भोपाल/गौरव चौहान /बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में दो साल बाद यानी की 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के समय भाजपा के चुनावी मुद्दों में गिनाई जाने वाली उपलब्ध्यिों के केन्द्र में मप्र का रहना अभी से दिखने लगा है। इसकी वजह हैं सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान। दरअसल अपने इस कार्यकाल में शिव ने पूरी तरह से हिन्दी और हिन्दुत्व को लेकर जो सह्दयता दिखानी शुरू की है, उससे पार्टी अलाकमान से लेकर संघ तक प्रभावित है। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार की कई ऐसी योजनाए हैं, जो प्रदेश के साथ ही कई अन्य दूसरे दलों की सरकार वाले राज्यों में भी लोकप्रियता के पैमाने पर खरा उतर रही हैं। बात यहीं समाप्त नहीं होती है, बल्कि कई ऐसी केन्द्रीय योजनाएं भी हैं, जिनमें मप्र का झंडा लगातार फहर रहा है। दूसरा पहलू यह है कि शिवराज के बीते कार्यकाल तक आरएसएस के एजेंडे के मामले में पीछे दिखने वाले प्रदेश ने अब तो इसमें भी बाजी मारना शुरु कर दिया है। इस मामले में अयोध्या, काशी के बाद उज्जैन के महाकाल लोक का जमीन पर उतरना है। यही नहीं मेडीकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने के मामले में भी अब प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। महाकाल लोक और हिन्दी दोनों ही संघ की प्राथमिकता वाले कामों में शामिल है। हिंदी में पढ़ाई का कदम भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है , इसकी वजह है हिंदी भाषी प्रदेशों की वजह से ही भाजपा लगातार दो चुनावों से बहुमत पाती आ रही है। देश की राजनीति में हिंदुत्व की लहर के थपेड़ो अब प्रदेश में दिख रहे हैं। सौम्य, शिष्ट, विनम्र और सर्वसुलभ शिवराज की छवि अब बुलडोजर मामा की भी बन चुकी है। इसकी वजह है दंगाइयों पर उत्तर प्रदेश की तरह कार्रवाई की जाना, जिसकी वजह से उनकी छवि भी हार्डकोर हिंदुत्व की बनती जा रही है। दरअसल प्रदेश में रामनवमी पर निकले जुलूस के बाद हिंसा की घटनाएं हुई और फिर उसके बाद बुलडोजर के जरिए लोगों के घरों को गिरा दिया गया। इससे दो छवि बनी, पहली तो कट्टर हिंदुत्व की राजनीति और दूसरा त्वरित न्याय के जरिए सख्त प्रशासक की। उनकी इस कार्रवाई से संघ के साथ ही पार्टी भी सहमत बनी हुई है।
प्रज्ञा लगाएंगी किसान सुनवाई चौपाल
अपने बेबाक बयानों की वजह से सुर्खियों में रहने वाली भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का फोकस अब क्षेत्र के किसानों पर है। साध्वी अब जल्द ही किसानों के लिए जनसुनवाई शुरू करने जा रही हैं। किसान सुनवाई के नाम से लगने वाली यह चौपाल की शुरूआत वे बैरसिया से करने जा रही हैं। यह घोषणा उनके द्वारा बीते रोज पीएम द्वारा किसानों के खाते में भेजी गई सम्मान निधि को लेकर आयोजित कार्यक्रम में शामिल किसानों के बीच की है। इसकी वजह है कार्यक्रम में आए किसानों द्वारा अपनी अपनी समस्याएं रखना। इस तरह की चौपाल में किसानों की समस्याओं का मौके पर निराकरण किया जाएगा। बैरसिया में लगने वाली चौपाल का स्थान भी तय कर दिया गया है। यह चौपाल हरसिद्धि माता मंदिर पर लगाई जाएगी। उनकी इस सुनवाई को चुनावी तैयारी के रुप में देखा जा रहा है। भोपाल लोकसभा सीट पर भी बड़ा वर्ग ग्रामीण वोटर का भी है। उनकी इस कवायद को यही माना जा रहा है कि चुनावी मोड में आ चुकीं साध्वी किसानों से संवाद के जरिए अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिश में हैं, हांलाकि सांसद प्रज्ञा ठाकुर को दुबारा भोपाल लोकसभा सीट से मौका मिलेगा भी कि नहीं इसे लेकर संशय बना हुआ है।
प्रदेश की योजनाओं की लोकप्रियता
दरअसल अब तक के कार्यकाल में शिवराज सरकार द्वारा तमाम ऐसी योजनाएं शुरू की गई हैं, जो देश के कई राज्यों में लोकप्रियता के पैमाने पर अपना डंका बजा रहीं हैं। इनमें लाड़ली लक्ष्मी से लेकर तीर्थ दर्शन यात्रा तक शामिल है। खास बात यह है कि इनकी लोकप्रियता को देखते हुए विरोधी दलों की सरकारों वाले राज्यों में भी इन्हें अपनाया जा चुका है। इसके अलावा मप्र भाजपा का ऐसा राज्य है, जिसे संगठन के हिसाब से बेहद आदर्श राज्य माना जाता है। अब संघ के एजेंडे को लागू करने में भी एक के बाद एक मध्य प्रदेश देश के बाकी राज्यों को पीछे छोड़ चुका है। महाकाल लोक के साथ हिंदुत्व की हुंकार एमपी से भरी गई। अब एमबीबीबीएस की हिंदी में पढ़ाई के साथ देश में हिंदी का डंका बजाने वाला राज्य भी एमपी है। तो उपलब्धि केवल इतनी नहीं कि मध्य प्रदेश हिंदी में चिकित्सा की शिक्षा देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इसे इस ढंग से प्रोजेक्ट किया जा रहा है, जिसका असर पूरे देशमें खासतौर पर हिन्दी पट्टी वाले राज्यों में बेहद असरकारक माना जा रहा है। इस कदम को हिंदी का मान बढ़ाने के लिए कदम गया बेहद अहम कदम माना जा रहा है। इससे मातृभाषा पर गर्व करने का माहौल बनेगा।
हिंदुत्व के मानचित्र में भी मिला स्थान
केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद देश के जिन ऐतिहासिक नगरों और आस्था के केंद्रों का कायाकल्प और जीर्णोद्धार किया गया है, उनमें देश के धार्मिक नक्शे पर अयोध्या और काशी के बाद अब उज्जैन का नाम भी शामिल हो चुका है। दरअसल माना जाता है कि भाजपा में हर योजना के पीछे पहले से तय एजेंडा होता है और उसकी टाइमिंग भी तय रहती है। महाकाल लोक के लोकार्पण की टाइमिंग को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। अगले साल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसके ठीक पहले महाकाल लोक सज चुका है। जाहिर है इसका असर 2024 तक जाएगा और खास मालवा निमाड़ की सीटों पर तो महाकाल लोक आम चुनाव के लिए बेहद प्रभावित करेगा। यही नहीं कहा जा रहा है कि संघ का जो भारतीयता का विचार है उसकी शुरूआत 2003 से हो गई थी। मध्य प्रदेश देश का एकमात्र राज्य है जहां आध्यात्म का बाकायदा विभाग है। ये हिंदू संस्कृति के प्रचार प्रसार का अग्रणी राज्य है इसमें दो राय नहीं।
19/10/2022
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