माननीयों पर… हाईकोर्ट की सख्ती

  • बढ़ सकती है 3 विधायकों की मुश्किलें
  • विनोद उपाध्याय
माननीयों

प्रदेश में इन दिनों लोकसभा चुनाव का घमासान चरम पर है। इस बीच मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने तीन विधायकों को नोटिस देकर जवाब मांगा है। साथ ही उन्हें जमकर फटकार लगाते हुए इंदौर खंडपीठ ने धार जिले की गंधवानी से विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, धार से भाजपा विधायक नीना वर्मा एवं शाजापुर से भाजपा विधायक अरुण भीमावत को नोटिस जारी कर पूछा है कि आपके खिलाफ अनियमिताओं के आरोप हैं, क्यों न आपका चुनाव शून्य घोषित कर दिया जाए। हाईकोर्ट के सख्त रूख को देखते हुए माननीयों की विधानसभा की सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, तीनों विधायकों के खिलाफ चुनाव में अनियमितता करने का आरोप है। जिसको लेकर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की गई है। तीनों विधायकों के खिलाफ दायर चुनाव याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमकर फटकार लगाई और विधायकों को चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
नीना गुप्ता ने कोर्ट का आदेश नहीं माना
उच्च न्यायालय ने धार विधायक नीना वर्मा को सामाजिक कार्यकर्ता सुरेशचंद्र भंडारी द्वारा दायर चुनाव याचिका पर नोटिस भेजा है। भंडारी ने याचिका में नीना पर आरोप लगाए हैं कि उच्च न्यायालय ने 2013 में नीना वर्मा के निर्वाचन को उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद शून्य कर दिया था। साथ ही वर्मा को आदेश दिया था। उस चुनाव याचिका में कोर्ट ने वर्मा को आदेश दिया था कि वे याचिकाकर्ता को 10 हजार रुपये वकील फीस और वाद व्यय के रूप में भुगतान करें। वर्मा ने यह भुगतान आज तक नहीं किया है। चुनाव याचिका में दिए गए आदेश जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत माने जाते हैं। इनका पालन नहीं करने की स्थिति में निर्वाचन निरस्त किया जा सकता है। वर्मा ने चुनाव याचिका में हुए आदेश का पालन नहीं किया, इसलिए उनका निर्वाचन निरस्त किया जाए। कोर्ट ने वर्मा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
… तो बदल जाता परिणाम
उच्च न्यायालय ने एक अन्य मामले में शाजापुर विधायक अरुण भीमावत को कांग्रेस प्रत्याशी रहे हुकम सिंह कराड़ा की याचिका पर नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका में आरोप हैं कि नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कराड़ा भीमावत से सिर्फ 28 मतों से चुनाव हार गए थे। मतगणना के दौरान 161 मत बगैर किसी आधार के निरस्त कर दिए गए थे। इन्हें निरस्त करने में अनियमितता की गई है। अगर ऐसा नहीं होता तो कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीत जाते।
सिंघार पर जानकारियां छुपाने का आरोप
नेता प्रतिपक्ष सिंघार के खिलाफ चुनाव याचिका भाजपा के सरदार सिंह मेढ़ा ने दायर की है। नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में सिंघार ने मेढ़ा को 22 हजार 119 मतों से पराजित किया था। याचिका में आरोप हैं कि चुनाव जीतने के लिए सिंघार ने अनुचित संसाधनों का इस्तेमाल किया। मतदाताओं को शराब और पैसा बांटकर उन्हें प्रलोभित किया। निर्वाचन आयोग के समक्ष प्रस्तुत शपथ पत्र में कई जानकारियां छुपाई गई। मेढ़ा की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट निमेष पाठक ने बताया कि न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला ने आरंभिक तर्क सुनने के बाद सिंघार को नोटिस जारी कर दिया। सिंघार के खिलाफ दायर चुनाव याचिका में ही शासन ने एक आवेदन देकर गुहार लगाई कि लोकसभा चुनाव के लिए ईवीएम की आवश्यकता है। ईवीएम जब्त कर ली गई तो परेशानी होगी। मेढ़ा के वकील ने कहा कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि चुनाव याचिका में ईवीएम के खिलाफ कुछ नहीं है। इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि ईवीएम का डाटा सुरक्षित रखते हुए उन्हें मुक्त कर दिया जाए।

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