मातृ एवं शिशु मृत्युदर कम करने ली जाएगी प्रायवेट डॉक्टरों की मदद

शिशु मृत्युदर
  • केन्द्रीय योजनाओं में शामिल 52 प्रायवेट हॉस्पिटल से स्वास्थ्य विभाग करेगा अनुबंध

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए अब हर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर ऑपरेशन से प्रसव की सुविधा दी जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग प्राइवेट डॉक्टर्स की मदद लेगा। शासन से मिले निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है। तमाम प्रयास के बाद भी प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर ज्यादा बनी हुई है। अब भी प्रदेश में प्रसव के दौरान प्रत्येक 1000 पर 217 महिलाओं की मौत हो जाती है, तो 48 बच्चे दम तोड़ देते है। ऐसे में सरकार ने इसे कम करने के लिए अब हर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर भी प्रसव के लिए आवश्यकता होने पर आॅपरेशन की सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।  ऐसे में जिन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव के लिए प्रशिक्षित गायनेकोलॉस्टि और एनिस्थिसिया विशेषज्ञ न होने पर प्रायवेट डॉक्टर्स की सहायता लेने के निर्देश दिए  गए हैं।
सौंपी 52 हॉस्पिटल की सूची
इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के 52 ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटल की सूची भी सौंपी है, जो केन्द्र सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिए चिन्हित किए गए है। चिकित्सकों ने बताया कि जिले की सीमा से लगे हॉस्पिटल से भी लिंकअप किया जा रहा है। यदि यह हॉस्पिटल अपने यहां के डॉक्टर्स की सुविधा देने को राजी होते हैं, तो उनके  साथ अनुबंध किया जाएगा। इन डॉक्टर्स को हर डिलीवरी के हिसाब से शासन द्वारा तय किया गया मानदेय दिया जाएगा। जिन जिलों में प्राइवेट अस्पतालों में भी गायनेकोलॉजिस्ट और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं है। ऐसे जिलों में दूसरे या फिर  बाहर के हॉस्पिटल से भी बात की जा रही है।
रास्तें में हो जाते है प्रसव
विदित हो कि प्रदेश में कई बार ऐसे मामले सामने आते है, जिनमें प्रसूता को अस्पताल पहुंचाते समय रास्ते  में ही प्रसव हो जाते है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर भर्ती महिलाओं की प्रसव के दौरान हालत बिगड़ने पर उन्हें जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है और मामले और भी बिगड़ जाते है। ऐसे में अब इन घटनाओं को रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

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