केंद्र की गाइडलाइन का मध्यप्रदेश में पालन नहीं…

 मप्र पावर जनरेटिंग

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत गृह में कोयले की राखड़ का निष्पादन सही तरीके से नहीं किया जा रहा है। केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार फ्लाई ऐश का उपयोग सड़कों और भवनों के निर्माण में किया जाना चाहिए, लेकिन ताप विद्युत गृहों से निकलने वाली राख सीमेंट कंपनियों को बेची जा रही है। कांग्रेस विधायक ब्रह्मा भलावी ने थर्मल पॉवर प्लांटों पर सीमेंट उद्योगों को राख बेचने का आरोप लगाया है।
 वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 31 दिसंबर 2021 को अधिसूचना जारी करते हुए कहा था कि ऐसे सभी सरकारी, अर्द्धसरकारी और निजी विभाग जो सडक बिछाने, सड़क और फ्लाई ओवर के किनारों और लिग्नाइट या कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र से 300 किमी के भीतर बांधों के निर्माण संबंधी कार्यकलापों में लगे हुए हैं, उन्हें अनिवार्य रूप से राख का उपयोग किया जाना है। परियोजना स्थल पर नि:शुल्क राख पहुंचाई जाएगी। जानकारी के अनुसार श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह खंडवा में 12 हजार टन प्रतिदिन निकलती है। वहीं सारणी ताप विद्युत गृह से 2500 टन प्रतिदिन, बिरसिंहपुर ताप विद्युत गृह से आठ हजार टन प्रतिदिन, अमरकंटक ताप विद्युत गृह से 700 टन प्रतिदिन राख निकलती है। प्रदेश के ताप विद्युत केंद्रों से निकलने वाली लाखों मीट्रिक टन फ्लाई ऐश को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। केंद्र सरकार के निर्देश हैं कि थर्मल पॉवर से निकलने वाली फ्लाई ऐश का उपयोग सड़कों और भवनों के निर्माण में किया जाए। बावजूद ज्यादातर प्लांटों से राख सीमेंट कंपनियों को बेची जा रही है। उधर, सड़कों के निर्माण में आसपास  अथवा पहाड़ों की मिट्टी खोदकर मिलाई जा रही है। जिससे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
 सीमेंट फैक्ट्रियों को बेचने से लाखों का फायदा
थर्मल पॉवर निर्माण कंपनियों को इसलिए राख उपलब्ध नहीं करा रहे हैं, क्योंकि  सीमेंट फैक्ट्रियों को बेचने से लाखों का फायदा होता है।  बिचौलियों के सक्रिय होने से राख की हेरा फेरी होती है। इससे प्लांट के अफसरों की कमाई होती है। हालांकि जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 से नवम्बर 2022 तक के बीच एमबी पॉवर अनूपपुर ने अनूपपुर से व्यंकटनगर और अनूपपुर से मनेंद्रगढ़ मार्ग के लिए 1105 मी. टन राख उपलब्ध कराई है। एनटीपीसी सिंगरौली ने वाराणसी एनएच 29 बायपास के लिए 7,60,977, एमओआरटीएच प्रयागराज एनएच 330 के लिए 89,350, पटना एनएच 319 को 41,791 और डाल्टनगंज एनएच 75 व 98 के लिए 27,729 मी. टन राख उपलब्ध कराई है। वहीं सतपुड़ा सारणी में वर्ष 2021-22 में एनएच 69 इटारसी से बैतूल खंड निर्माण हेतु 23,476 मी. टन, एनटीपीसी खरगोन ने वर्ष 21-22 में धनगांव-बोरगांव सेक्शन, एनएच 347 बीजी एवं 753 एल के लिए दो लाख मी. टन, गाडरवारा थर्मल नरसिंहपुर ने वर्ष 21-22 में एनएचआई- 47 एवं 30 की सड़क निर्माण परियोजना को 5,70,000 मी. टन मीट्रिक टन राख उपलब्ध कराया है। सिंगाजी थर्मल पॉवर खंडवा के सीई आरपी पांडेय का कहना है कि थर्मल पॉवर से राख उपलब्ध कराने का मामला प्रोसेस में है। तीन माह पहले टेंडर एप्रूवल के लिए उच्च स्तर पर भेजा है। निर्माण कंपनियां ही फ्लाई ऐश नहीं ले रही हैं। आसपास और पहाड़ों की मिट्टी खोद लेते हैं। हमें मजबूरी में सीमेंट प्लांटों देना पड़ता है। ठेकेदार फ्री में भी नहीं उठा रहे हैं।    
निर्माण कंपनियों को नहीं मिल रही राख
तापीय विद्युत गृहों के पास वर्तमान में लाखों मीट्रिक टन राख जमा है। अकेले सिंगाजी थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट ग्राम दोंगालिया जिला खंडवा में हर दिन औसतन 12,693 मीट्रिक टन से अधिक राख उत्पन्न होती है। लेकिन इसने वर्ष 2019 से अब तक एक भी निर्माण कंपनियों को राख उपलब्ध नहीं कराई है। झाबुआ पॉवर लि. बरेली जिला सिवनी, सासन पॉवर लि. ग्राम सिद्धिखुर्द सिंगरौली, जेपी निगरी सुपर थर्मल पॉवर प्लांट निगरी सिंगरौली, महान इनर्जेन और जेपी बीना थर्मल पॉवर सिरचोपी सागर ने भी सड़कों के लिए राख उपलब्ध नहीं कराई है।
मप्र की राख से महाराष्ट्र में बन रही  सड़क, भवन
उधर, महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी की सड़क और इमारत में मप्र की राख उपयोग हो रही है। पिछले कुछ दिनों में मप्र से 80 हजार टन के आसपास राख महाराष्ट्र के मुबंई और पुणे के भेजी गई है। बिजली कंपनी नए साल के पहले माह में एक लाख बीस हजार टन राख और देश के अलग-अलग इलाकों में भेजने की उम्मीद जाहिर कर रहा है। बिजली कंपनी को मालगाड़ी से राख भेजना सड़क मार्ग से सस्ता पड़ रहा है। अभी करीब 145 रुपये टन ट्रेन में खर्च आ रहा है जबकि सड़क पर ये खर्च 400 रुपये टन होता है।

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