूछने की सुविधा दी है, लेकिन प्रदेश के विधायकों की ऑनलाइन सवाल पूछने में रुचि ज्यादा नहीं है। जानकारों का कहना है कि ई विधान व्यवस्था लागू होने के बाद दैनिक कार्यसूची, प्रश्नोत्तरी, बिल समेत सब कुछ डिजिटल होगा, इसके बाद पेपर पर कुछ नहीं होगा, 70 प्रतिशत खर्च कम होगा। हर विधायक की सीट के सामने टैबलेट लगाया जाएगा, जिसमें पूरी जानकारी सिंगल क्लिक से मिलेगी। यानि पूरी विधानसभा हाईटेक और डिजिटल होगी।