भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का ग्वालियर -चंबल अंचल का अतीत जितना अच्छा रहा है, अब सरकारी भर्ती परीक्षाओं में धांधली के लिए उतना है खराब होता दिखने लगा है। जब भी प्रदेश में कोई भर्ती परीक्षा होती है, उसमें होने वाली गड़बड़ी के तार कहीं न कहीं से इस अंचल में जाकर जुड़ जाते हैं। इसकी वजह से इस अंचल की चर्चा अब प्रदेश के साथ ही देशभर में होने लगी है।
उधर, ऐसे मामलों में जांच करने वाली एजेंसियां जांच तो बड़े जोर शोर से शुरु करती हैं, लेकिन बाद में उनकी गति इतनी मंद हो जाती है कि जांच ही सालों बाद पूरी नहीं हो पाती है। अगर हाल ही के मामलों पर नजर डालें तो हाल ही में हुई पटवारी भर्ती परीक्षा परिणाम के टॉप 11 में से 8 टॉपर ने इसी अंचल के एनआरआई कॉलेज में परीक्षा दी थी। इन टॉपरों को लेकर सवाल खड़े हुए तो, परीक्षा को ही स्थगित कर दिया गया है। इसी तरह से कर्मचारी चयन मंडल ने प्राथमिक शिक्षक के 18 हजार पदों के लिए पात्रता परीक्षा कराई थी। इसमें 1086 पद दिव्यांगों के लिए आरक्षित थे। परिणाम के आधार पर 755 पदों पर आवेदकों का चयन हुआ है। इसमें से 450 दिव्यांग शिक्षक सिर्फ मुरैना जिले से चुने गए हैं। दिव्यांग प्रमाणपत्रों की जांच में 80 के प्रमाणपत्र संदिग्ध मिले। जांच के बाद 77 के फर्जी होने की पुष्टि हुई। इनमें से 60 स्कूल शिक्षा विभाग और 17 जनजातीय कार्य विभाग में पदस्थ थे। इस पर दिव्यांग बोर्ड पर सवाल खड़े हो रहे हैं , कि बोर्ड में बैठने वाले डॉक्टरों ने क्या चेक किया।
सालों से सिर्फ कागजों में कॉलेज
मुरैना जिले के सबलगढ़ तहसील के झुंडपुरा गांव में शिव शक्ति नाम का कॉलेज पिछले 12 सालों से कागजों में चल रहा है। इसमें बीसीए, बीए, बीएससी एवं बीकॉम के छात्रों के प्रवेश व परीक्षा सब कुछ फर्जी तरीके से चल रही है। यही नहीं कुछ जिम्मेदारों की मेहरबानी से यह 2012 से लगातार जीवाजी विश्वविद्यालय से संबद्धता ले रहा है। हालांकि पूरे झुंडपुरा में ऐसा कोई कॉलेज अस्तित्व में नहीं है । फिर भी जेयू की कमेटी साल दर साल निरीक्षण कर भौतिक सत्यापन की एनओसी देती रही है। इस कॉलेज का निरीक्षण भी कागजों में ही प्रोफेसर एके हलवे, डॉ एसके सिंह, डॉ. गुप्ता, स्व. प्रो. एपीएस चौहान ने किया। सन 2014 में वर्तमान कुलपति अविनाश तिवारी, डॉ. ज्योति प्रसाद गुप्ता, डॉ. हलवे, डॉ. एसके सिंह द्वारा निरीक्षण किया गया था।
विज्ञानी डॉक्टरों की भर्ती
गजराराजा मेडिकल कॉलेज में तीन विज्ञानी डॉक्टरों की भर्ती मई 2021 में निकाली गई थी। कॉलेज में पदस्थ तीन डॉक्टरों में से दो डॉक्टरों की पत्नी एवं एक डॉक्टर की भतीजी को काबिल मानते हुए नौकरी थमा दी गई। मामले की जांच हुई तो तीनों ही डॉक्टरों के दस्तावेज फर्जी निकले, इसमें कॉलेज की चयन समिति पर सवाल खड़े हुए और दो सालों में फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी हासिल करने वाली तीनों महिला डॉक्टर अब तक लाखों रुपए की सैलरी भी ले चुकी है।
27/07/2023
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