मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली

मध्यप्रदेश
  • अस्पताल बांट रहे मौत: नकली डॉक्टर, नकली दवा, नकली अस्पताल कर रहे लोगों की जान से खिलवाड़

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। दमोह जिले में हाल ही में सामने आए फर्जी डॉक्टर मामले ने पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। एक फर्जी डॉक्टर, जो खुद को लंदन का प्रशिक्षित कार्डियोलॉजिस्ट बताकर मिशनरी अस्पताल में हार्ट सर्जरी कर रहा था, ने 8 मरीजों की जान ले ली। इस त्रासदी ने न केवल स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि सरकार की जनता की सेहत के प्रति उदासीनता को भी सामने लाया है। यह आरोपी कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना ने मीडिया से चर्चा में लगाए हैं। उन्होंने इस मामले में तत्काल कार्रवाई और जवाबदेही तय करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि दमोह के मिशनरी अस्पताल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव  ने डॉ. एनजॉन केम के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की। उसने जनवरी-फरवरी में 15 से ज्यादा हार्ट सर्जरी कीं, जिनमें से 8 मरीजों की मौत हो चुकी है। जांच में पता चला कि उसकी डिग्री और अनुभव पूरी तरह फर्जी थे। अस्पताल प्रबंधन ने बिना किसी पृष्ठभूमि जांच के उसे मरीजों की जिंदगी सौंप दी। जो अपने आप में गंभीर लापरवाही का सबूत है। उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार के  शासनकाल में स्वास्थ्य व्यवस्था न सिर्फ चरमराई है, बल्कि यह जनता के लिए मौत का पर्याय बन गई है। फर्जी डॉक्टरों का बोलबाला, अमानक दवाओं की बिक्री, आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा, और दवा खरीदी में घोटाले ये कुछ ऐसे घाव हैं, जो मध्यप्रदेश की जनता को हर दिन झेलने पड़ रहे हैं। आंकड़े और तथ्य इस बात की गवाही दे रहे हैं कि बीजेपी सरकार ने जनता की सेहत को अपनी प्राथमिकता से बाहर कर दिया है।
फर्जी डॉक्टरों का खेल
दमोह में एक फर्जी डॉक्टर ने 8 लोगों की जान ले ली। यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में फैले झोलाछाप डॉक्टरों के नेटवर्क का नमूना है। इंदौर में अजय हार्डिया नामक एक शख्स, जिसके पास सिर्फ इलेक्ट्रो होम्योपैथी की डिग्री थी, 50 बेड का अवैध अस्पताल चला रहा था। खुद को कैंसर स्पेशलिस्ट बताने वाला यह फर्जी डॉक्टर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा था। सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर अवैध अस्पताल कैसे चल रहे हैं? स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे यह सब कैसे संभव है? जवाब साफ है-बीजेपी सरकार की लापरवाही और संरक्षण ने इन फर्जी डॉक्टरों को खुली छूट दे रखी है। प्रदेश में अमानक दवाओं के मामले बार-बार सामने आ रहे हैं। साल 2024 में ही 13 दवाएं अमानक पाई गई, जिनमें सेफोटैक्सिम जैसे एंटीबायोटिक इंजेक्शन शामिल हैं। इन दवाओं का उपयोग सरकारी अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में किया जा रहा था।
व्यापम फर्जी डॉक्टरों की फैक्ट्री
सक्सेना का कहना है कि व्यापमं घोटाला दुनिया का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला माना जाता है। इस घोटाले ने न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था को तबाह किया, बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भी फर्जी डॉक्टरों की फौज खड़ी कर दी। व्यापम के जरिए बिना योग्यता के लोगों को मेडिकल डिग्रियां बांटी गई, जो आज जनता को इलाज के नाम पर मौत बांट रहे हैं।
दवा खरीदी में घोटाला
उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार ने दवा खरीदी में भी घोटाला कर डाला। 2025 में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और चार फर्मों के खिलाफ 750 करोड रुपये के घोटाले में मामला दर्ज हुई। मशीनों और उपकरणों  की खरीद में मानक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। जरूरत से ज्यादा कीमत पर सामान खरीदा गया और जहां जरूरत नहीं थी, वहां आपूर्ति कर दी गई। इसका नतीजा यह हुआ कि सरकारी अस्पतालों में नकली और घटिया दवाएं पहुंची, जो मरीजों के लिए जानलेवा साबित हुई। यह सब तब हो रहा है, जब सरकार जनता को हर सुख-सुविधा देने का दावा कर रही है।
कांग्रेस की मांग
प्रदेश भर में फैले फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाए और इस पर तत्काल कार्रवाई की जाए। दमोह मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और फर्जी डॉक्टर एवं अस्पताल पर हत्या का मामला दर्ज करते हुए शिकार लोगों के परिजनों को 1-1 करोड़ का मुआवजा दिया जाए।
– दवा खरीदी में गुणवत्ता, पारदर्शिता और भ्रष्टाचारियों को सजा देने के व्यापक प्रबंध किए जाएं।
– आयुष्मान योजना को लूट से मुक्त कर गरीबों तक लाभ सुनिश्चित किया जाए।
– स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए डॉक्टरों की भर्ती और संसाधन बढ़ाना।

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