देश-विदेश में धूम मचाएगी आदिवासियों की हेरिटेज शराब

 हेरिटेज शराब
  • मप्र में महुआ की बनी शराब को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाएगी सरकार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अभी तक बदनामी के तौर पर जानी जाने वाली महुआ की शराब अब देश-विदेश में हेरिटेज शराब के रूप में धूम मचाएगी। आदिवासी सशक्तिकरण की दिशा में बड़ी पहल करते हुए महुआ शराब को स्थानीय स्तर पर तैयार किया जाएगा। इसके बाद सरकार इसे अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी ले जाने की तैयारी कर रही है। सबसे पहले हेरिटेज शराब की बिक्री पर्यटन विभाग के होटल और बार में की जाएगी। उत्पादन में बढ़ोतरी के बाद हेरिटेज शराब की बिक्री शराब दुकानों पर किए जाने की योजना है।  गौरतलब है कि मप्र देश का पहला राज्य है, जो महुए से शराब का निर्माण कर उसे वैध तरीके से बेचने जा रहा है। इसे हेरिटेज शराब नाम दिया गया है। एक माह  में हेरिटेज शराब का उत्पादन शुरू हो जाएगा। सरकार का सर्वाधिक ध्यान हेरिटेज शराब की शुद्धता पर है, क्योंकि सरकार हेरिटेज शराब की राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग करने की तैयारी कर रही है। सरकार का मानना है कि यदि हेरिटेज शराब की ठीक से ब्रांडिंग की जाए, तो देश ही नहीं पूरी दुनिया में इसकी अलग पहचान बन सकती है।
दो आदिवासी बाहुल जिलों में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
 हेरिटेज शराब निर्माण के लिए आदिवासी बहुल अलीराजपुर और डिंडोरी जिले में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। यहां आदिवासी स्व सहायता समूह हेरिटेज शराब का निर्माण करेंगे। अलीराजपुर में शराब निर्माण की टेस्टिंग शुरू कर दी गई है। यहां महीने भर के अंदर उत्पादन शुरू हो जाएगा। डिंडोरी में उत्पादन इकाई लगाने की प्रक्रिया जारी है। इसके लिए कई तरह की  रियायतें देने की तैयारी है।
महुआ शराब में मिथाइलएल्कोहल नहीं
हेरिटेज शराब का निर्माण महुए के फूलों से किया जाएगा। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह दुनिया की एकमात्र शराब है, जो फूलों से बनाई जाती है। भारत में अकेले मप्र में इसका निर्माण किया जाता है। इस शराब में मिथाइल एल्कोहल नहीं होता, जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है। अन्य सभी प्रकार की शराब में मिथाइल एल्कोहल होता है। मप्र में बनने वाली हेरिटेज शराब के निर्माण में किसी भी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाएगा। शराब बनाने में प्रयुक्त होने वाला पानी उच्च गुणवत्ता का होगा। हेरिटेज शराब की उत्पादन इकाई में हाईजीन का पूरा ख्याल रखा जाएगा। हेरिटेज शराब बनाने वाले हर स्व सहायता समूह को भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण का सर्टिफिकेट लेना होगा।
मिलेंगी कई रियायतें
मप्र में महुए से बनी हेरिटेज मदिरा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार कई रियायतें देने की तैयारी कर रही है। इसमें शराब बनाने वाले स्व सहायता समूहों को एक साल तक वैट नहीं देना पड़ेगा। साथ ही 5 साल तक एक्साइज ड्यूटी में भी छूट मिलेगी। इतना ही नहीं, इंडस्ट्री (उद्योग विभाग) की निगेटिव लिस्ट से शराब को बाहर निकाला जाएगा, ताकि उन्हें औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन के तहत अनुदान मिल सके। कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्ताव उच्च स्तर पर भेज दिया गया है। उद्योग विभाग की निगेटिव लिस्ट (अपात्र सूची) का मतलब यह है कि इस लिस्ट में जितने भी सेक्टर होते हैं, उन्हें अनुदान नहीं दिया जाता। हेरिटेज मदिरा के लिए पहली बार शराब इस लिस्ट से बाहर होगी। शासन का तर्क है कि आदिवासी स्व सहायता समूहों को ही हेरिटेज मदिरा बनाने का लाइसेंस दिया जाना है, इसलिए औद्योगिक अनुदान से उन्हें मदद मिलेगी।
मप्र टूरिज्म के 18 होटलों में बिकेगी हेरिटेज शराब
प्रदेश सरकार ने मप्र टूरिज्म के होटलों में महुआ शराब की बिक्री को अनुमति दे दी है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महुआ शराब को सबसे पहले एमपी टूरिज्म द्वारा संचालित 18 होटलों और बार में बेचा जाएगा। शराब की गुणवत्ता किसी भी प्रतिष्ठित ब्रांड के बराबर होगी। प्रतिक्रिया के आधार पर सरकार बिक्री काउंटर खोलने पर फैसला करेगी। अधिकारियों का कहना है कि यह पहली बार है कि स्थानीय स्तर पर महुआ शराब पेशेवर तरीके से बनाई जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि विनिर्माण प्रक्रिया पुणे में वसंत दादा शुगर इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए शोध का पालन करेगी।

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