आईएएस मंडलोई की… कार्यशैली से हाईकोर्ट नाराज थमाया अवमानना नोटिस

आईएएस मंडलोई

भोपा/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अफसरशाही लोगों की मदद करने की जगह उन्हें उलझाने के प्रयासों में लगी रहती है। इसकी वजह से आम आदमी न्याय के लिए भटकता रहता है। ऐसा ही एक मामला हाईकोर्ट के सामने आया , जिससे नाराज होकर हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई को अवमानना नोटिस थामा दिया है। इससे उनकी मुश्किलें बढऩा तय है। दरअसल नौ नवंबर 2023 को कोर्ट द्वारा स्पष्ट आदेश दिए जाने के बावजूद मंडलोई ने 13 दिन तक निष्क्रिय रहकर हुकमचंद मिल मामले में मप्र गृह निर्माण मंडल, मजदूरों और अन्य पक्षकारों के बीच हुए समझौते को विफल करने का प्रयास किया गया है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा की मंडलोई बताएं कि उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए। वे 12 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर इस संबंध में शपथ पत्र प्रस्तुत करें। बीते रोज इंदौर के हुकमचंद मिल मामले में न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर के समक्ष सुनवाई हुई। मप्र गृह निर्माण मंडल को बताना था कि मजदूरों के भुगतान के मामले में निर्वाचन आयोग की अनुमति प्राप्त हुई या नहीं। शासन के वकील ने कोर्ट को बताया कि प्रमुख सचिव मंडलोई ने इस संबंध में 23 नवंबर को निर्वाचन आयोग को पत्र लिख दिया है। वहां से अब तक कोई सूचना नहीं आई है। इस मामले में निर्वाचन आयोग की ओर से कोर्ट को बताया गया कि भोपाल कार्यालय में आवेदन 23 नवंबर को मिला था। आगे की कार्रवाई के लिए दिल्ली भेज दिया गया है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि हमने नौ नवंबर को ही निर्वाचन आयोग से अनुमति के बारे में आदेश जारी किया था। इसके बावजूद 13 दिन बाद पत्र लिखा गया। ऐसा लगता है मंडलोई खुद मप्र गृह निर्माण मंडल, नगर निगम, मजदूर और अन्य पक्षकारों के बीच हुए समझौते को विफल करने का प्रयास कर रहे हैं। कोर्ट ने मंडलोई को अवमानना नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जाए।
भटक रहे हैं हजारों मजदूर
हुकुमचंद मिल प्रबंधन ने 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद कर दिया था। इसके बाद से मिल के 5895 मजदूर और उनके स्वजन अपने बकाया भुगतान के लिए भटक रहे हैं। वर्ष 2007 में हाई कोर्ट ने मजदूरों के पक्ष में करीब 229 करोड़ रुपये का भुगतान स्वीकृत किया था। यह राशि मिल की जमीन बेचकर मजदूरों को दी जाना है, लेकिन मिल की जमीन बिक नहीं सकी। हाल ही में नगर निगम और मप्र गृह निर्माण मंडल के बीच मिल की जमीन पर संयुक्त रूप से आवासीय और व्यवसायिक प्रोजेक्ट लाने को लेकर सहमति बनी।
मंत्रिपरिषद भी दे चुकी है भुगतान की मंजूरी
समझौते के अनुसार मप्र गृह निर्माण मंडल को मजदूरों के पक्ष में 224 करोड़ रुपये भुगतान करना है। मंत्रिपरिषद की अंतिम बैठक में इसके प्रस्ताव को स्वीकृति भी मिल चुकी है। हाउसिंग बोर्ड मजदूरों को भुगतान करता इसके पहले ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो गई। पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने मप्र गृह निर्माण मंडल से कहा था कि वह 28 नवंबर तक निर्वाचन आयोग से भुगतान की अनुमति प्राप्त कर ले।

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