-वित्त विभाग ने विभागों के राशि खर्च करने की सीलिंग तय की
-14 विभागों को हर माह 3,540 करोड़ खर्च करने होंगे
भोपाल/गौरव चौहान /बिच्छू डॉट कॉम। वित्तीय वर्ष 2022-23 में योजनाओं-परियोजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से हो सके इसके लिए सरकार ने विभागों की राशि खर्च करने की सीलिंग तय कर दी है। वित्त विभाग के दिशा-निर्देश के अनुसार जहां 14 विभागों में हर माह के हिसाब से राशि खर्च करने की सीलिंग तय की गई है, वहीं अन्य विभागों की त्रैमासिक खर्च सीमा तय की गई है।
वित्त विभाग के दिशा-निर्देश के अनुसार इस साल 14 विभाग 39 हजार 819 करोड़ रुपए ही खर्च कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें 60 से लेकर 692 करोड़ तक खर्च करने की छूट दी गई है। यानि बजट में मंजूर राशि से भी कम खर्च करने की अनुमति मिली है। उक्त राशि पूंजीगत व्यय में खर्च करने का प्रावधान किया है। इस संबंध में वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। यह 14 विभाग अप्रैल में 3,540 करोड़ खर्च करने होंगे। ये मई से लेकर नवंबर तक हर माह 3,540 करोड़ रुपए ही खर्च कर सकेंगे, जबकि दिसंबर में 3,538 करोड़ तथा जनवरी 2023 से मार्च तक हर माह 2,654 करोड़ खर्च करने का प्रावधान किया गया है।
त्रैमासिक और मासिक खर्च की सीमा तय
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए वित्त विभाग ने बजट राशि जारी करते हुए व्यय की त्रैमासिक खर्च सीमा तय की है। साथ ही 14 डिपार्टमेंट में हर माह के हिसाब से राशि खर्च करने की सीलिंग तय की है। इसमें 7 विभागों को 250 करोड़ से अधिक की राशि खर्च करने की छूट दी गई है, जबकि 7 डिपार्टमेंट को 150 करोड़ से कम राशि खर्च करनी होगी। जनजातीय कार्य विभाग को अप्रैल से लेकर नवंबर तक हर माह 133 करोड़ तथा दिसंबर में 130 करोड़ और जनवरी से मार्च तक हर माह 100 करोड़ ही खर्च करने होंगे। स्कूल शिक्षा विभाग को अप्रैल से नवंबर तक 130 करोड़, दिसंबर में 127 करोड़ तथा जनवरी से सार्च 2023 तक 97 करोड़ व्यय करने की छूट दी गई है। राजस्व विभाग हर माह 126 करोड़ तथा जनवरी से 95 करोड़ खर्च कर सकेगा। वन विभाग को 124 करोड़ तथा 93 करोड़ पूंजीगत व्यय की सीमा तय की गई है।
सबसे अधिक पीएचई करेगा खर्च
वित्त विभाग ने जिन विभागों को खर्च करने की अनुमति दी है ,उसके अनुसार पीएचई सबसे अधिक खर्च करेगा। पीएचई दिसंबर तक 692 करोड़ खर्च करेगा। वहीं पीडब्ल्यूडी 499 करोड़, जल संसाधन 408 करोड़, पंचायतव ग्रामीण 346 करोड़, ऊर्जा विभाग 322 करोड़, नर्मदा घाटी 267 करोड़, नगरीय विकास 257 करोड़, चिकित्सा शिक्षा 95 करोड़, स्वास्थ्य विभाग 81 करोड़, उच्च शिक्षा 60 करोड़ रूपए खर्च करेगा।