माननीयों की मनमानी पड़ रही…कार्यकर्ताओं को भारी

माननीयों

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही सरकार सुशासन और भ्रष्टाचार के मामले में जीरों टॉलरेंस का बखान करते -करते नहीं थक रही है , लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि इस हकीकत का खुलासा स्वयं भाजपा के ही कार्यकर्ताओं ने अपने वरिष्ठ नेताओं के सामने किया है। पार्टी के यह वरिष्ठ नेता मैदानी स्तर पर जब फीडबैक लेने पहुंचे तो कार्यकर्ताओं ने यह दुखड़ा सुनाया है। यही नहीं अधिकांश कार्यकर्ताओं व मैदानी पदाधिकारियों का इस दौरान अपने माननीयों की कार्यशैली को लेकर गुस्सा तक फूट पड़ा। उनका कहना था कि जिन अफसरों से जनता व कार्यकर्ता प्रताड़ित रहते हैं,  उनकी माननीय अपने खास होने की वजह से गुपचुप पदस्थापना करवा लेते हैं। इसकी वजह से उनके हौसले और बुलंद हो जाते हैं। पार्टी नेताओं का संरक्षण होने के कारण उनकी कहीं सुनवाई तक नहीं होती है।
उनका कहना था कि सरकारी अमला व अफसर तानाशाह के रुप में काम कर रहे हैं, वे जनता की तो ठीक भाजपा के स्थानीय नेताओं की बात तक नहीं सुनते हैं। इसकी वजह से उनके अपने व कार्यकर्ताओं तक के काम नहीं होते हैं, ऐसे में वे जनता के काम कैसे कराएं। कार्यकर्ताओं का यहां तक कहना है कि जब भी कोई चुनाव आता है तब जरुर पार्टी और नेताओं को उनकी याद आती है , उसके बाद उन्हें भुला दिया जाता है। इसकी वजह से कार्यकर्ता अपनी ही सरकार में उपेक्षित बने रहने को मजबूर बने रहते हैं। मंडल से जिला स्तर तक कोर ग्रुप की बैठक तक आयोजित नहीं की जाती हैं। इसकी वजह से कार्यकर्ताओं को अपनी बात रखने और न्याय पाने तक का मौका नहीं मिलता है। दरअसल, कार्यकर्ताओं की नाराजगी का पता लगाने के लिए ही पार्टी ने 14 बड़े नेताओं को अलग-अलग जगह भेजा था। इस तरह के मिले फीडबैक से अब राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश  केंद्रीय नेतृत्व को अवगत कराएंगे। यह पूरी कवायद पार्टी द्वारा इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं में कोई उत्साह नहीं दिखने की वजह से की गई है। कार्यकर्ताओं में ‘हमारी सरकार’ जैसे भाव का अभाव है, जिसकी वजह से माना जा रहा है कि इस बार चुनावी जमावट के दौरान पार्टी को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि प्रदेश में बीते साल हुए निकाय चुनाव में कार्यकर्ताओं की नाराजगी का असर पार्टी के नुकसान के रुप में सामने आ चुका है। इसकी वजह से ही भाजपा को अपने ही बेहद मजबूत गढ़ों में पहली बार हार का सामना करना पड़ा है। यही नहीं कार्यकर्ताओं ने मतदाताओं तक को बाहर निकालने तक से परहेज किया था।
यह भी निकला निष्कर्ष
बैठक में निष्कर्ष निकला है कि उपेक्षा के कारण भाजपा का मूल कार्यकर्ता कुंठाग्रस्त हो गया है। यदि अभी से उसकी सुध नहीं ली और प्रभारी मंत्रियों ने उनके साथ संवाद या समन्वय स्थापित करने की कोई कोशिश नहीं की तो मुश्किल हो जाएगी। इस दौरान यह बात भी सामने आयी कि प्रभारी मंत्रियों द्वारा दौरेे के समय सिर्फ प्रशासन से मुलाकात और मीटिंग तक ही खुद को सीमित रखा गया है। यही नहीं प्रभारी मंत्रियों द्वारा जानबूझकर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई है। कई जगह से रिपोर्ट मिली कि मंत्रियों और कद्दावर नेताओं ने संगठन को अपनी जेब में रख रखा है, जिसकी वजह से भी कार्यकर्ता नाराज हैं।
नहीं मिली सत्ता में भागीदारी
कार्यकर्ताओं में नाराजगी की बड़ी वजह यह भी सामने आयी है कि पार्टी की लगातार सरकार होने के बाद भी कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी से लगातार बंचित रखा गया है। स्थानी स्तर पर भी होने वाली राजनैतिक नियुक्तियां करने में सरकार द्वारा कोई रुचि नहीं ली गई है। इस बार तो ठीक इसके पहले की भाजपा सरकार में भी इसी तरह से उपेक्षा की गई थी। इसके उलट कांग्रेस के 15 माह के कार्यकाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जमकर पूछपरख होना भी एक वजह सामने आयी है।
यह भी वजह आयी सामने
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसकी वैसे तो वजहें सामने आ रही हैं, जिसमें पार्टी में पीढ़ी परिवर्तन सबसे मुख्य है। पीढ़ी परिवर्तन की बयार में 2019 में हुए संगठन चुनाव में युवाओं को अधिक मौका दे दिया गया। ऐसे में पुरानी और अनुभवी पीढ़ी दूर होती गई। इनमें नाराजगी बढऩे की वजह तब और गहरी हो गई, जब युवा पदाधिकारियों ने संगठन के कार्यक्रमों में भी इन पुराने कार्यकर्ताओं को बुलाने से परहेज किया। यही नहीं ये मुश्किल तब और बढ़ती गई, जब नई और अनुभवी पीढिय़ों के बीच संवादहीनता की स्थिति बना दी। दिग्गज नेताओं को जो फीडबैक मिला है, वह केवल उपेक्षा वाला नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी से भी भाजपा कार्यकर्ता नाराज हैं। जिला स्तर और तहसील स्तर पर सभी महत्वपूर्ण पदों पर मंत्रियों और विधायकों ने अपनी पसंद के अधिकारी बिठा रखे हैं। ऐसे अधिकारी  कार्यकर्ताओं को कोई महत्व नहीं देते हैं। कई जगह तो पुलिस द्वारा कार्यकर्ताओं तक को प्रताड़ित किए जाने के भी तथ्य पार्टी नेताओं को मिले हैं।

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