हरल्ले दिग्गज अब लड़ेंगे लोकसभा चुनाव!

  • विधानसभा चुनाव हारे भाजपा के कई नेता हुए सक्रिय
  • गौरव चौहान
लोकसभा चुनाव

लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की तैयारियां तेज हो गई है। भाजपा मार्च के पहले हफ्ते में प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर सकती है। इस सूची में मप्र की उन लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा हो सकती है, जहां के सांसद विधानसभा चुनाव लड़े थे। साथ ही उन सीटों पर भी प्रत्याशियों की घोषणा हो सकती है जिन क्षेत्रों में विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं थी। इसको देखते हुए भाजपा के  वे दिग्गज नेता लोकसभा चुनाव लड़ने की दावेदारी करने लगे हैं, जो विधानसभा चुनाव हार गए थे।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने सात सांसदों को टिकट दिया था। उनमें से पांच चुनाव जीत गए, जबकि दो चुनाव हार गए। वहीं प्रदेश सरकार के कुछ मंत्री भी चुनाव हार गए थे। अब यह हारे नेता लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इन नेताओं ने अपने क्षेत्र में आने वाली लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे की दावेदारी कर दी है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि दावेदारों की स्थिति का आंकलन करने के  बाद लोकसभा चुनाव वार सूची बनाई जाएगी। मीडिया प्रभारी भाजपा आशीष अग्रवाल का कहना है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व एवं पार्लियामेंट बोर्ड जीत की संभावना के आधार पर किस कार्यकर्ता का कहां उपयोग करना है, यह तय करता है। पार्टी दावेदारों के नामों पर विचार कर सर्वश्रेष्ठ का चयन करती है।
 विधायक, पूर्व विधायक के नाम भी चर्चा में
लोकसभा चुनाव 2024 के शेड्यूल का ऐलान मार्च के दूसरे सप्ताह तक हो सकता है। भाजपा उससे पहले ही बड़ी संख्या में टिकटों पर फैसला कर लेना चाहती है, ताकि उसके उम्मीदवारों को तैयारी लिए पर्याप्त समय मिल सके। वहीं मप्र में भाजपा कई मौजूदा सांसदों के टिकट काट कर बड़ी संख्या में नए चेहरों को  टिकट दे सकती है। मध्य प्रदेश में लोकसभा 29 सीटें हैं और यहां एक दर्जन से भी ज्यादा सांसदों को हटाकर नए चेहरों को मौका देने की रणनीति बना रही है। भाजपा के पांच सांसद तो अब प्रदेश सरकार में विधायक बनने के बाद मंत्री बन चुके हैं।  प्रदेश की कतिपय हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों पर भाजपा के कुछ ऐसे दिग्गज नेताओं ने नाम भी दावेदार के रूप में उभरे हैं जो 2 महीने पहले विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। प्रदेश की आधा दर्जन लोकसभा सीटों पर भाजपा हाईकमान रायशुमारी करा चुका है, बाकी पर खोजबीन चल रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा यह फार्मूला उज्जैन सीट पर आजमा चुकी है। हालांकि इस बार विदिशा सीट पर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का नाम भी चर्चा में है। मुरैना, मंदसौर, विदिशा, होशंगाबाद और सीधी पर में टिकट के लिए फिलहाल कवायद तेज हो गई है।
कुलस्ते -गणेश सिंह पर मंथन
मिशन 2024 में प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटें जीतने के लक्ष्य पर काम कर रही भाजपा इस बार काफी जांच परख कर टिकट देगी। विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते निवास और सतना से स्थानीय सांसद गणेश सिंह विस का चुनाव हार गए थे। अब इस बार मंडला और सतना सीट पर भाजपा इन्हें फिर से मौका देगी, यह पहेली बनी हुई है। भाजपा हाईकमान अभी इस पर विचार मंथन कर रहा है। उज्जैन के मौजूदा सांसद अनिल फिरोजिया नवंबर 2018 में तराना से विस चुनाव हार गए थे , लेकिन पार्टी ने उन्हें चार महीने बाद ही उज्जैन से लोकसभा चुनाव में उतार दिया और वह भारी मतों से जीत भी गए। इस बार भी मंदसौर, मुरैना, सीधी, होशंगाबाद और विदिशा सहित कतिपय अन्य सीटों पर दावेदारी हो रही है। विदिशा सीट पर मामला कुछ अलग है। वहां पूर्व सीएम व बुधनी से विधायक शिवराज सिंह चौहान का नाम भी चर्चा में आया है।
विधानसभा चुनाव हारे  नेताओं की दावेदार
लोकसभा चुनाव के लिए विस चुनाव हारे मंत्री-विधायकों की चर्चा भी रायशुमारी में हुई है। मंदसौर लोस सीट पर यशपाल सिंह सिसोदिया और पूर्व मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के नाम की चर्चा है। इधर, मुरैना से डॉ नरोत्तम मिश्रा का नाम उभरा है। पूर्व मंत्री रामपाल सिंह विदिशा में संभावनाएं टटोल रहे हैं। वहीं विंध्य क्षेत्र की चुरहट सीट से चुनाव हारने के बाद शरदेंदु तिवारी को सीधी के लिए उपयुक्त बताया गया है। होशंगाबाद के लिए पूर्व मंत्री कमल पटेल की भी दावेदारी है। सीधी-होशंगाबाद सहित मुरैना, जबलपुर और दमोह सीट रिक्त हो चुकी हैं। इधर पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया, गौरीशंकर बिसेन और महेंद्र सिंह सिसोदिया भी उम्मीद से हैं। 2018 का विधानसभा चुनाव हार चुके पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता भी अपने पुर्नवास का इंतजार कर रहे हैं। विस में टिकट से चूके भाजपा प्रवक्ता डॉ हितेश वाजपेयी अब होशंगाबाद-भोपाल लोकसभा के लिए प्रयासरत है। इन लोगों को अब राज्य में ही राजनीति का अवसर मिलेगा और सांसद के तौर पर नए नेताओं को मौका दिया जाएगा। इसके अलावा 2 सांसद ऐसे हैं, जो विधानसभा इलेक्शन में उतरे थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इन सांसदों में फग्गन सिंह कुलस्ते और गणेश सिंह शामिल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन दोनों नेताओं को इस बार शायद ही लोकसभा का टिकट मिल पाए। इसके अलावा विधायक बने नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, रीति पाठक, राकेश सिंह और उदय प्रताप सिंह भी शायद फिर से मौका न पा सकें। पार्टी की ओर से तय प्रभारियों ने अपनी डिटेल रिपोर्ट नेतृत्व को सौंप दी है। इस पर मंथन के बाद ही टिकटों का ऐलान किया जाएगा। माना जा रहा है कि मार्च के प्रथम सप्ताह से भाजपा अपने उम्मीदवारों के नाम फाइनल करना शुरू कर देगी। पिछले दिनों ही खबर आई थी कि भाजपा नेतृत्व 70 प्लस की उम्र और कमजोर फीडबैक वाले नेताओं को दोबारा मौका नहीं देगा। इस खबर के बाद से ही वे नेता पसोपेश में हैं, जिनकी उम्र अधिक है और रिपोर्ट कार्ड भी पक्ष में नहीं दिख रहा। भाजपा को लगता है कि इसके जरिए ऐंटी-इनकम्बेंसी की भी काट होगी और नया नेतृत्व भी उभर सकेगा।

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