अस्पताल, पानी, बिजली पर फोकस
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही सिंहस्थ के आयोजन में अभी तीन साल का समय है, लेकिन इतने बड़े आयोजन के लिए तैयारियां अभी से करनी होंगी, तब कहीं जाकर मेला क्षेत्र में सभी जरुरी व्यवस्थाएं की जा सकेंगी। यह बात सरकार भी अच्छी तरह से जानती है। यही वजह है कि अब सरकार ने सिंहस्थ की तैयारियों पर पूरा फोकस करना शुरु कर दिया है। इसके तहत डीपीआर बनाने से लेकर अन्य कामों को तेजी से किया जा रहा है। आयोजन स्थल को आधा दर्जन क्षेत्रों में बांटकर उनमें जरुरी व्यवस्थाएं जुटाने का काम शुरु करने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत फिलहाल पूरा फोकस पेयजल, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाओं पर है। सरकार मेला क्षेत्र में कराए जाने वाले कामों के लिए समय सीमा का निर्धारण कर चुकी है , जिसके तहत अलगे चार माह के अंदर विकास कामों को शुरु करने की योजना तैयार की गई है। इस अवधि में डीपीआर बनाने से लेकर भवन अनुज्ञा तक के सारे काम कर लिए जाएगें जिससे तय समय में काम शुरु किया जा सके।
मेडीसिटी बनाने की योजना
उज्जैन में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार पर भी सरकार ने ध्यान केंद्रित किया है। भवन विकास निगम के द्वारा मेडिसिटी का निर्माण किया जा रहा है। इसकी लागत कुल 592.3 करोड़ रुपए है। इसमें 550 बिस्तर की क्षमता होगी। सिंहस्थ में जनसंख्या के पीक लोड वाले दिनों में विस्तार योग्य क्षमता जोड़ी जाएगी तथा सामान्य दिनों में स्वास्थ्यकर्मियों और संसाधनों की क्षमता के अनुरूप कार्य योजना बनाई जाएगी। इसके अंतर्गत 500 अस्थायी अस्पताल बनाए जाएंगे और कैम्प लगाए जाएंगे। स्वास्थ्य सुविधाओं को सिंहस्थ मेला क्षेत्र के अनुसार 6 जोन में बांटा जाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटल रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा। सिंहस्थ के गर्मी के मौसम में आयोजन को दृष्टिगत रखते हुए इलेक्ट्रोलाइट की उपलब्धता समस्त मेला क्षेत्र में जगह-जगह तय की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा आपदा की स्थिति में कार्ययोजना स्टेट यूनिट के साथ मिलकर बनाई जाएगी। मेले के दौरान बर्न यूनिट, एम्बुलेंस की सुविधा, ब्लड बैंक, ट्रॉमा सेंटर आदि की सम्पूर्ण तैयारी रखने पर फोकस किया जा रहा है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग का विशेष ध्यान हैजा और अन्य मौसम जनित बीमारियों और आपदा प्रबंधन के रिस्पांस पर भी ध्यान रखा जाएगा। स्वास्थ्य प्लान में आयुष विभाग को भी जोड़ा जाएगा।
16 हजार सफाई कर्मियों की जरूरत
सिंहस्थ में साफ-सफाई व्यवस्था की कार्ययोजना की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि सडक़ एवं अन्य सफाई कर्मियों को मिलाकर 11 हजार 220 सफाईकर्मियों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा कचरा संग्रहण के लिए लगभग 5 हजार सफाई कर्मियों की आवश्यकता होगी। कुल मिलाकर 16 हजार 220 सफाई कर्मियों की आवश्यकता सिंहस्थ में होगी।
एप पर होगी हर जानकारी
वर्तमान में आईटीएमएस जंक्शन सिस्टम सिंहस्थ को दृष्टिगत रखते हुए डेवलप किया जा रहा है। सिंहस्थ के समय आईटीएमएस पुलिस विभाग को सौंपा जाएगा। सिंहस्थ में फेस रिकग्निशन, अलर्ट सिस्टम, फायर अलार्म के सभी सॉफ्टवेयर एमपीएसईडीसी के द्वारा विकसित किए जाएंगे। यह कार्य 31 दिसंबर 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके अलावा सिंहस्थ 2028 के लिए ऑल इन वन ऐप भी बनाया जाएगा जिसमें ड्रोन सर्विस, यातायात और वाहन प्रबंधन, मानव संसाधन और कार्य प्रगति की जानकारी की सुविधा मिल सकेगी।
यह काम भी होंगे
श्रीकृष्ण पाथेय न्यास अंतर्गत नारायणा धाम के श्रीकृष्ण सुदामा मंदिर के विकास कार्य भी कराए जाएंगे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए श्री महाकाल लोक की मूर्तियों के नीचे पौराणिक कथाओं का वर्णन किया जाएगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्टोन क्लेडिंग और न्यू वेटिंग हॉल, श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश टनल मार्बल क्लेडिंग और फ्लोरिंग कार्य, आपातकालीन निर्गम, पालकी हॉल, मार्बल क्लेडिंग और फ्लोरिंग के कार्य, विजिटर फेसिलिटेशन सेंटर और श्री महाकालेश्वर भक्त निवास निर्माण कार्य जल्द पूरा कराया जाएगा।
पानी के लिए यह है योजना
मेला क्षेत्र में 200 एमएलडी पेयजल क्षमता का विकास किया जाएगा। सीवर नेटवर्क डिजाइन के अंतर्गत सिंहस्थ के दौरान मेला क्षेत्र में 160 एमएलडी का सीवरेज जनरेशन होगा जिसमें 100 एमएलडी क्षमता के स्थाई एसटीपी निर्माण किए जाएंगे और अस्थाई रूप से 60 एमएलडी क्षमता के सीवरेज का निष्पादन किया जाएगा। यहां होने वाले विकास कार्यों की तैयारियों की समीक्षा जापान से लौटने के बाद अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा ने की। उन्होंने उज्जैन में चल रहे कई निर्माण कार्यों का निरीक्षण भी किया है।
इंतजाम पर मंथन
सिंहस्थ के दौरान श्रद्धालुओं की मौजूदगी के चलते प्रतिदिन उज्जैन शहर में पानी की कितनी डिमांड होगी। इसके आधार पर भी व्यवस्था बनाने पर सरकार फोकस कर रही है। वर्तमान में उज्जैन शहर की जनसंख्या लगभग 8.65 लाख है। इसमें प्रतिदिन पेयजल की मांग 178.28 एमएलडी है। अम्बोदिया, गऊघाट, साहिबखेड़ी और उंडासा के जलाशयों को मिलाकर कुल पानी की क्षमता 151.01 एमएलडी है। प्रस्तावित सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना से 51 एमसीएम, नर्मदा-गंभीर लिंक परियोजना से 58.34 एमसीएम पेयजल की सप्लाई की जा सकेगी। इसके अलावा न्यू अम्बोदिया की 68 एमएलडी पेयजल क्षमता की परियोजना प्रस्तावित है। साथ ही 860 करोड़ रुपए की लागत से हरियाखेड़ी परियोजना पर 100 एमएलडी पेयजल क्षमता की परियोजना का विकास भी किया जा रहा है।