विकास की दौड़ में पिछड़े माननीय

माननीय
  • विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र योजना के तहत स्वीकृत कामों की गति ने बढ़ाई चिंता

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में करीब 6 माह बाद चुनावी बिगुल बज जाएगा। इस बार का चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा। लेकिन विडंबना यह है कि प्रदेश के अधिकांश विधायक विकास की दौड़ में पिछड़े हुए हैं। यानी 2018 के विधानसभा चुनाव में विधायकों ने अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास के जो वादे किए थे,वे भी अभी पूरे नहीं हो सके हैं।
अब चुनावी साल में विधायकों का पूरा फोकस विकास पर है। लेकिन विधायकों की चिंता इस बात की है कि विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र योजना के तहत स्वीकृत कामों की गति काफी धीमी है। ऐसे में विधायकों के सामने समस्या यह है कि वे अपने क्षेत्र की जनता को क्या जवाब देंगे। गौरतलब है की इस बार चुनाव में भाजपा जहां 18 साल के विकास को मुद्दा बनाएगी, वहीं कांग्रेस 15 माह के विकास को। लेकिन विधायकों की समस्या यह है कि वे अपने क्षेत्र की जनता को क्या जवाब देंगे। प्रदेश के विधायकों को अपने क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार अलग से प्रतिवर्ष ढाई करोड़ रुपए की राशि देती, है। इस राशि से वोटरों की मांग पर विधायक अपनी प्राथमिकता के हिसाब से काम करा सकते हैं। वर्ष 2023 चुनावी साल है। इस वर्ष प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में मौजूदा विधायकों के लिए ये जरूरी है कि वे अपने वोटरों को साधने के लिए विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र स्वीकृत कामों को जल्द से जल्द पूरा कराएं, जिससे कि विधानसभा चुनाव से पहले वोटरों की नाराजगी दूर हो और उन्हें साधने में मदद मिले, लेकिन प्रदेश में इस योजना के तहत होने वाले कामों का बुरा हाल है।
विधायकों की मांग पर होता है निर्माण
सरकार के अलग-अलग विभागों के पास इसके लिए पर्याप्त बजट होता है और विधायकों की मांग पर कामों को भी कराया जाता है।  उसके बाद भी विधायकों को राज्य सरकार प्रतिवर्ष 2 करोड़ 50 लाख रुपए जारी करती है। एक विधायक को उसके पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान 12 करोड़ 50 लाख रुपए दिए जाते हैं। विधायक वोटरों के मांग पर कुछ काम के लिए राशि स्वीकृत कर सकते हैं। ये उनका अधिकार है। विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना के तहत पक्के किस्म के निर्माण कराए जा सकते है। जब अपने क्षेत्र में किसी निर्माण कार्य को कराने के लिए विधायक सहमति देते है तो फिर इस आशय का प्रस्ताव बनाकर वे कलेक्टर को देते है। प्रस्ताव में कार्य का प्रकार, कहां निर्माण कराया जाना है उस पंचायत क्षेत्र की जानकारी देना होती है। साथ ही प्रस्ताव में ये भी बताना होता है कि वे योजना के तहत इस कार्य के लिए कितनी राशि मंजूर करते हैं। उसके बाद कलेक्टर विधायकों के प्रस्ताव के आधार पर कार्य कराने की अनुशंसा करते है। कलेक्टर की अनुशंसा के बाद वर्कआर्डर जारी होता है।
2742 काम नहीं हो पाए शुरू
जानकारी के अनुसार प्रदेश में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र योजना के तहत 9495 से अधिक काम स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन 2742 काम तो ऐसे हैं जो कि शुरू ही नहीं हो पाए हैं। वैसे तो राज्य सरकार प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए लगातार प्रयास करती है। विकास के इस क्रम में विधानसभा क्षेत्र भी पीछे नहीं रहते। राज्य सरकार के अलग- अलग विभाग अपने अलग-अलग कार्यक्रमों और योजनाओं के तहत विधानसभा क्षेत्रों के लिए काम करते हैं। फिर भला अस्पताल बनाना हो या फिर स्कूल, या फिर आंगनबाड़ी केंद्र बनाना हो या फिर पंचायत या सामुदायिक भवन। ये सभी काम राज्य सरकार की अलग- अलग योजनाओं के तहत बनते ही रहते हैं।

Related Articles