बिना बिजली खरीदे करना पड़ रहा करोड़ों का भुगतान

  • अनुबंध की फांस में बिजली कंपनियां…
  • गौरव चौहान
बिजली

मप्र के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर से बिलों का झटका लगने वाला है। मप्र पॉवर मैनेजमेंट की तीनों कंपनियों ने घाटे का हवाला देकर बिजली की दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। दरअसल, निजी पॉवर प्लांट्स से किए गए अनुबंध के कारण बिना बिजली खरीदी किए बिना भी कंपनियों को हर साल करोड़ों रुपए का भुगतान करना पड़ता है। दरअसल,  18 हजार करोड़ कुल खर्च में 14 हजार करोड़ से सिर्फ बिजली खरीदी निजी पॉवर प्लांट्स से किया जा रहा है। गैर से बिजली खरीदी का खर्च कंपनी के कुल बजट का 70 फीसदी से ज्यादा हो गया। कंपनियां इस नुकसान का भार उपभोक्ताओं पर डालकर अपनी गलती को छुपा लेती हैं।
गौरतलब है कि मप्र पावर मैनेजमेंट की तीनों कंपनियों के सालाना राजस्व के प्रबंधन और उर्जा की नई दरों को लेकर तैयार प्रस्ताव पर सोमवार से जनसुनवाई शुरू हो गई है। पहले दिन जबलपुर जोन के अंतर्गत मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की जनसुनवाई हुई। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने लाख विरोध के बावजूद इस साल भी डायरेक्ट सुनवाई ना कर वर्चुअल तरीके से ही सुनवाई की। बिजली के नए टैरिफ को लेकर हुई जनसुनवाई में तमाम आपत्तिकर्ताओं ने वर्चुअल तरीके से बिजली कंपनियों के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव पर अपना ऐतराज जताया।
बिजली चोरी का भार ईमानदार उपभोक्ता पर
शहर में रोजाना आपूर्ति होने वाली बिजली में से 19.57 प्रतिशत बिजली रास्ते में ही चोरी हो जाती है। इससे 1.10 करोड़ रुपए रोजाना का नुकसान हो रहा है। शहर में करीब 75 लाख आपूर्ति होने वाली बिजली यूनिट में से 14 लाख यूनिट से अधिक बिजली का पैसा कंपनी वसूल नहीं पाती। 101 प्लांट से अनुबंध मौजूदा वर्ष में भी आमजन को बिजली आपूर्ति के लिए कंपनी 101 पावर प्लांट से अनुबंध करने की, जबकि बिजली महज 25 या 30 प्लांट से ही लेने की बात दर्ज है। 23 प्लांट मिलाकर ही 28 हजार 252 मेगावाट बिजली देते हैं। भोपाल व संबंधित क्षेत्र में 704 करोड़ रुपए का घाटा बताकर टैरिफ में चार फीसदी की बढ़ोतरी चाहती है। एक्सपट्र्स का कहना है कि दर वृद्धि की बजाय कंपनी बिजली खरीदी के अनुबंध और उसमें बिना बिजली खरीदे दिए जाने वाले फिक्सचार्ज की राशि पर समीक्षा कर लें तो इस घाटे को आसानी से पाटा जा सकता है। महाप्रबंधक व संयोजक बिजली इंजीनियर्स एसोसिएशन वीकेएस परिहार का कहना है कि बिजली कंपनी व नियामक आयोग को फिक्स चार्ज की राशि और अन्य खर्च पर ध्यान देना चाहिए। कर्मचारियों को नियमित करने पर विचार हो ताकि ठेका प्रथा बंद कर राशि बचाई जा सके। बिजली की गुणवत्तापूर्वक आपूर्ति पर फोकस होना चाहिए।
बिजली खरीदी में फिजूलखर्ची
जानकारों का कहना है कि मप्र में सरकारी बिजली संयंत्रों की भरमार के बावजूद सरकार ने निजी कंपनियों से बिजली खरीदी करने का अनुबंध कर लिया है। अब बिजली खरीदी में फिजूलखर्ची जनता की जेब पर बिल बढ़ोतरी के तौर पर भारी पड़ रही है। कंपनी ये फिजूलखर्ची कर रही है निजी पॉवर प्लांट्स से बिजली खरीदी अनुबंध करके। गैर जरूरी होने के बावजूद इनसे अनुबंध कर फिक्सचार्ज के तौर पर सात हजार करोड़ रुपए की बड़ी राशि दी जा रही है। इन अनुबंधों पर समीक्षा हो और राशि देना बंद कर दें तो, कंपनी घाटे से उबर जाएगी, बिजली दर बढ़ाने की बजाय कम करने की स्थिति बन जाएगी। लेकिन कमीशनखोरी के चक्कर में अफसर ऐसा नहीं कर रहे। जानकारी के अनुसार 18 हजार करोड़ रुपए कंपनी का कुल खर्च है और इसमें 14 हजार करोड़ के करीब सिर्फ बिजली खरीदी के नाम पर ही होता है। इसकी ही समीक्षा की बात कही जा रही है।
आंकड़ों की बाजीगरी कर बढ़ाने की कोशिश
बिजली मामलों के जानकारों का कहना है कि बिजली कंपनियां आंकड़ों की बाजीगरी दिखाकर बिजली के दाम बढ़ाने की जुगत में जुटी हुई हैं। राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कंपनी ने अपने प्रस्ताव में 55 हजार करोड़ रुपए का खर्च बताया है, जबकि वर्तमान बिजली दर से 53 हजार करोड़ की आय दिखाई गई है , ऐसे में कंपनी 2046 करोड़ रुपए का अंतर बताकर बिजली के दाम बढ़ाना चाहती है। हकीकत यह है कि कंपनी का खर्च 45 हजार करोड़ का है, ऐसे में 10 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च दिखाकर बिजली के दाम बढ़ाने की तैयारी में है। अगर नए प्रस्ताव पर विद्युत नियामक आयोग नए प्रस्ताव पर मुहर लगती है तो नए बढ़े हुए दाम कुछ इस तरह होंगे। 30 यूनिट तक खपत में 24 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी, 50 यूनिट तक 37 पैसे प्रति यूनिट बढ़ोतरी, 150 यूनिट तक 54 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी, 150 यूनिट से अधिक खपत पर 33 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी, अस्थाई कनेक्शन पर 54 पैसे प्रति यूनिट बढ़ोतरी, गाड़ी चार्जिंग स्टेशन पर 1.80 रुपए प्रति यूनिट बढ़ेंगे दाम। अमूमन घरों में जिस समय सबसे ज्यादा बिजली की खपत होती है बिजली कंपनियों ने उसी वक्त तक स्पेशली महंगी बिजली करने का प्रस्ताव भी भेजा है, जिसमें सुबह 3 घंटे और रात को 5 घंटे महंगी बिजली सबसे ज्यादा महंगी होगी। बिजली टैरिफ में नियामक आयोग पहली बार टाइम ऑफ द डे टैरिफ यानि एक ही दिन में अलग-अलग टैरिफ स्लैब लागू करने जा रहा है। इसमें सुबह छह बजे से नौ बजे तक और शाम को पांच बजे से रात 10 बजे तक 20 प्रतिशत अतिरिक्त सरचार्ज होगा। जो टैरिफ होगा, उसमें ही ये सरचार्ज जोडक़र  बिजली बिल बनेगा।

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